Dharavi Redevelopment: मुंबई के धारावी क्षेत्र, जो एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्तियों में से एक है, के पुनर्विकास परियोजना को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस परियोजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिसे अदानी समूह द्वारा संचालित किया जा रहा है। यह निर्णय दुबई स्थित सेकलिंक टेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन (एसटीसी) द्वारा दायर एक याचिका के संदर्भ में आया है, जिसमें बॉम्बे हाई कोर्ट के दिसंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी।
The Supreme Court declined to halt Adani Group’s Dharavi redevelopment project despite a challenge from Seclink Technologies. The court sought confirmation of Seclink’s higher bid but stressed compliance with agreed terms. The project plans to revamp 296 acres of the densely… pic.twitter.com/vzKObIsFXn
— Mid Day (@mid_day) March 7, 2025
धारावी: एक परिचय
धारावी, मुंबई के मध्य में स्थित, लगभग 240 हेक्टेयर में फैला हुआ है और यहां लगभग 10 लाख लोग निवास करते हैं। यह क्षेत्र अपने घनी आबादी, संकीर्ण गलियों और अस्थायी आवासों के लिए जाना जाता है। धारावी में लगभग 5,000 व्यवसाय और 15,000 एकल-कमरे की फैक्ट्रियां हैं, जो चमड़ा, वस्त्र, मिट्टी के बर्तन, धातु कार्य और रीसाइक्लिंग जैसे उद्योगों में सक्रिय हैं, और इसका वार्षिक आर्थिक उत्पादन लगभग $1 बिलियन (₹10,000 करोड़) आंका गया है।
पुनर्विकास की पहल और विवाद
धारावी के पुनर्विकास के प्रयास पिछले दो दशकों से चल रहे हैं, लेकिन विभिन्न कारणों से ये प्रयास सफल नहीं हो पाए। 2018 में, एसटीसी ने ₹7,200 करोड़ की बोली लगाकर इस परियोजना को हासिल किया था। हालांकि, भूमि अधिग्रहण से संबंधित मुद्दों के कारण यह परियोजना आगे नहीं बढ़ सकी। 2020 में, महाराष्ट्र सरकार ने इस बोली को रद्द कर दिया और 2022 में नए सिरे से निविदा प्रक्रिया शुरू की। इस प्रक्रिया में अदानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड ने ₹5,069 करोड़ की बोली लगाकर परियोजना को अपने नाम किया।
एसटीसी ने इस निर्णय को चुनौती देते हुए आरोप लगाया कि नई निविदा प्रक्रिया अदानी समूह के पक्ष में बनाई गई थी। हालांकि, दिसंबर 2024 में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने एसटीसी की याचिका को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि निविदा शर्तें किसी विशेष बोलीदाता के लिए अनुकूलित नहीं थीं।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
एसटीसी ने बॉम्बे हाई कोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। मार्च 2025 में, सुप्रीम कोर्ट ने परियोजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, यह देखते हुए कि अदानी समूह ने पहले ही परियोजना पर काम शुरू कर दिया है और लगभग 2,000 लोग इस पर कार्यरत हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अदानी प्रॉपर्टीज और स्थानीय प्राधिकरण को एसटीसी की चुनौती का जवाब देने का निर्देश दिया, यह कहते हुए कि “अनुबंध इस मामले के परिणाम के अधीन है”।
परियोजना की वर्तमान स्थिति
अदानी समूह ने मार्च 2024 में परियोजना की शुरुआत की, जिसमें धारावी निवासियों की पात्रता निर्धारित करने के लिए एक सर्वेक्षण शामिल था, ताकि उन्हें मुफ्त आवास प्रदान किया जा सके। यह पुनर्विकास परियोजना धारावी को एक आधुनिक शहर में बदलने का लक्ष्य रखती है, जिसमें अनुमानित सात वर्षों का समय लगेगा।
धारावी का पुनर्विकास न केवल मुंबई के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है, क्योंकि यह सामाजिक और आर्थिक विकास के नए अवसर प्रदान करेगी। सुप्रीम कोर्ट का हालिया निर्णय इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो परियोजना की प्रगति को सुनिश्चित करता है। हालांकि, यह आवश्यक है कि सभी संबंधित पक्ष मिलकर काम करें ताकि धारावी के निवासियों के हितों की रक्षा हो सके और परियोजना सफलतापूर्वक पूर्ण हो।