Stalin-Annamalai Language row: तमिलनाडु में भाषा नीति को लेकर एक बार फिर से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन पर आरोप लगाया है कि उनके परिवार द्वारा संचालित निजी स्कूलों में तीन भाषाओं की शिक्षा दी जाती है, जबकि सरकारी स्कूलों में तीन-भाषा नीति का विरोध किया जा रहा है। यह विवाद तब उभरा जब स्टालिन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भाषा नीति पर टिप्पणी की, जिसके जवाब में अन्नामलाई ने स्टालिन पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया।
Thiru @mkstalin, you are a con artist masquerading as a protector of our constitution & our federal structure. Usually, con artists scam the rich, but DMK shows no disparity; they scam both the rich and the poor.
The whole country now knows that the Chief Minister of Tamil… https://t.co/sEMKtxHT2J
— K.Annamalai (@annamalai_k) March 27, 2025
तीन-भाषा नीति का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
तमिलनाडु में भाषा को लेकर विवाद नया नहीं है। राज्य में दशकों से हिंदी और संस्कृत के थोपने के खिलाफ आंदोलन होते रहे हैं। 1937 में, तत्कालीन मद्रास प्रांत में हिंदी को अनिवार्य करने के प्रयासों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसके परिणामस्वरूप, 1940 में यह निर्णय वापस ले लिया गया। 1968 में, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन-भाषा फॉर्मूला पेश किया गया, जिसका तमिलनाडु ने विरोध किया और दो-भाषा नीति (तमिल और अंग्रेजी) को अपनाया। इस नीति के तहत, राज्य में छात्रों को केवल तमिल और अंग्रेजी की शिक्षा दी जाती है, जबकि अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी भी पढ़ाई जाती है।
नई शिक्षा नीति 2020 और तमिलनाडु की प्रतिक्रिया
2020 में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत नई शिक्षा नीति (एनईपी) में तीन-भाषा फॉर्मूला शामिल है, जिसमें छात्रों को तीन भाषाएं सीखने की बात कही गई है, जिनमें से कम से कम दो भारतीय मूल की होनी चाहिए। हालांकि, एनईपी में यह स्पष्ट किया गया है कि किसी भी राज्य पर कोई भाषा थोपने का दबाव नहीं होगा, और छात्र अपनी पसंद की भाषाएं चुन सकते हैं।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस नीति का विरोध करते हुए कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में स्कूलों में किसी भी भाषा को तीसरी भाषा के रूप में थोपना अनावश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों पर अतिरिक्त भाषाओं का बोझ नहीं डालना चाहिए, बल्कि उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
अन्नामलाई का आरोप और राजनीतिक प्रतिक्रिया
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने स्टालिन पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के परिवार द्वारा संचालित निजी स्कूलों में तीन भाषाएं पढ़ाई जाती हैं, जबकि सरकारी स्कूलों में तीन-भाषा नीति का विरोध किया जा रहा है। उन्होंने इसे दोहरा मापदंड बताते हुए कहा कि यह गरीब और अमीर छात्रों के बीच भेदभाव पैदा करता है। अन्नामलाई ने यह भी कहा कि स्टालिन का यह विरोध राज्य में कुशासन से ध्यान भटकाने का प्रयास है।
भविष्य की दिशा
तमिलनाडु में भाषा नीति को लेकर चल रहा यह विवाद राज्य की सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान से गहराई से जुड़ा हुआ है। जहां एक ओर राज्य सरकार अपनी भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए दो-भाषा नीति पर जोर देती है, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति बहुभाषावाद को प्रोत्साहित करती है। इस विवाद का समाधान संवाद और सहमति के माध्यम से ही संभव है, ताकि छात्रों के हितों की रक्षा हो सके और उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।
तमिलनाडु में तीन-भाषा नीति को लेकर चल रहा विवाद राज्य की भाषा, संस्कृति और राजनीति के जटिल ताने-बाने को दर्शाता है। यह आवश्यक है कि सभी पक्ष मिलकर एक ऐसा समाधान खोजें जो छात्रों के शैक्षणिक विकास को प्राथमिकता दे, साथ ही राज्य की सांस्कृतिक विरासत की भी रक्षा करे।