Ukrain-Russia Ceasefire

Ukrain-Russia Ceasefire: 30-दिवसीय शांति प्रस्ताव पर सहमति, लेकिन शर्तों पर अटका फैसला

Ukrain-Russia Ceasefire: यूक्रेन और रूस के बीच तीन वर्षों से जारी संघर्ष में हाल ही में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहल पर, यूक्रेन ने 30-दिवसीय युद्धविराम प्रस्ताव को स्वीकार किया है। यह प्रस्ताव सऊदी अरब में आयोजित शांति वार्ताओं के दौरान प्रस्तुत किया गया था। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने इस प्रस्ताव को सकारात्मक कदम मानते हुए कहा, “यूक्रेन इस प्रस्ताव को स्वीकार करता है, हम इसे सकारात्मक मानते हैं, और हम इस कदम के लिए तैयार हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका को रूस को इसके लिए मनाना चाहिए।”

यह युद्धविराम प्रस्ताव पूरे संघर्ष क्षेत्र में लागू होगा, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में तनाव को कम करना है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस विकास का स्वागत किया है और कहा है कि वह आने वाले दिनों में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से इस प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे।

हालांकि, रूस ने इस प्रस्ताव पर अपनी शर्तें रखी हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संकेत दिया है कि वह अस्थायी युद्धविराम पर चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए निर्णायक शांति समझौते की प्रगति आवश्यक है। रूस ने यह भी स्पष्ट किया है कि उसे यूक्रेन में नाटो सैनिकों की मौजूदगी स्वीकार्य नहीं है और वह शांति समझौते के लिए यूरोपीय देशों के किसी गठबंधन के प्रस्ताव को खारिज करता है।

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यूक्रेन के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जिसमें रूस से अपनी सेना को तुरंत यूक्रेन से वापस बुलाने की मांग की गई है। हालांकि, यह प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, लेकिन इसे विश्व जनमत का संकेतक माना जाता है। इस प्रस्ताव के पक्ष में 93 देशों ने वोट दिया, जबकि 18 देशों ने विरोध किया और भारत समेत 65 देश मतदान से अनुपस्थित रहे।

यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने यह भी संकेत दिया है कि यदि उनके देश को स्थायी शांति की गारंटी मिलती है या उसे नाटो सैन्य गठबंधन की सदस्यता दी जाती है, तो वह अपने पद से इस्तीफा देने को तैयार हैं। यह बयान यूक्रेन में शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के अमेरिकी समर्थन को वापस ले लिया है और संकेत दिया है कि 2014 से रूस द्वारा कब्जा किए गए सभी यूक्रेनी क्षेत्रों को वापस करने की उम्मीद करना जमीनी सच्चाई नहीं है। उन्होंने यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता को भी रोक दिया है और कुछ खुफिया जानकारी साझा करना बंद कर दिया है, जिससे यूरोपीय देशों में चिंता बढ़ गई है।

ब्रिटेन, फ्रांस और यूक्रेन ने मिलकर युद्धविराम का नया खाका तैयार करने पर सहमति व्यक्त की है, जिसे बाद में अमेरिका के सामने पेश किया जाएगा। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा है कि यह योजना चार देशों के नेताओं के बीच बातचीत के बाद सामने आई है। स्टार्मर ने यह भी कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति यूक्रेन में स्थायी शांति चाहते हैं और इसे कायम रखने के लिए अमेरिकी सुरक्षा गारंटी की आवश्यकता होगी।

इन सभी घटनाक्रमों के बीच, यह स्पष्ट है कि यूक्रेन और रूस के बीच शांति स्थापित करने के प्रयास जारी हैं, लेकिन दोनों पक्षों की शर्तें और अपेक्षाएं इस प्रक्रिया को जटिल बना रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका इस संदर्भ में महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि वे मध्यस्थता और समर्थन के माध्यम से शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में सहायता कर सकते हैं।

यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष ने वैश्विक अर्थव्यवस्था, ऊर्जा आपूर्ति और भू-राजनीतिक संतुलन पर गहरा प्रभाव डाला है। इसलिए, इस संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान न केवल इन दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। आने वाले दिनों में, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की निगाहें इन शांति प्रयासों पर टिकी रहेंगी, और सभी को उम्मीद है कि यह संघर्ष जल्द ही समाप्त होगा और क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित होगी।

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