
Sikandar Movie Review: सलमान खान की नई फिल्म ‘सिकंदर’ को लेकर दर्शकों में काफी उत्साह था, लेकिन क्या यह फिल्म उस उत्साह पर खरी उतरती है? यह सवाल अब हर दर्शक और समीक्षक के मन में उठ रहा है। फिल्म के ट्रेलर ने भले ही जबरदस्त चर्चा बटोरी हो, लेकिन रिलीज़ के बाद इसकी समीक्षा कुछ खास उत्साहजनक नहीं रही। यह फिल्म एक्शन, ड्रामा और इमोशन्स से भरपूर है, लेकिन क्या यह सलमान खान की पुरानी फिल्मों की छाया मात्र है? आइए जानते हैं।
#OneWordReview…#Sikandar: DULL.
— taran adarsh (@taran_adarsh) March 30, 2025
Rating: ⭐️⭐️
A letdown… Screenplay, music, direction, even performances are lacklustre… Sky-high expectations from #SalmanKhan – #ARMurugadoss, but all that glitters is not gold! #SikandarReview#Sikandar is among #SalmanKhan's weakest… pic.twitter.com/JBY9kzoR4J
फिल्म की कहानी
‘सिकंदर’ की कहानी संजय राजकोट उर्फ सिकंदर (सलमान खान) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो परिस्थितियों से जूझते हुए खुद को साबित करने की कोशिश करता है। फिल्म में पारिवारिक संबंधों, संघर्ष और समाज में हो रहे अन्याय को उजागर करने की कोशिश की गई है। हालांकि, पटकथा कुछ ज्यादा ही पुरानी और घिसी-पिटी लगती है, जिससे दर्शकों को कुछ नया देखने को नहीं मिलता।
फिल्म में सलमान के अलावा रश्मिका मंदाना, सत्यराज, काजल अग्रवाल, शरमन जोशी और अंजिनी धवन भी अहम भूमिकाओं में हैं। लेकिन इन किरदारों को पर्याप्त गहराई नहीं दी गई, जिससे वे सिर्फ सपोर्टिंग रोल बनकर रह जाते हैं।
अभिनय और किरदारों का प्रदर्शन
सलमान खान का अभिनय इस फिल्म में कुछ खास नहीं है। वह अपने पुराने अंदाज में ही नज़र आते हैं और उनकी परफॉर्मेंस में वही घिसा-पिटा स्टाइल दिखता है, जिसे दर्शक अब तक कई फिल्मों में देख चुके हैं। उनका संवाद अदायगी और एक्शन सीन में एनर्जी की कमी साफ दिखती है।
रश्मिका मंदाना ने अपनी भूमिका में अच्छा प्रयास किया है, लेकिन उनकी और सलमान की जोड़ी असहज लगती है। दोनों के बीच की केमिस्ट्री में नयापन नहीं दिखता। प्रतीक बब्बर ने विलेन के रूप में अच्छा काम किया है, लेकिन उनका किरदार बहुत ज्यादा क्लिशे लगता है।
निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी
फिल्म का निर्देशन ए.आर. मुरुगादॉस ने किया है, जो एक समय पर बेहतरीन एक्शन फिल्मों के लिए जाने जाते थे। लेकिन ‘सिकंदर’ में उनका निर्देशन कुछ खास नहीं लगता। फिल्म का स्क्रीनप्ले कमजोर है और कई जगहों पर कहानी बेवजह लंबी खिंचती है।
सिनेमैटोग्राफी अच्छी है, लेकिन आज के समय में जब हर फिल्म में बेहतरीन वीएफएक्स और सिनेमैटिक लुक देखने को मिलता है, ‘सिकंदर’ उस स्तर तक नहीं पहुंच पाती। एक्शन सीक्वेंस भी पुराने जमाने की फिल्मों की तरह लगते हैं, जहां हीरो बिना किसी कठिनाई के दर्जनों गुंडों को हराता है।
संगीत और बैकग्राउंड स्कोर
फिल्म का संगीत औसत दर्जे का है। कोई भी गाना ऐसा नहीं है जो लंबे समय तक याद रहे। बैकग्राउंड स्कोर जरूर कुछ जगहों पर प्रभावशाली है, लेकिन पूरी फिल्म को बांधने में असफल रहता है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ
फिल्म की रिलीज़ के बाद सोशल मीडिया पर जमकर प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। कई लोग इसे सलमान खान की अब तक की सबसे कमजोर फिल्मों में से एक बता रहे हैं। वहीं, कुछ लोगों ने फिल्म को ‘पुरानी बोतल में नई शराब’ करार दिया है।
कई यूज़र्स ने इसकी तुलना ‘सालार’ जैसी फिल्मों से की और इसे उनकी सस्ती कॉपी बताया। सलमान के फैंस जरूर फिल्म का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन न्यूट्रल दर्शकों को यह फिल्म खास पसंद नहीं आ रही।
क्या सलमान खान को अब ब्रेक लेना चाहिए?
सलमान खान की पिछली कुछ फिल्में – ‘राधे’, ‘किसी का भाई किसी की जान’ और ‘टाइगर 3’ – भी बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं कर पाईं। उनके फैंस अब भी उनकी फिल्मों को देखने थिएटर में आ रहे हैं, लेकिन आलोचकों का मानना है कि सलमान को अब अपनी फिल्म चॉइस पर पुनर्विचार करना चाहिए।
उनकी फिल्मों में नयापन और दमदार कंटेंट की कमी साफ दिख रही है। जब शाहरुख खान और आमिर खान जैसे सितारे अपनी फिल्मों में एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं, तो सलमान खान क्यों नहीं? सिर्फ फॉर्मूला बेस्ड फिल्मों से अब काम नहीं चलेगा। दर्शक अब कंटेंट को ज्यादा तवज्जो देने लगे हैं और सलमान को भी इस बदलाव को स्वीकार करना होगा।
अगर आप सलमान खान के कट्टर फैन हैं, तो यह फिल्म एक बार देखी जा सकती है। लेकिन यदि आप कंटेंट और परफॉर्मेंस को ज्यादा अहमियत देते हैं, तो ‘सिकंदर’ आपको निराश कर सकती है।
सलमान खान को अब नई कहानियों और अच्छे डायरेक्टर्स के साथ काम करने की जरूरत है। अन्यथा, उनका स्टारडम भी धीरे-धीरे खत्म हो सकता है। क्या ‘सिकंदर’ उनके करियर के लिए एक चेतावनी है? यह तो समय ही बताएगा।