Manali zipline accident

Manali zipline accident: मनाली में 12 साल की बच्ची 30 फीट गहरे गॉर्ज में गिरी, सुरक्षा इंतज़ामों की खुली पोल

Manali zipline accident: गर्मियों की छुट्टियाँ हमेशा बच्चों के लिए मौज-मस्ती और नई जगहों की खोज का समय होती हैं। लेकिन कभी-कभी ये छुट्टियाँ जीवन भर के लिए दर्दनाक बन जाती हैं। नागपुर की 12 वर्षीय ट्रिशा बिजवे के साथ कुछ ऐसा ही हुआ, जब वह अपने परिवार के साथ मनाली घूमने गई थी और एक एडवेंचर एक्टिविटी ज़िपलाइन के दौरान 30 फीट गहरे पत्थर भरे गॉर्ज में गिर गई।

यह हादसा 8 जून को हुआ, लेकिन इसकी गूंज आज भी सोशल मीडिया से लेकर पर्यटन सुरक्षा एजेंसियों तक महसूस की जा रही है। इस हादसे का वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो गया है, जिसमें ट्रिशा ज़िपलाइन के केबल से झूलती दिखाई देती है और अचानक उसकी बेल्ट टूट जाती है, जिसके बाद वह सीधे नीचे गिर जाती है। यह वीडियो रूह कंपा देने वाला है और इसे देखकर कोई भी व्यक्ति एडवेंचर एक्टिविटी की सुरक्षा को लेकर चिंतित हो सकता है।

हादसे का दृश्य – चौंका देने वाला क्षण

वीडियो में देखा गया कि ट्रिशा ज़िपलाइन पर आगे बढ़ रही थी, तभी अचानक उसकी सुरक्षा बेल्ट खुल गई या टूट गई और वह सीधे नीचे गिरी। नीचे कोई सेफ्टी नेट या गद्दा नहीं था, और वह सीधे चट्टानों पर आ गिरी। आसपास के लोग कुछ सेकंड तक स्तब्ध खड़े रह गए, और फिर शोर मचाते हुए उसकी ओर दौड़े।

गंभीर चोटें और अस्पताल में भर्ती

ट्रिशा को गिरने से गंभीर चोटें आईं। उसकी दोनों टांगों में कई जगह फ्रैक्चर हुआ और शरीर के अन्य हिस्सों में भी चोटें आईं। प्राथमिक इलाज के लिए पहले उसे मनाली के स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया, जहां से डॉक्टरों की सलाह पर उसे चंडीगढ़ और बाद में नागपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया।

पिता प्रफुल्ल बिजवे ने मीडिया को बताया, “हमारा सपना था कि ट्रिशा प्रकृति से जुड़े, पहाड़ों को देखे और कुछ रोमांचक अनुभव करे। लेकिन हमें नहीं पता था कि ये अनुभव इतना खतरनाक होगा। उसकी हालत अब स्थिर है, लेकिन वह मानसिक रूप से अभी भी सदमे में है।”

परिवार का आरोप – लापरवाही की इंतिहा

परिवार ने इस घटना के लिए ज़िपलाइन ऑपरेटर और आयोजनकर्ताओं को ज़िम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि सुरक्षा उपकरण पुराने और जर्जर अवस्था में थे। साथ ही, हादसे के बाद मौके पर कोई प्रशिक्षित स्टाफ मौजूद नहीं था जो प्राथमिक इलाज दे सके या स्थिति को संभाल सके।

उनका कहना है कि अगर उचित सुरक्षा इंतज़ाम होते, तो यह हादसा टाला जा सकता था। स्थानीय प्रशासन से उन्होंने मांग की है कि ऐसी घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

सोशल मीडिया पर गुस्सा – देशभर में उठी सवालों की आवाज़

हादसे के वायरल वीडियो के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर हजारों लोगों ने इस हादसे की निंदा की और सरकार से कड़े नियम बनाने की मांग की।

एक यूज़र ने लिखा – “भारत में एडवेंचर टूरिज्म सिर्फ नाम का है। ना सुरक्षा, ना ट्रेनिंग, ना व्यवस्था। बच्चों की जान से खिलवाड़ है ये।”

दूसरे यूज़र ने कहा – “ऐसे ऑपरेटर्स को तुरंत बंद कर देना चाहिए। कोई भी बेल्ट, रसी या उपकरण बिना जांचे इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।”

पर्यटन विभाग की प्रतिक्रिया – जांच के आदेश

हादसे के बाद हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। प्रारंभिक जांच में ज़िपलाइन ऑपरेटर की तरफ से सुरक्षा मानकों के पालन में भारी लापरवाही सामने आई है।

पर्यटन विभाग अब राज्य में सभी एडवेंचर स्पोर्ट्स की सुविधाओं की एक व्यापक जांच शुरू करने जा रहा है। इसमें लाइसेंसिंग, उपकरणों की वैधता, स्टाफ की ट्रेनिंग और मेडिकल इमरजेंसी व्यवस्थाओं की समीक्षा शामिल होगी।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

एडवेंचर टूरिज्म विशेषज्ञों के अनुसार, ज़िपलाइन जैसी गतिविधियों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के सुरक्षा मानकों का पालन किया जाना चाहिए। हर दिन उपकरणों की जांच होनी चाहिए और हर राइड से पहले ग्राहक को हेलमेट, हार्नेस, और सुरक्षा निर्देश दिए जाने चाहिए।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में ऐसे कई स्थान हैं जहाँ सुरक्षा को दरकिनार कर सिर्फ पैसे कमाने पर ध्यान दिया जाता है। यही कारण है कि हर साल ऐसे कई हादसे सामने आते हैं।

क्या होनी चाहिए आगे की कार्रवाई?

  1. कड़े नियमों की आवश्यकता – ज़िपलाइन और अन्य साहसी खेलों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर यूनिफॉर्म गाइडलाइंस होनी चाहिए।
  2. उपकरणों की वैधता और ऑडिट – सभी उपकरणों की समय-समय पर जांच हो और उनकी वैधता तय हो।
  3. प्रशिक्षित स्टाफ – ऑपरेटिंग स्टाफ का प्रशिक्षण और प्रमाणन अनिवार्य हो।
  4. आपातकालीन तैयारी – हर साइट पर मेडिकल किट, प्राथमिक चिकित्सा कर्मी और एम्बुलेंस उपलब्ध हो।
  5. पर्यटकों की जागरूकता – एडवेंचर एक्टिविटी करने वालों को भी प्रशिक्षण और सुरक्षा निर्देश दिए जाएं।

रोमांच के पीछे छुपा खतरा

मनाली में हुआ यह हादसा सिर्फ एक बच्ची का दर्दनाक अनुभव नहीं है, बल्कि पूरे एडवेंचर टूरिज्म उद्योग की कड़वी सच्चाई को उजागर करता है। रोमांचक खेलों का मजा तभी है जब सुरक्षा सर्वोपरि हो। ट्रिशा की बहादुरी और परिवार की सतर्कता ने उसे मौत के मुंह से बचा लिया, लेकिन हर कोई इतना भाग्यशाली नहीं होता।

हम सबकी ज़िम्मेदारी है कि अगली बार जब भी एडवेंचर के लिए कदम बढ़ाएं, तो उससे पहले सुरक्षा की कसौटी पर उसे परखें।


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