Trump Tariffs

Donald Trump on Tariffs: डोनाल्ड ट्रंप अपने टैरिफ प्लान पर कायम, वैश्विक बाजारों में मची उथल-पुथल

Donald Trump on Tariffs: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने विवादित आर्थिक फैसलों को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने हाल ही में यह साफ कर दिया है कि वे आयात शुल्क (टैरिफ) से पीछे हटने वाले नहीं हैं, चाहे इससे वैश्विक बाजारों में कितना भी हलचल क्यों न हो। ट्रंप ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब अमेरिकी और वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की जा रही है।

“दवा लेनी पड़ती है” – ट्रंप की टिप्पणी

ट्रंप ने बाजारों की गिरावट पर टिप्पणी करते हुए कहा, “कभी-कभी आपको कोई चीज़ ठीक करने के लिए दवा लेनी पड़ती है।” इस एक बयान में उनका पूरा नजरिया झलकता है – अल्पकालिक कष्ट सहना पड़े, तो भी दीर्घकालिक लाभ के लिए यह जरूरी है। ट्रंप का मानना है कि अमेरिका को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए यह कठोर कदम उठाना जरूरी है।

टैरिफ का असर: वैश्विक बाजारों में भारी गिरावट

ट्रंप की टैरिफ नीति के ऐलान के तुरंत बाद दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी बाजार के साथ-साथ यूरोप और एशिया के बड़े बाजारों में भी भारी नुकसान हुआ। जर्मनी का DAX, फ्रांस का CAC, ब्रिटेन का FTSE और जापान का Nikkei सूचकांक नीचे गिर गए। ताइवान, दक्षिण कोरिया और भारत जैसे देशों के निवेशकों में भी चिंता की लहर दौड़ गई।

अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा पर प्रभाव

इन टैरिफ का असर केवल शेयर बाजारों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अमेरिका की स्वास्थ्य सेवाओं को भी प्रभावित कर सकता है। अमेरिका बड़ी मात्रा में दवाएं और मेडिकल उपकरण चीन, भारत, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों से आयात करता है। टैरिफ बढ़ने से दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं और इससे आम अमेरिकी नागरिकों पर सीधा असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इससे पहले से जारी दवाओं की कमी और भी गंभीर हो सकती है।

आर्थिक विशेषज्ञों की राय: “आर्थिक परमाणु सर्दी” की चेतावनी

प्रसिद्ध निवेशक बिल एकमैन ने ट्रंप की टैरिफ नीति को ‘आर्थिक परमाणु सर्दी’ करार दिया है। उनका मानना है कि इन शुल्कों से उपभोक्ता खर्च और निवेश में भारी गिरावट आएगी, जिससे अमेरिका ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया मंदी की चपेट में आ सकती है। उन्होंने ट्रंप से आग्रह किया कि वे कम से कम 90 दिनों के लिए इन शुल्कों को रोक दें, ताकि बाजारों को स्थिरता मिल सके।

राजनीतिक संकेत और रणनीति

ट्रंप के इस कदम को केवल आर्थिक नहीं, बल्कि एक राजनीतिक रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है। वे 2024 के राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं, और अमेरिका फर्स्ट की नीति को फिर से प्रमुखता देने की कोशिश कर रहे हैं। उनके समर्थक इसे अमेरिका की आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाया गया साहसिक कदम मानते हैं।

क्या यह दवा असरदार होगी?

ट्रंप की यह नीति कितनी कारगर होगी, इसका पता समय ही बताएगा। यदि उनके टैरिफ प्लान से घरेलू उद्योगों को संरक्षण मिलता है और रोजगार बढ़ते हैं, तो यह उनके लिए राजनीतिक रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है। लेकिन अगर इससे महंगाई, बेरोजगारी और वैश्विक मंदी जैसी समस्याएं गहराती हैं, तो यह कदम उल्टा पड़ सकता है।

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति ने एक बार फिर वैश्विक अर्थव्यवस्था को झकझोर दिया है। जहां एक ओर वे इसे अमेरिका के आर्थिक हित में उठाया गया कदम बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञ इसे खतरनाक प्रयोग मान रहे हैं। निवेशकों, कंपनियों और आम नागरिकों के लिए आने वाले महीने बेहद महत्वपूर्ण होने वाले हैं। टैरिफ की यह ‘दवा’ असरदार होगी या कड़वी साबित होगी – यह देखना बाकी है।

और अधिक समाचारों के लिए पढ़ते रहें जनविचार

Admin

Kiran Mankar - Admin & Editor, Jana Vichar.Kiran manages and curates content for Jana Vichar, a platform dedicated to delivering detailed, trending news from India and around the world. Passionate about journalism, technology, and the evolving landscape of human relationships, Kiran ensures that every story is engaging, insightful, and relevant. With a focus on accuracy and a human-centered approach, Kiran strives to keep readers informed with meaningful news coverage.

View all posts by Admin →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *