USA Protests: 6 अप्रैल, 2025 को दुनियाभर में एक अनोखा नजारा देखने को मिला, जब “हैंड्स ऑफ!” नामक विरोध प्रदर्शनों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अरबपति एलन मस्क के खिलाफ लोगों का गुस्सा उजागर किया। इन प्रदर्शनों में नारे कुछ इस तरह थे- “अमीरों पर टैक्स लगाओ, पेंगुइन पर नहीं!” यह मजेदार और व्यंग्यात्मक नारा न सिर्फ लोगों का ध्यान खींच रहा है, बल्कि ट्रंप प्रशासन की नीतियों और मस्क के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव पर सवाल भी उठा रहा है। आइए, इस पूरे मामले को समझते हैं कि आखिर ये प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं और इनका मकसद क्या है।
Thousands rally in Washington DC against Trump, Musk
— Mr. Wani (@Mrwaani) April 6, 2025
The so-called "Hands Off!" protest is taking place across the US against the policies of the current administration.
–#TrumpTariffs #stockmarketcrash #America pic.twitter.com/sWOCMezStd
“हैंड्स ऑफ!” प्रदर्शन: एक वैश्विक आंदोलन
“हैंड्स ऑफ!” प्रदर्शन कोई छोटा-मोटा आयोजन नहीं था। अमेरिका के 50 राज्यों में 1,200 से ज्यादा जगहों पर और यूरोप के बड़े शहरों जैसे लंदन, पेरिस और बर्लिन में हजारों लोग सड़कों पर उतरे। न्यूयॉर्क से लॉस एंजिल्स और वाशिंगटन डीसी से शिकागो तक, प्रदर्शनकारियों ने ट्रंप और मस्क की नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। खास बात यह थी कि ये विरोध सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वैश्विक एकजुटता का प्रतीक बन गया।
लंदन में प्रदर्शनकारियों ने ट्रंप के चेहरे वाला टॉयलेट ब्रश लहराया, तो वाशिंगटन में पेंगुइन के कार्टून वाले पोस्टर दिखे। इन नारों और संदेशों में हास्य था, लेकिन इसके पीछे का संदेश गंभीर था। लोग ट्रंप की व्यापार नीतियों, विशेष रूप से हाल ही में लगाए गए टैरिफ (आयात कर), और मस्क की सरकार में बढ़ती दखलंदाजी से नाराज हैं।
पेंगुइन और टैरिफ का कनेक्शन
आप सोच रहे होंगे कि पेंगुइन का इन सब से क्या लेना-देना? दरअसल, ट्रंप ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के हर्ड और मैकडोनाल्ड द्वीपों पर 10% टैरिफ लगाने का ऐलान किया। ये द्वीप अंटार्कटिका के पास हैं और वहां कोई इंसान नहीं रहता, सिर्फ पेंगुइन और सील जैसे जीव हैं। इस फैसले ने लोगों को हैरान कर दिया और सोशल मीडिया पर पेंगुइन मेम्स की बाढ़ आ गई। एक मीम में पेंगुइन को ट्रंप के साथ ओवल ऑफिस में दिखाया गया, तो दूसरे में लिखा था, “पेंगुइन ने हमें ठगा है।”
ट्रंप ने इसे “लिबरेशन डे” करार देते हुए दावा किया कि ये टैरिफ अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करेंगे। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ेगा और वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है। प्रदर्शनकारियों ने इस नीति को “बेतुका” बताते हुए कहा कि ट्रंप और मस्क मिलकर आम लोगों की जेब पर डाका डाल रहे हैं।
मस्क का रोल: अरबपति प्रभाव का विरोध
एलन मस्क, जो टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक हैं, ट्रंप प्रशासन में “डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी” (DOGE) के प्रमुख बनाए गए हैं। मस्क का दावा है कि वो सरकारी खर्च में कटौती करके अरबों डॉलर बचाएंगे। लेकिन प्रदर्शनकारी इसे “अरबपतियों का सत्ता पर कब्जा” करार दे रहे हैं। मस्क के नेतृत्व में हजारों सरकारी कर्मचारियों की छंटनी हुई, सोशल सिक्योरिटी ऑफिस बंद किए गए और कई एजेंसियों को प्रभावी रूप से खत्म कर दिया गया।
वाशिंगटन में एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “ये लोग हमारी हेल्थकेयर, नौकरियां और डेटा छीन रहे हैं।” टेस्ला डीलरशिप के बाहर भी विरोध हुए, जहां लोग “एलन मस्क को जाना होगा” जैसे नारे लगा रहे थे। मस्क के खिलाफ गुस्सा इसलिए भी है क्योंकि उनकी नीतियां सामाजिक सुरक्षा, मेडिकेयर और ट्रांसजेंडर अधिकारों जैसे मुद्दों को नुकसान पहुंचा रही हैं।
“अमीरों पर टैक्स” की मांग क्यों?
“अमीरों पर टैक्स लगाओ, पेंगुइन पर नहीं” का नारा सिर्फ मजाक नहीं है। इसके पीछे एक गहरी नाराजगी है कि ट्रंप और मस्क जैसे अरबपति अपनी संपत्ति बढ़ाने में लगे हैं, जबकि आम लोग आर्थिक तंगी झेल रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार को बड़े कॉरपोरेशंस और अमीरों पर टैक्स बढ़ाना चाहिए, न कि ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जो मध्यम वर्ग को नुकसान पहुंचाएं।
फ्लोरिडा के पाम बीच गार्डन्स में एक रिटायर्ड नागरिक ने कहा, “हमारी सोशल सिक्योरिटी को हाथ मत लगाओ।” वहीं, शिकागो में मजदूर संगठन के नेता ने मस्क और ट्रंप पर “लालच और सत्ता की भूख” का आरोप लगाया। इन प्रदर्शनों में महिलाएं, एलजीबीटीक्यू+ समुदाय, वेटरन्स और युवा- हर वर्ग के लोग शामिल थे।
ट्रंप का जवाब और भविष्य
व्हाइट हाउस ने इन प्रदर्शनों पर जवाब देते हुए कहा, “ट्रंप हमेशा सोशल सिक्योरिटी और मेडिकेयर की रक्षा करेंगे। डेमोक्रेट्स अवैध प्रवासियों को फायदा पहुंचाकर इन योजनाओं को बर्बाद कर रहे हैं।” लेकिन प्रदर्शनकारी इसे “खोखला वादा” मानते हैं। उनका कहना है कि ट्रंप और मस्क की नीतियां देश को “फासीवादी राज्य” की ओर ले जा रही हैं।
आने वाले दिनों में ये आंदोलन और तेज हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर टैरिफ और सरकारी कटौती जारी रही, तो अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा और जनता का गुस्सा बढ़ेगा। सोशल मीडिया पर #HandsOff ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग अपनी राय और मेम्स शेयर कर रहे हैं।
“हैंड्स ऑफ!” प्रदर्शन सिर्फ एक दिन का शोर नहीं है, बल्कि एक बड़े बदलाव की शुरुआत हो सकता है। “अमीरों पर टैक्स लगाओ, पेंगुइन पर नहीं” जैसे नारे न सिर्फ हंसी-मजाक का हिस्सा हैं, बल्कि एक गंभीर संदेश भी दे रहे हैं- सत्ता और संपत्ति का दुरुपयोग बंद हो। ट्रंप और मस्क के लिए ये चुनौती आसान नहीं होगी।
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