Kashmiri shawl sellers assaulted in Mussoorie: उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मसूरी में हाल ही में एक दुखद और चिंताजनक घटना सामने आई है, जिसने देश भर में चर्चा को जन्म दे दिया है। 23 अप्रैल 2025 को दो कश्मीरी शॉल विक्रेताओं पर कुछ स्थानीय लोगों ने कथित रूप से हमला कर दिया। इस हमले के बाद डर और असुरक्षा के चलते कुल 16 कश्मीरी विक्रेताओं ने मसूरी छोड़कर कश्मीर लौटने का फैसला किया। यह मामला सिर्फ एक हमला नहीं है, बल्कि देश के भीतर समुदायों के बीच बढ़ते अविश्वास और प्रशासन की निष्क्रियता का प्रतीक बन गया है।
Two Kashmiri shawl sellers were brutally assaulted and abused by goons in Mussoorie. Soon after the incident went viral Dehradun Police arrested three accused. pic.twitter.com/oxQrjAKvcS
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) April 29, 2025
मसूरी की मॉल रोड पर हमला
इस घटना की शुरुआत मसूरी की प्रसिद्ध मॉल रोड से हुई, जो हमेशा से पर्यटकों और व्यापारियों की हलचल से भरी रहती है। दो कश्मीरी व्यापारी जो शॉल और पारंपरिक कपड़े बेचते थे, पर कुछ स्थानीय युवकों ने अचानक हमला कर दिया। वायरल हुए एक वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि इन व्यापारियों को पहले अपशब्द कहे गए और फिर उन्हें पीटा गया। साथ ही, यह भी कहा गया कि उन्हें यहां से चले जाना चाहिए। इस घटना ने देश भर के लोगों को झकझोर कर रख दिया।
पुलिस की भूमिका और विवादास्पद बयान
मामले की जानकारी मिलने के बाद मसूरी पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। हालांकि, पुलिस की इस कार्रवाई के बावजूद कश्मीरी व्यापारियों का प्रशासन पर से भरोसा उठ चुका था। उनका कहना था कि जब वे सुरक्षा मांगने गए, तो उन्हें बताया गया कि पुलिस उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकती। पुलिस अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने केवल बिना पंजीकरण वाले विक्रेताओं को सलाह दी थी कि वे कानून के दायरे में काम करें, लेकिन व्यापारियों का अनुभव इस कथन से बिल्कुल उलट रहा।
कश्मीरी व्यापारियों की व्यथा
इन व्यापारियों में से कई लोग वर्षों से मसूरी में व्यापार कर रहे थे। वे हर साल गर्मी के मौसम में मसूरी जैसे ठंडे पर्यटन स्थलों पर आकर अपने पारंपरिक उत्पाद बेचते हैं। एक व्यापारी ने बताया, “हम कई सालों से यहां आ रहे हैं। कभी कोई परेशानी नहीं हुई। लेकिन इस बार ऐसा लगा जैसे हम यहां के नहीं हैं, जैसे हम पर कोई भरोसा नहीं करता।” एक अन्य व्यापारी ने भावुक होते हुए कहा, “हम अपने देश में भी सुरक्षित नहीं हैं, तो कहां जाएं?”
स्थानीय समाज और खामोशी
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जब यह हमला हुआ, उस समय आस-पास मौजूद लोगों में से किसी ने भी हस्तक्षेप नहीं किया। न कोई मदद के लिए आगे आया, न ही किसी ने पुलिस को तत्काल बुलाया। यह खामोशी एक बड़े सामाजिक संकट की ओर इशारा करती है। यह केवल कश्मीरी व्यापारियों की बात नहीं है, बल्कि यह सवाल है कि क्या आज के समाज में हम अपने पड़ोसियों, व्यापारियों और पर्यटकों के प्रति संवेदनशील हैं?
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि यह घटना उस मानसिकता को दर्शाती है जो कश्मीरी नागरिकों को ‘दूसरा’ मानती है। उन्होंने उत्तराखंड और केंद्र सरकार से इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की और कहा कि इस तरह की घटनाएं देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाती हैं।
वहीं, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी चिंता जताते हुए कहा कि किसी भी राज्य में हमारे नागरिकों के साथ भेदभाव या हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने व्यापारियों को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार इस मामले को गंभीरता से देख रही है।
सुरक्षा और कानून-व्यवस्था पर सवाल
यह घटना देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। अगर एक पर्यटक स्थल पर, जहां हर दिन हजारों लोग आते हैं, इस तरह खुलेआम हमला हो सकता है और प्रशासन सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकता, तो यह चिंता का विषय है। इससे देश की छवि पर भी असर पड़ता है और पर्यटन उद्योग को भी नुकसान पहुंचता है।
पहले की घटनाएं और एक पैटर्न
मसूरी की यह घटना कोई अकेली घटना नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में कई राज्यों में कश्मीरी व्यापारियों को निशाना बनाया गया है। 2024 में हिमाचल प्रदेश में एक समूह को कथित रूप से धमकाया गया था। पंजाब, दिल्ली और उत्तराखंड में भी इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है जो यह दर्शाती है कि कश्मीरी पहचान को लेकर समाज में एक प्रकार का डर या पूर्वाग्रह मौजूद है।
समाधान की आवश्यकता
सरकार, प्रशासन और समाज को मिलकर इस प्रकार की घटनाओं पर रोक लगानी होगी। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर व्यापारी, चाहे वह किसी भी राज्य से हो, बिना डर के व्यापार कर सके। साथ ही, समाज को भी जागरूक होना होगा कि वह नफरत की भाषा को अस्वीकार करे और भाईचारे की भावना को अपनाए।
इस घटना ने यह दिखा दिया है कि हम केवल कानून बनाकर नहीं, बल्कि उन्हें लागू कर और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देकर ही अपने देश को एकजुट रख सकते हैं।
मसूरी में कश्मीरी व्यापारियों के साथ हुई हिंसा न केवल एक अपराध है, बल्कि यह उस सामाजिक ताने-बाने पर भी चोट है जो भारत की विविधता और एकता को दर्शाता है। अगर हम चाहते हैं कि भारत एक मजबूत और एकजुट राष्ट्र बना रहे, तो हमें न केवल कानून की रक्षा करनी होगी, बल्कि हर नागरिक के सम्मान और सुरक्षा की जिम्मेदारी भी लेनी होगी।
कश्मीरी व्यापारियों की वापसी सिर्फ एक जगह छोड़ने की घटना नहीं है, यह उस भरोसे का टूटना है जो उन्हें भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ता था। इस भरोसे को फिर से कायम करना अब हम सबकी जिम्मेदारी है।
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