UP woman marries school student: उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले से एक हैरान करने वाला लेकिन चर्चा का विषय बना मामला सामने आया है। एक 30 वर्षीय महिला, जो दो बार पहले शादी कर चुकी हैं और तीन बच्चों की मां हैं, ने एक बार फिर प्यार की तलाश पूरी की। इस बार उन्होंने एक 12वीं कक्षा के छात्र से विवाह कर लिया है।
UP के अमरोहा से प्यार का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां 3 बच्चों की मां ने अपने पति को तलाक देकर और 12वीं में पढ़ने वाले छात्र से विवाह कर लिया।
— Dilip (@Dilip82073) April 9, 2025
शबनम ने 12वीं कक्षा के छात्र शिवा से शादी की और अपना नाम भी बदलकर शिवानी रख लिया. साथ ही बताया कि उसने अपनी मर्जी से शादी की है और… pic.twitter.com/zYG2aAQmko
इस विवाह से पहले महिला ने इस्लाम धर्म त्याग कर हिंदू धर्म अपना लिया और अपना नाम शबनम से बदलकर शिवानी रख लिया। यह शादी अमरोहा जिले के एक मंदिर में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार संपन्न हुई।
धार्मिक बदलाव और विवाह का सिलसिला
सर्कल अधिकारी दीप कुमार पंत के अनुसार, महिला एक अनाथ हैं और इससे पहले उनकी दो बार शादी हो चुकी थी। उनके तीन बच्चे भी हैं। शिवानी ने दावा किया कि उन्होंने यह विवाह अपनी इच्छा से किया है और इसमें कोई दबाव नहीं है।
हालांकि इस शादी और धर्म परिवर्तन को लेकर सोशल मीडिया और स्थानीय लोगों में तीखी बहस छिड़ गई है। कई लोग इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का प्रतीक मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ बता रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन कानून
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2021 में ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम’ लागू किया था। इस कानून के तहत जबरन, धोखे या किसी लालच से धर्म परिवर्तन करना अपराध माना जाता है।
इस अधिनियम के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे प्रशासन को सूचित करना अनिवार्य है और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता, तो संबंधित व्यक्ति और जिससे विवाह किया जा रहा है, दोनों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
इस घटना का सामाजिक दृष्टिकोण
इस विवाह ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या समाज अब भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को पूरी तरह स्वीकार कर पाया है या नहीं।
शिवानी का कहना है कि उन्होंने यह फैसला खुद की मर्जी से लिया और उन्हें अपने नए जीवनसाथी से खुशी मिली है। वहीं कुछ लोगों को यह भी चिंता है कि क्या एक 12वीं कक्षा का छात्र, जो अभी शिक्षा पूरी कर रहा है, विवाह जैसे गंभीर रिश्ते के लिए तैयार है या नहीं।
कानूनी और नैतिक पहलू
हालांकि इस विवाह में उम्र का अंतर और एक नाबालिग की शादी का मामला भी ध्यान देने योग्य है। भारत में विवाह की न्यूनतम उम्र पुरुषों के लिए 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 वर्ष निर्धारित की गई है। यदि यह छात्र 18 वर्ष से कम आयु का है, तो यह विवाह कानून के तहत अवैध माना जा सकता है।
यदि इस मामले में लड़का बालिग नहीं है, तो पुलिस जांच के बाद आगे की कानूनी प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। वहीं, अगर दोनों पक्षों की आयु कानूनी मानदंडों के अनुसार है और धर्म परिवर्तन प्रक्रिया सही ढंग से पूरी की गई है, तो यह विवाह मान्य हो सकता है।
क्या यह प्रेम की जीत है?
भले ही यह मामला विवादों में घिरा हो, लेकिन इसमें एक बात साफ दिखती है—यह प्रेम की तलाश और सामाजिक बंधनों से ऊपर उठने की एक कोशिश है। ऐसे मामलों में समाज की भूमिका यह होनी चाहिए कि वह बिना पूर्वग्रह के स्थिति को समझे और इंसान की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान करे।
धर्म परिवर्तन और अंतरधार्मिक विवाह आज भी भारतीय समाज में संवेदनशील मुद्दे हैं। जबरन धर्म परिवर्तन रोकने के लिए कानून जरूरी हैं, लेकिन साथ ही यह भी आवश्यक है कि उन्हें व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के हथियार के रूप में न इस्तेमाल किया जाए।
यह मामला न केवल कानून, बल्कि समाज की सोच और प्रेम की परिभाषा को भी चुनौती देता है।
अधिक समाचारों के लिए पढ़ते रहें जनविचार।