Farukh Abdullah to Pakistan: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 अप्रेल को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले में 25 पर्यटकों सहित कुल 26 लोगों की जान चली गई। यह हमले पाकिस्तान-आधारित आतंकवादी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने किए थे, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ माना जाता है। इस हमले के बाद पूर्व जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने पाकिस्तान को एक कड़ा संदेश दिया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जम्मू और कश्मीर कभी पाकिस्तान के साथ नहीं जाएगा, क्योंकि कश्मीरियों ने 1947 में ही दो-राष्ट्र सिद्धांत को नकार दिया था।
#WATCH | Jammu | #PahalgamTerroristAttack | JKNC Chief Farooq Abdullah says, "I used to favour dialogue with Pakistan every time…How will we answer those who lost their loved ones? Are we doing justice? Not Balakot, today the nation wants such action to be taken so that these… pic.twitter.com/YlRzAGUspO
— ANI (@ANI) April 28, 2025
कश्मीरियों ने दो-राष्ट्र सिद्धांत को नकारा
फारूक अब्दुल्ला ने पाकिस्तान को यह संदेश दिया कि जम्मू और कश्मीर के लोग न केवल आतंकवाद के खिलाफ हैं, बल्कि वे किसी भी प्रकार के विभाजन के भी खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, “हमने 1947 में ही दो-राष्ट्र सिद्धांत को नकार दिया था, और यह सिद्धांत अब भी हमारे लिए अप्रासंगिक है। कश्मीर कभी पाकिस्तान के साथ नहीं जाएगा। हम सभी—हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई—एक हैं और इस समय हमें आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा।”
यह बयान फारूक अब्दुल्ला ने तब दिया, जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने जम्मू और कश्मीर के मुद्दे पर एक बयान में कहा था कि पाकिस्तान कश्मीरियों के संघर्ष का समर्थन करता रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान कश्मीर को कभी नहीं भूल सकता, यह उनके दिलों और शिराओं में है। फारूक अब्दुल्ला ने इसके जवाब में कहा कि पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि उसने हमेशा मानवता की हत्या की है और कश्मीर कभी पाकिस्तान के साथ नहीं जाएगा।
कश्मीर में आतंकवाद का बढ़ता प्रभाव
पहलगाम हमले ने कश्मीर में आतंकवाद की बढ़ती गतिविधियों को फिर से उजागर किया है। पिछले कुछ वर्षों में जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ी हैं, विशेष रूप से पाकिस्तान के समर्थन से संचालित आतंकवादी संगठनों के कारण। फारूक अब्दुल्ला ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि वह कश्मीर में हिंसा और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, जिससे कश्मीरियों की जिंदगी प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि कश्मीर के लोग आतंकवाद के खिलाफ हैं, और हम शांति और विकास की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं।”
यह स्पष्ट है कि फारूक अब्दुल्ला का बयान केवल पाकिस्तान के लिए नहीं, बल्कि भारत और कश्मीर के लोगों के लिए भी एक मजबूत संदेश है। यह संदेश कश्मीर की एकता और अखंडता को बनाए रखने का है, जो हर भारतीय के लिए महत्वपूर्ण है। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर की पहचान पाकिस्तान से जुड़ी नहीं है और वह भारतीय संविधान के तहत अपने अधिकारों का सम्मान करता है।
संघर्ष का समाधान: बातचीत या युद्ध?
फारूक अब्दुल्ला ने हमेशा पाकिस्तान के साथ बातचीत की वकालत की है, लेकिन पहलगाम हमले के बाद उनका नजरिया थोड़ा बदलता हुआ दिखा। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि केंद्र सरकार कड़ा कदम उठाए ताकि भविष्य में ऐसे हमले न हों। वह मानते हैं कि केवल बातचीत से ही समाधान नहीं निकाला जा सकता, और हमें सुरक्षा उपायों को भी सख्त करने की आवश्यकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत का दरवाजा हमेशा खुला रहना चाहिए, लेकिन अब वक्त आ गया है कि पाकिस्तान के साथ कड़ी कार्रवाई की जाए।
इससे यह साफ होता है कि फारूक अब्दुल्ला का विचार अब अधिक व्यावहारिक हो गया है, क्योंकि उन्होंने जम्मू और कश्मीर में हो रही हिंसा को देखकर यह महसूस किया है कि अब शांतिपूर्ण समाधान के लिए और भी सख्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
जम्मू और कश्मीर में एकजुटता की आवश्यकता
पहलगाम हमले के बाद जम्मू और कश्मीर विधानसभा ने एक विशेष सत्र बुलाकर हमले की कड़ी निंदा की और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाई। उमर अब्दुल्ला, जो कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता हैं, ने कहा कि यह समय जम्मू और कश्मीर के राज्य दर्जे की मांग करने का नहीं है, बल्कि इस समय आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ने का है। उन्होंने राज्य सरकार से यह भी अपील की कि वह आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे और कश्मीर के लोगों को सुरक्षा प्रदान करे।
केंद्र सरकार ने भी इस हमले के बाद सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने का संकेत दिया। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के द्वारा की गई गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दिया, और कश्मीर में शांति बहाली के लिए केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के साथ कई राजनयिक समझौतों पर पुनर्विचार करने का संकेत दिया है।
भारत में पाकिस्तान के खिलाफ बढ़ता विरोध
पहलगाम हमले के बाद भारत में पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन बढ़ गए हैं। कई संगठनों ने पाकिस्तान उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन कर आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। इस प्रदर्शन में भारत के नागरिकों ने एकजुट होकर पाकिस्तान के कृत्यों की निंदा की और यह संदेश दिया कि भारत कभी भी आतंकवाद के खिलाफ समझौता नहीं करेगा। कांग्रेस पार्टी ने भी अपने नेताओं को पार्टी की आधिकारिक लाइन से हटकर बयान न देने की हिदायत दी है।
फारूक अब्दुल्ला के बयान ने यह साफ कर दिया है कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग रहेगा और रहेगा। उनका यह संदेश न केवल पाकिस्तान के लिए था, बल्कि उन सभी के लिए था जो भारत की एकता और अखंडता को चुनौती देना चाहते हैं। कश्मीर में शांति और सुरक्षा की दिशा में सभी को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है। फारूक अब्दुल्ला का यह संदेश यह भी है कि आतंकवाद और दो राष्ट्र सिद्धांत को नकारते हुए हमें एकजुट होकर भारत के विकास और शांति की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
अंत में, फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “हम सब एक हैं और एकजुट होकर आतंकवाद का मुकाबला करेंगे।” उनका यह बयान यह संकेत देता है कि कश्मीर की समस्या केवल एक क्षेत्रीय समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे देश की एकता और अखंडता से जुड़ी हुई है।
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