MK Stalin gets trolled on Hindi Oppose: एम.के. स्टालिन की हिंदी विरोधी नीति पर सोशल मीडिया में ‘यप्पा यप्पा स्टालिन अप्पा’ ट्रोलिंग
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन अपनी हिंदी विरोधी नीति के लिए सोशल मीडिया पर ‘यप्पा यप्पा स्टालिन अप्पा’ जैसे ट्रोल्स का सामना कर रहे हैं।
भाजपा का आरोप: डीएमके की त्रिभाषा नीति पर दोहरा मापदंड
भाजपा ने डीएमके पर त्रिभाषा नीति के मामले में दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है, जिससे यह विवाद और बढ़ गया है।
तमिलनाडु में हिंदी विरोध का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
तमिलनाडु में हिंदी विरोध का एक लंबा इतिहास रहा है। 1960 के दशक में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के प्रयासों के खिलाफ राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। इस विरोध के परिणामस्वरूप, केंद्र सरकार ने राज्यों को अपनी भाषा नीति तय करने की स्वतंत्रता दी थी।
स्टालिन की हिंदी विरोधी नीति: राजनीतिक और सांस्कृतिक कारण
स्टालिन की हिंदी विरोधी नीति के पीछे राजनीतिक और सांस्कृतिक दोनों कारण हैं। डीएमके की स्थापना ही द्रविड़ पहचान और संस्कृति की रक्षा के लिए हुई थी, और हिंदी को थोपने के किसी भी प्रयास को वे अपनी सांस्कृतिक पहचान पर हमला मानते हैं। इसके अलावा, हिंदी विरोधी रुख अपनाकर स्टालिन अपने राजनीतिक आधार को मजबूत करने का प्रयास करते हैं।
सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग: ‘यप्पा यप्पा स्टालिन अप्पा’ का प्रचलन
हाल ही में, सोशल मीडिया पर ‘यप्पा यप्पा स्टालिन अप्पा’ जैसे मीम्स और ट्रोल्स वायरल हो रहे हैं, जो स्टालिन की हिंदी विरोधी नीति का मजाक उड़ाते हैं। यह पहली बार है जब किसी मुख्यमंत्री को उनकी हिंदी विरोधी नीति के लिए इस प्रकार से ट्रोल किया जा रहा है।
भाजपा की प्रतिक्रिया: डीएमके पर पाखंड का आरोप
भाजपा ने इस अवसर का उपयोग डीएमके पर त्रिभाषा नीति के मामले में पाखंड का आरोप लगाने के लिए किया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि डीएमके एक ओर हिंदी का विरोध करती है, जबकि दूसरी ओर अंग्रेजी को बढ़ावा देती है, जो उनकी नीति में विरोधाभास को दर्शाता है।
स्टालिन की प्रतिक्रिया: हिंदी थोपने के खिलाफ सख्त रुख
स्टालिन ने इन ट्रोल्स और आरोपों का सामना करते हुए हिंदी थोपने के खिलाफ अपना सख्त रुख जारी रखा है। उन्होंने कहा है कि तमिलनाडु की सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए हिंदी का विरोध आवश्यक है और वे इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेंगे।
भाषा और राजनीति का जटिल संबंध
तमिलनाडु में भाषा और राजनीति का संबंध जटिल है। हिंदी विरोधी भावना राज्य की सांस्कृतिक पहचान से गहराई से जुड़ी हुई है, और राजनीतिक दल इस भावना का उपयोग अपने लाभ के लिए करते हैं। स्टालिन की हिंदी विरोधी नीति पर सोशल मीडिया में ट्रोलिंग और भाजपा के आरोप इस जटिल संबंध को और उजागर करते हैं।