Pahalgam Terrorist Attack: जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बैसारन घाटी में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस दिल दहला देने वाली घटना में 26 निर्दोष पर्यटकों की बेरहमी से हत्या कर दी गई, जिसने कश्मीर घाटी में भय और आक्रोश की लहर दौड़ा दी। इसके बाद केंद्र और राज्य सरकारों ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक अभियान छेड़ दिया है।
Swift Justice Delivered
— Oxomiya Jiyori 🇮🇳 (@SouleFacts) April 26, 2025
In a decisive action, houses of 3 Pahalgam terrorists were demolished across Anantnag, Awantipora, and Pulwama — with more to follow. Families were evacuated with essential belongings before the structures were reduced to rubble.
A stern reminder: those… pic.twitter.com/wa4niWBrhS
हमले की भयानक तस्वीर
22 अप्रैल को दोपहर के समय जब बैसारन घाटी अपने खूबसूरत नजारों के बीच सैलानियों से गुलजार थी, तभी अज्ञात बंदूकधारियों ने अचानक अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। हमला बेहद योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया था, ताकि ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो सके। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावर पहाड़ों की ओट लेकर आए थे और पर्यटकों पर गोलियों की बौछार कर दी।
कुछ ही मिनटों में घाटी चीखों और अफरा-तफरी से भर गई। घायल पर्यटकों को नजदीकी अस्पतालों में ले जाया गया, लेकिन कई ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। मृतकों में ज्यादातर उत्तर भारत के राज्यों से आए पर्यटक थे, जो वसंत ऋतु का आनंद लेने कश्मीर पहुँचे थे।
इस हमले की जिम्मेदारी ‘The Resistance Front’ (TRF) ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा एक आतंकी संगठन माना जाता है। TRF के तेजी से उभरते नेटवर्क को लेकर पहले भी सुरक्षा एजेंसियां चिंतित थीं।
केंद्र सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया
घटना के तुरंत बाद केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को जांच का जिम्मा सौंपा। केंद्रीय गृहमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। आतंकवाद के समर्थकों और संरक्षकों पर भी कड़ी कार्रवाई होगी।”
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) की देखरेख में एक उच्चस्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया, जिसमें खुफिया एजेंसियां, सेना, अर्धसैनिक बल और जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारी शामिल हैं। इस टास्क फोर्स ने तुरंत ऑपरेशन ‘सफाया’ शुरू किया।
आतंकियों के खिलाफ ज़ोरदार कार्रवाई
इस हमले के बाद, आतंकियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर तलाशी और कार्रवाई शुरू हुई। अभी तक 60 से अधिक स्थानों पर छापेमारी हो चुकी है और 150 से अधिक संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है।
सबसे बड़ी कार्रवाई उन आतंकियों के खिलाफ हुई, जो हमले के समय घाटी में सक्रिय थे। अधिकारियों ने बताया कि:
- शोपियां जिले के वांडीना गाँव में अदनान शफी का घर ध्वस्त कर दिया गया। अदनान ने पिछले वर्ष आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ाव किया था और पहलगाम हमले की साजिश में भी उसका नाम सामने आया है।
- पुलवामा में आमिर नजीर का घर तोड़ा गया, जो एक सक्रिय आतंकी है और हमले के बाद से फरार है।
- बांदीपोरा में जमील अहमद शेरगोजरी, जो 2016 से लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम कर रहा था, का मकान भी बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया।
यह कार्रवाई दर्शाती है कि सरकार अब केवल आतंकियों को ही नहीं, बल्कि उनके आश्रयदाताओं और सहायता नेटवर्क को भी खत्म करने के लिए संकल्पित है।
NIA की गहन जांच
NIA की शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, हमले की साजिश पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में रची गई थी। TRF के मॉड्यूल ने घाटी के भीतर लोकल गाइड्स और सहायक नेटवर्क के जरिये हमले की योजना बनाई। अब तक 12 संदिग्धों के खिलाफ ठोस सबूत मिल चुके हैं, और जल्द ही उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाएगी।
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि आतंकियों को ड्रोन के जरिये हथियार और गोला-बारूद मुहैया कराया गया था। घाटी में बढ़ती ड्रोन गतिविधियों पर भी अब विशेष निगरानी रखी जा रही है।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन और कड़ी निंदा
अमेरिका, फ्रांस, इजराइल और कई अन्य देशों ने इस जघन्य हमले की कड़ी निंदा की और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा, “हम आतंकवाद के खिलाफ भारत के संघर्ष में उसके साथ खड़े हैं।”
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भी इस घटना पर गहरी चिंता जताई और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर एकजुट प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।
घाटी में जनता का गुस्सा और चिंता
कश्मीर के आम नागरिक भी इस हमले से बेहद आहत हैं। स्थानीय लोग आतंकवाद को घाटी की शांति और आर्थिक विकास के लिए सबसे बड़ा खतरा मानते हैं। कई स्थानों पर नागरिकों ने कैंडल मार्च निकालकर मृतकों को श्रद्धांजलि दी और आतंक के खिलाफ आवाज उठाई।
जुनैद डार, जो एक होटल में काम करते हैं, कहते हैं, “हमारी रोज़ी-रोटी पर्यटन पर निर्भर है। ये हमले हमारी जिंदगी को बर्बाद कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि दोषियों को कड़ी सजा मिले।”
कई स्थानीय व्यापार मंडलों ने आतंकियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का समर्थन किया और सरकार से मांग की कि घाटी में स्थायी शांति स्थापित की जाए।
रणनीतिक बदलाव और भविष्य की योजना
सरकार अब कश्मीर में आतंक के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” नीति के तहत काम कर रही है। सुरक्षा बलों को खुली छूट दी गई है कि वे आतंकवादियों, उनके मददगारों और आतंक समर्थक नेटवर्क को पूरी तरह से नष्ट कर दें।
इसके तहत:
- आतंकी संगठनों से जुड़े संपत्तियों को जब्त और ध्वस्त करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
- ड्रोन और डिजिटल सर्विलांस को अपग्रेड किया जा रहा है।
- स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार और शिक्षा के अवसर बढ़ाए जा रहे हैं, ताकि उन्हें कट्टरपंथी विचारधारा से दूर रखा जा सके।
- सीमावर्ती इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा चौकियों और बाड़बंदी को मजबूत किया जा रहा है।
एक नई शुरुआत की ओर
पहलगाम का यह दर्दनाक हमला एक बार फिर हमें याद दिलाता है कि आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है। लेकिन इस हमले के बाद जिस तरह से सरकार, सुरक्षा बल, और घाटी के आम लोग एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ खड़े हुए हैं, वह एक नई आशा की किरण जगाता है।
जम्मू-कश्मीर अब उस मोड़ पर है जहाँ निर्णायक कार्रवाई से स्थायी शांति का रास्ता खुल सकता है। जरूरी है कि यह अभियान सिर्फ जवाबी कार्रवाई तक सीमित न रहे, बल्कि एक स्थायी रणनीति के तहत आतंकवाद की जड़ों को पूरी तरह से उखाड़ फेंका जाए।
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