PM Modi visits Sri Lanka: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया श्रीलंका यात्रा ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में एक नए युग की शुरुआत की है। यह यात्रा सिर्फ कूटनीतिक लिहाज़ से ही नहीं, बल्कि रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण रही। श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में प्रधानमंत्री मोदी का जिस गर्मजोशी और सम्मान के साथ स्वागत किया गया, वह अपने आप में एक विशेष संकेत था कि भारत-श्रीलंका संबंध अब एक नई गति पकड़ चुके हैं।
#WATCH | Colombo | Prime Minister Narendra Modi says, "Tamil saint Thiruvalluvar said – what could be bigger protection against the enemy if not the shield of a true friend and his friendship? President Anura Kumara Dissanayake had chosen India for his first foreign visit. Today,… pic.twitter.com/GoD3d1Bg3O
— ANI (@ANI) April 5, 2025
कोलंबो में भव्य स्वागत, ऐतिहासिक महत्व
शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी जब कोलंबो पहुंचे, तो बंदरानायके अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर श्रीलंका के पांच वरिष्ठ मंत्रियों ने उनका स्वागत किया। इनमें विदेश मंत्री विजीथा हेराथ, स्वास्थ्य मंत्री नालिंदा जयतिसा और मत्स्य मंत्री रामलिंगम चंद्रशेखर जैसे शीर्ष नेता शामिल थे। शनिवार को उन्हें कोलंबो के ऐतिहासिक इंडिपेंडेंस स्क्वायर में औपचारिक सैन्य सम्मान भी दिया गया, जहां श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुर कुमार डिसानायके ने उनका व्यक्तिगत रूप से स्वागत किया।
यह स्वागत श्रीलंका द्वारा किसी विदेशी नेता को दिया गया एक दुर्लभ सम्मान था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत को श्रीलंका एक रणनीतिक भागीदार के रूप में कितनी अहमियत देता है।
ऊर्जा क्षेत्र में व्यापक साझेदारी: सौर ऊर्जा से लेकर गैस पाइपलाइन तक
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा का सबसे बड़ा फोकस ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना रहा। भारत ने श्रीलंका को तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) की स्थायी आपूर्ति देने की योजना का ऐलान किया। इसके साथ ही दोनों देशों के पावर ग्रिड को जोड़ने की दिशा में भी तेज़ी से काम किया जाएगा ताकि ऊर्जा की आपसी निर्भरता को मज़बूती मिले।
प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल माध्यम से श्रीलंका के पूर्वी क्षेत्र में स्थापित की जा रही 120 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना का उद्घाटन भी किया। यह परियोजना केवल ऊर्जा उत्पादन नहीं बल्कि श्रीलंका के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। 2022 में आए ऊर्जा संकट के बाद यह प्रयास विशेष रूप से महत्वपूर्ण बन जाता है।
रक्षा और समुद्री सुरक्षा में गहराई
भारत और श्रीलंका ने एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत भारत श्रीलंका की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में सहयोग करेगा। इसमें हथियारों की आपूर्ति, प्रशिक्षण, और सामुद्रिक सुरक्षा में संयुक्त अभ्यास जैसी पहल शामिल हैं। यह कदम हिंद महासागर क्षेत्र में दोनों देशों की सामूहिक सुरक्षा के लिए अहम माना जा रहा है, खासकर चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए।
आर्थिक सहयोग और निवेश: श्रीलंका में आदानी ग्रुप का विस्तार
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-श्रीलंका आर्थिक संबंधों को नई गति देने के लिए निवेश, व्यापार और आधारभूत संरचना पर जोर दिया। श्रीलंका ने खुले तौर पर भारत से निवेश का स्वागत किया है। आदानी समूह की श्रीलंका में बंदरगाह और ऊर्जा परियोजनाओं में भागीदारी इसका बड़ा उदाहरण है।
भारत के UPI डिजिटल पेमेंट सिस्टम को श्रीलंका में लागू करने की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे दोनों देशों के नागरिकों को लेन-देन में सुविधा होगी और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
तमिल समुदाय के प्रति समर्थन: संवेदनशील मुद्दे पर संतुलित रुख
प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका के तमिल समुदाय की आकांक्षाओं का सम्मान करते हुए कहा कि भारत एक ऐसा राजनीतिक समाधान चाहता है जो श्रीलंका की एकता और अखंडता को कायम रखते हुए तमिल समुदाय को न्याय और समानता प्रदान करे। यह भारत की पारंपरिक नीति का हिस्सा है जो हमेशा श्रीलंका की क्षेत्रीय संप्रभुता का सम्मान करते हुए तमिल समुदाय के हितों की भी बात करता आया है।
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों पर भी ज़ोर
मोदी सरकार ने बुद्धिस्ट सर्किट को और मजबूत करने, बौद्ध स्थलों के संरक्षण और रामायण ट्रेल को बढ़ावा देने के लिए सहयोग देने की बात कही। यह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जुड़ाव दोनों देशों के लोगों को करीब लाने का काम करेगा।
भारत-श्रीलंका संबंधों का नया युग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत और श्रीलंका के संबंध अब पारंपरिक सीमाओं को पार कर रणनीतिक साझेदारी की ओर बढ़ रहे हैं। यह यात्रा ऊर्जा, रक्षा, आर्थिक और सांस्कृतिक सभी मोर्चों पर नई संभावनाओं के द्वार खोलती है।
इस ऐतिहासिक यात्रा ने यह भी साबित किया है कि भारत न केवल एक भरोसेमंद पड़ोसी है बल्कि वह देश है जो संकट के समय भी अपने मित्र देशों के साथ मजबूती से खड़ा रहता है। श्रीलंका जैसे देश के लिए यह रिश्ता न केवल वर्तमान की ज़रूरत है बल्कि भविष्य की आशा भी है।
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