Ranjani Srinivasan

Ranjani Srinivasan: हाल ही में, भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन, जो कोलंबिया विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट की छात्रा थीं, ने संयुक्त राज्य अमेरिका से अपनी वीज़ा रद्द होने के बाद देश छोड़ दिया। उन्होंने अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में बताया कि कैसे साधारण राजनीतिक अभिव्यक्ति, जैसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करना, एक “डिस्टोपियन दुःस्वप्न” में बदल सकता है।

यह घटना ट्रम्प प्रशासन द्वारा विदेशी छात्रों और विश्वविद्यालयों पर बढ़ते दबाव के बीच हुई है, विशेष रूप से उन पर जो फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों में शामिल हैं। कोलंबिया विश्वविद्यालय, जो कई अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का घर है, इस सरकारी कार्रवाई का प्रमुख केंद्र बन गया है।

वीज़ा रद्दीकरण और देश छोड़ना

मार्च 2025 की शुरुआत में, अमेरिकी विदेश विभाग ने रंजनी श्रीनिवासन का वीज़ा रद्द कर दिया, यह आरोप लगाते हुए कि उन्होंने “हिंसा और आतंकवाद का समर्थन” किया है। हालांकि, उनके वकील, रामज़ी कासेम, ने इस कदम को उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया और कहा कि यह कार्रवाई उनके संरक्षित राजनीतिक भाषण के लिए की गई है।

वीज़ा रद्द होने के बाद, श्रीनिवासन ने 11 मार्च को स्वेच्छा से अमेरिका छोड़ दिया। उन्होंने अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में कहा कि उन्हें डर है कि साधारण राजनीतिक अभिव्यक्ति भी एक “डिस्टोपियन दुःस्वप्न” में बदल सकती है।

कोलंबिया विश्वविद्यालय पर बढ़ता दबाव

कोलंबिया विश्वविद्यालय हाल ही में कई सरकारी कार्रवाइयों का सामना कर रहा है। ट्रम्प प्रशासन ने विश्वविद्यालय पर यह आरोप लगाते हुए $400 मिलियन की संघीय फंडिंग रोक दी है कि उन्होंने यहूदी छात्रों के खिलाफ उत्पीड़न को रोकने में विफलता दिखाई है। इसके अलावा, न्याय विभाग यह जांच कर रहा है कि क्या विश्वविद्यालय ने “अवैध विदेशी” छात्रों को छिपाया है।

अन्य छात्रों पर कार्रवाई

श्रीनिवासन के अलावा, अन्य अंतर्राष्ट्रीय छात्रों पर भी कार्रवाई की गई है। मह्मूद खलील, एक अन्य कोलंबिया छात्र, को राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम के रूप में हिरासत में लिया गया है, जबकि लेक़ा कोर्डिया, एक फिलिस्तीनी छात्रा, को वीज़ा अवधि समाप्त होने के बाद गिरफ्तार किया गया है। इन कार्रवाइयों से विश्वविद्यालय परिसर में तनाव बढ़ गया है और प्रशासन पर दबाव बढ़ा है कि वे संघीय नियमों का पालन करें।

शैक्षणिक स्वतंत्रता पर प्रभाव

इन घटनाओं ने शैक्षणिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। कोलंबिया विश्वविद्यालय के अंतरिम अध्यक्ष, कैटरीना आर्मस्ट्रांग, ने कहा कि विश्वविद्यालय कानून का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है, जबकि अपने समुदाय के सदस्यों का समर्थन भी करता है। हालांकि, प्रशासन की मांग है कि विश्वविद्यालय अपनी आंतरिक नीतियों में परिवर्तन करे, जिससे आगे की प्रतिबंधों से बचा जा सके।

रंजनी श्रीनिवासन की कहानी और कोलंबिया विश्वविद्यालय पर हालिया सरकारी कार्रवाइयाँ एक व्यापक बहस को उजागर करती हैं: शैक्षणिक संस्थानों में राजनीतिक अभिव्यक्ति की सीमाएँ क्या होनी चाहिए, और सरकार को किस हद तक हस्तक्षेप करने का अधिकार है। यह घटनाक्रम न केवल अमेरिकी शैक्षणिक संस्थानों के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सुरक्षा के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

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