Kolkata’s Air Pollution: कोलकाता, जिसे स्नेहपूर्वक ‘सिटी ऑफ जॉय’ कहा जाता है, आज वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। हाल की रिपोर्टों के अनुसार, 2024 में कोलकाता की वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार देखा गया, लेकिन यह अभी भी भारत के महानगरों में दिल्ली के बाद दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बना हुआ है। यह स्थिति चिंताजनक है, विशेषकर जब हम जानते हैं कि कोलकाता में अन्य महानगरों की तुलना में उद्योग और वाहनों की संख्या कम है। इस लेख में, हम कोलकाता में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों, इसके प्रभावों और संभावित समाधानों पर चर्चा करेंगे।
वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण
वाहन उत्सर्जन: हालांकि कोलकाता में वाहनों की संख्या अन्य महानगरों की तुलना में कम है, लेकिन पुराने और प्रदूषणकारी वाहनों का उपयोग अभी भी जारी है। ये वाहन हानिकारक गैसों और कण पदार्थों का उत्सर्जन करते हैं, जो वायु गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।
निर्माण गतिविधियाँ: शहर में चल रही निर्माण परियोजनाएँ, विशेष रूप से अवसंरचना विकास, धूल और कण पदार्थों के प्रमुख स्रोत हैं। उचित धूल नियंत्रण उपायों की कमी से यह समस्या और बढ़ जाती है।
कचरा जलाना: घरेलू और औद्योगिक कचरे का खुले में जलाना, विशेषकर प्लास्टिक और अन्य हानिकारक पदार्थों का, वायु में विषाक्त पदार्थों की मात्रा बढ़ाता है।
पर्यावरणीय कारक: कोलकाता की भौगोलिक स्थिति और मौसम संबंधी परिस्थितियाँ, जैसे निम्न वायु प्रवाह और उच्च आर्द्रता, प्रदूषकों के फैलाव में बाधा डालती हैं, जिससे वायु गुणवत्ता प्रभावित होती है।
वायु प्रदूषण के प्रभाव
वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह श्वसन संबंधी बीमारियाँ, जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस, हृदय रोग, और यहां तक कि कैंसर का जोखिम बढ़ाता है। बच्चे, बुजुर्ग और पहले से बीमार लोग विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं। इसके अलावा, वायु प्रदूषण से दृश्यता में कमी, अम्लीय वर्षा, और पर्यावरणीय असंतुलन जैसी समस्याएँ भी उत्पन्न होती हैं।
संभावित समाधान
कोलकाता की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण: पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों के बजाय सौर, पवन और जल ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाना आवश्यक है। इससे वायु प्रदूषण में कमी आएगी और पर्यावरण संरक्षण में सहायता मिलेगी।
वाहन उत्सर्जन में कमी: पुराने और प्रदूषणकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाना चाहिए। इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करना, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को सुदृढ़ करना, और साइक्लिंग एवं पैदल चलने को बढ़ावा देना आवश्यक है।
निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण: निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के लिए उचित उपाय, जैसे पानी का छिड़काव, धूल अवरोधक लगाने, और सामग्री के उचित भंडारण को सुनिश्चित करना चाहिए।
कचरा प्रबंधन: कचरे के उचित निपटान के लिए ठोस कचरा प्रबंधन प्रणाली लागू करनी चाहिए। कचरे को जलाने से बचना चाहिए और पुनर्चक्रण को प्रोत्साहित करना चाहिए।
हरित क्षेत्र का विस्तार: शहर में अधिक से अधिक वृक्षारोपण और हरित क्षेत्रों का विकास करना चाहिए। पेड़-पौधे वायु में मौजूद प्रदूषकों को अवशोषित करते हैं और वायु गुणवत्ता में सुधार करते हैं।
जन जागरूकता: वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में जनता को जागरूक करना आवश्यक है। स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।
कठोर नियम और निगरानी: प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त नियम लागू करने और उनके पालन की निगरानी करने के लिए एक मजबूत तंत्र की आवश्यकता है।
कोलकाता की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। सरकार, उद्योग, और नागरिकों को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा। स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग, प्रदूषणकारी गतिविधियों पर नियंत्रण, और जन जागरूकता के माध्यम से हम कोलकाता को एक स्वस्थ और स्वच्छ शहर बना सकते हैं।