Omar Abdullah in Assambly: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के पास बैसरन घाटी में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को गहरे सदमे में डाल दिया। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे। यह हमला इसलिए भी और अधिक पीड़ादायक था क्योंकि ये लोग वहां छुट्टियां बिताने और कश्मीर की खूबसूरती का आनंद लेने आए थे।
An important statement by Omar Abdullah. This is not the time to demand statehood. Not when 26 innocents have been murdered by terrorists. Solid change in Abdullah’s politics. The events of 2019 changed everything.
— Shubhangi Sharma (@ItsShubhangi) April 28, 2025
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इस दर्दनाक घटना के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस सत्र में एक बेहद भावुक भाषण दिया, जिसने हर किसी को अंदर तक झकझोर दिया। उमर अब्दुल्ला ने अपने संबोधन में कहा, “मैंने ही इन पर्यटकों को यहां आमंत्रित किया था। मैंने ही कहा था कि कश्मीर आज भी खूबसूरत और सुरक्षित है। आज जब ये हमला हुआ है, तो मुझे लगता है कि मैंने अपने ही देशवासियों के साथ विश्वासघात किया है।”
उमर अब्दुल्ला ने हर शहीद का नाम और उनका गृह राज्य पढ़ा, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह हमला किसी एक समुदाय या क्षेत्र के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे भारत के खिलाफ था। उन्होंने कहा कि उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से पश्चिम तक पूरा देश इस जघन्य कृत्य का शिकार हुआ है।
हमले की भयावहता और निर्ममता
बैसरन घाटी में हुए इस हमले की कहानी सुनकर रूह कांप उठती है। हमलावर पारंपरिक कश्मीरी पोशाकों में आए थे ताकि वे स्थानीय लोगों में घुलमिल जाएं। उन्होंने बड़ी चालाकी से पर्यटकों को महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के समूहों में बांटा। जिन पुरुषों से इस्लामी प्रार्थना पढ़ने को कहा गया और जो नहीं पढ़ सके, उन्हें बेरहमी से गोली मार दी गई। इस अमानवीय घटना ने पूरे देश को गुस्से और दुःख से भर दिया।
इस हमले में भारतीय वायुसेना और नौसेना के सेवारत और पूर्व अधिकारी, खुफिया ब्यूरो का एक अधिकारी, और एक स्थानीय मुस्लिम पोनी ऑपरेटर भी शहीद हुआ, जो पर्यटकों की सेवा कर रहा था।
विधानसभा में एकजुटता का संदेश
हमले के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया, जिसमें तमाम दलों के नेताओं ने अपनी राजनीतिक विचारधाराओं से ऊपर उठकर आतंक के खिलाफ एकजुटता दिखाई। सभी विधायकों ने दो मिनट का मौन रखकर मृतकों को श्रद्धांजलि दी।
उमर अब्दुल्ला ने कहा, “आज का दिन राजनीति का नहीं, इंसानियत का है। आज हम सब एक स्वर में आतंकवाद के खिलाफ खड़े हैं।” उन्होंने आगे कहा कि कश्मीर के लोग इस हिंसा का समर्थन नहीं करते और इस बार घाटी की जनता खुद सड़क पर आकर आतंकियों के खिलाफ आवाज उठा रही है।
सत्र में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें कहा गया कि, “यह सदन पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा करता है और केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए हर कदम का समर्थन करता है।”
जांच और कार्रवाई का सिलसिला
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने हमले की जांच अपने हाथ में ली है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि हमलावर पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों से जुड़े थे। पहले ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया गया। इससे यह साफ है कि हमलावरों का मकसद जम्मू-कश्मीर में शांति की कोशिशों को विफल करना और देश में डर का माहौल पैदा करना था।
जांच एजेंसियों ने कुछ स्थानीय मददगारों की पहचान भी की है, जिनकी गिरफ्तारी जल्द होने की संभावना है। सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद कर दिया है और अतिरिक्त सुरक्षाबल घाटी में तैनात कर दिए गए हैं ताकि किसी भी प्रकार की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।
कश्मीरियों की आवाज: आतंक के खिलाफ
इस हमले के बाद घाटी में एक अभूतपूर्व माहौल देखने को मिला। कश्मीर के आम लोग, व्यापारी, छात्र, महिलाएं—सब सड़कों पर उतर आए और आतंक के खिलाफ नारे लगाए। कठुआ से श्रीनगर तक एक ही आवाज थी: “आतंकवाद मुर्दाबाद, इंसानियत जिंदाबाद!”
उमर अब्दुल्ला ने भी अपने भाषण में इस एकजुटता का जिक्र करते हुए कहा कि 26 वर्षों में पहली बार उन्होंने घाटी में लोगों को इतनी मजबूती से आतंक के खिलाफ खड़े होते देखा है। उन्होंने कहा, “शायद यह आतंकवाद के अंत की शुरुआत है।”
भविष्य की राह
आज जब जम्मू-कश्मीर और भारत एक बार फिर आतंक की मार झेल रहा है, तब यह जरूरी हो गया है कि हम आतंक के खिलाफ एकजुट रहें। केवल सैन्य कार्रवाई से ही नहीं, बल्कि जनमानस में आतंक के खिलाफ नफरत पैदा कर, और विकास व रोजगार के नए अवसर पैदा कर ही इस जहर को खत्म किया जा सकता है।
सरकार ने अब पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया है। बैसरन घाटी जैसे क्षेत्रों में नियमित गश्त बढ़ाई गई है, ताकि पर्यटक फिर से बिना किसी डर के कश्मीर की वादियों का आनंद ले सकें।
पहल्गाम हमला हमें यह याद दिलाता है कि आतंक का कोई धर्म, जाति या क्षेत्र नहीं होता। यह पूरी मानवता के खिलाफ है। आज आवश्यकता है कि हम सब मिलकर आतंक के खिलाफ एक मजबूत और स्थायी लड़ाई लड़ें। तभी हम उन 26 मासूम जिंदगियों के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि दे पाएंगे।
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