PM Modi in Mauritius: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 और 12 मार्च 2025 को मॉरीशस की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं, जहां वे 12 मार्च को मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।यह यात्रा भारत और मॉरीशस के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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भारत-मॉरीशस संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मॉरीशस और भारत के बीच संबंधों की जड़ें गहरी हैं, जो 18वीं शताब्दी तक जाती हैं। फ्रांसीसी शासन के दौरान, भारतीय कारीगरों और राजमिस्त्रियों को पुडुचेरी क्षेत्र से मॉरीशस लाया गया था। बाद में, ब्रिटिश शासन के तहत, लगभग 500,000 भारतीय गिरमिटिया श्रमिकों को मॉरीशस लाया गया, जिनमें से दो-तिहाई वहीं बस गए। आज, मॉरीशस की लगभग 68% आबादी भारतीय मूल की है, जो दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक संबंधों को मजबूत करती है।
राजनयिक और राजनीतिक संबंध
भारत और मॉरीशस के बीच राजनयिक संबंध 1948 में स्थापित हुए थे, जो मॉरीशस की स्वतंत्रता से पहले के हैं। दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय यात्राओं का सिलसिला जारी रहा है, जिससे राजनीतिक संबंध और मजबूत हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा उसी परंपरा का हिस्सा है, जो दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग को और गहरा करती है।
आर्थिक और व्यापारिक संबंध
आर्थिक दृष्टिकोण से, मॉरीशस भारत के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार रहा है। भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के स्रोत देशों में मॉरीशस शीर्ष पर रहा है। अप्रैल 2000 से सितंबर 2016 तक, मॉरीशस से भारत में 101,759.68 मिलियन अमेरिकी डॉलर का एफडीआई प्रवाह हुआ, जो कुल एफडीआई का 32.81% है।
यह आर्थिक संबंध दोनों देशों के बीच मजबूत व्यापारिक संबंधों को दर्शाता है।
सांस्कृतिक और शैक्षणिक संबंध
सांस्कृतिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में भी भारत और मॉरीशस के बीच घनिष्ठ संबंध हैं। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) मॉरीशस में सक्रिय है, जो भारतीय संस्कृति, भाषा और कला के प्रसार में योगदान देती है। इसके अलावा, कई मॉरीशस के छात्र भारतीय विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करते हैं, जो दोनों देशों के बीच शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करता है।
रणनीतिक और सुरक्षा संबंध
हिंद महासागर में अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण, मॉरीशस भारत के लिए सुरक्षा और नौसैनिक सहयोग के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। दोनों देश समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी अभियानों और समुद्री डकैती के खिलाफ सहयोग करते हैं। भारत ने मॉरीशस को गश्ती नौकाएं, हेलीकॉप्टर और अन्य रक्षा उपकरण प्रदान किए हैं, जिससे मॉरीशस की समुद्री सुरक्षा क्षमताओं में वृद्धि हुई है।
चागोस द्वीपसमूह मुद्दा
हाल ही में, चागोस द्वीपसमूह की संप्रभुता को लेकर मॉरीशस और ब्रिटेन के बीच विवाद में भारत ने मॉरीशस के दावे का समर्थन किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी मॉरीशस और ब्रिटेन के बीच समझौते का समर्थन किया है, जिससे इस मुद्दे के समाधान की संभावना बढ़ गई है। भारत के लिए, यह महत्वपूर्ण है क्योंकि डिएगो गार्सिया, जो चागोस द्वीपसमूह का हिस्सा है, हिंद महासागर में अमेरिकी-ब्रिटिश सैन्य अड्डा है, जो क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ संतुलन प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
सांस्कृतिक संबंधों का उत्सव: मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होकर, प्रधानमंत्री मोदी दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों का सम्मान करेंगे।
आर्थिक सहयोग का विस्तार: इस यात्रा के दौरान, दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और विकास परियोजनाओं पर चर्चा होने की संभावना है, जिससे आर्थिक संबंध और मजबूत होंगे।
रणनीतिक साझेदारी का सुदृढ़ीकरण: हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता के लिए दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग को और बढ़ावा देने पर विचार किया जाएगा।
चागोस मुद्दे पर समर्थन: भारत का मॉरीशस के दावे का समर्थन दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास को और गहरा करेगा और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सहयोग को बढ़ावा देगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉरीशस यात्रा भारत और मॉरीशस के बीच घनिष्ठ और बहुआयामी संबंधों को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह यात्रा न केवल दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों का उत्सव है, बल्कि आर्थिक, रणनीतिक और राजनीतिक सहयोग को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाने का अवसर प्रदान करती है। आने वाले समय में, यह अपेक्षित है कि भारत और मॉरीशस के बीच यह मजबूत साझेदारी हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देगी।