Sitaare Zameen Par Review

Sitaare Zameen Par Review: आमिर खान की वापसी, एक प्रेरणादायक स्पोर्ट्स ड्रामा जो दिल को छू जाती है— एक पॉजिटिव और ताक़तवर सिनेमाई अनुभव

Sitaare Zameen Par Review: आमिर खान की फिल्में सिर्फ मनोरंजन नहीं होतीं, वे समाज के किसी न किसी पहलू पर गहराई से सोचने पर मजबूर करती हैं। “तारे ज़मीन पर” के लगभग सत्रह साल बाद, वह एक बार फिर से शिक्षा और संवेदनशीलता को लेकर पर्दे पर लौटे हैं, लेकिन इस बार एक अलग जज़्बे और ज़मीन से जुड़े नायकों की कहानी के साथ। उनकी नई फिल्म “सितारे ज़मीन पर” एक स्पोर्ट्स ड्रामा है, जिसमें भावना, संघर्ष और आत्म-स्वीकृति का बेजोड़ संगम देखने को मिलता है।

फिल्म की कहानी
“सितारे ज़मीन पर” की कहानी गुलशन अरोड़ा (आमिर खान) नामक एक बास्केटबॉल कोच पर केंद्रित है, जो अपने गुस्सैल स्वभाव और ज़िद के लिए बदनाम है। उसके छोटे कद को लेकर उसे अक्सर उपहास का पात्र बनाया जाता है। एक हादसे और कोर्ट द्वारा सज़ा के बाद उसे समाज सेवा के अंतर्गत एक स्पेशल टीम को कोचिंग देने की ज़िम्मेदारी दी जाती है—यह टीम उन खिलाड़ियों से बनी है जो न्यूरोडाइवर्जेंट हैं, यानी जिन्हें मानसिक या बौद्धिक चुनौतियाँ हैं।

शुरू में गुलशन इस ज़िम्मेदारी को बोझ की तरह लेता है, लेकिन समय के साथ वह बच्चों की मासूमियत, प्रतिभा और उनके अंदर छिपी लड़ने की भावना को पहचानने लगता है। फिल्म धीरे-धीरे यह दर्शाती है कि असली चुनौती मैदान में नहीं, सोच में होती है। गुलशन के साथ-साथ दर्शकों की सोच भी बदलती है।

अभिनय और निर्देशन
आमिर खान का अभिनय इस फिल्म की सबसे बड़ी ताक़त है। वह गुलशन के रूप में एक जिद्दी, चिढ़चिढ़े व्यक्ति से एक संवेदनशील कोच के रूप में विकसित होते हैं। उनकी बॉडी लैंग्वेज, संवाद अदायगी और भावनाओं की गहराई देखने लायक है। यह रोल उन्हें फिर से साबित करता है कि वह केवल अभिनेता नहीं, बल्कि संवेदनशील कहानीकार भी हैं।

निर्देशक आर.एस. प्रसन्ना ने विषय को बेहद संतुलित और सच्चाई से पर्दे पर उतारा है। उन्होंने एक बहुत संवेदनशील विषय को न तो मेलोड्रामा बनाया, न ही उपदेशात्मक। फिल्म हास्य, करुणा और आत्ममंथन के बीच एक सुंदर संतुलन बनाती है।

सपोर्टिंग कास्ट और असली नायक
जेनेलिया डिसूज़ा ने एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सशक्त प्रदर्शन दिया है। लेकिन असली नायक वे बच्चे हैं, जो स्क्रीन पर अपने असली व्यक्तित्व के साथ आए हैं। इनमें से कई वास्तव में न्यूरोडाइवर्जेंट हैं और उनके आत्मविश्वास, संवाद अदायगी और खेल भावना ने फिल्म को असाधारण बना दिया है। इनका अभिनय स्वाभाविक है और कहीं भी फिल्म को बनावटी नहीं बनने देता।

संगीत और तकनीकी पक्ष
फिल्म का संगीत भी इसकी आत्मा है। राम संपत और शंकर-एहसान-लॉय की जोड़ी ने “Good For Nothing” जैसे गानों से फिल्म के भावनात्मक क्षणों को और प्रभावी बना दिया है। बैकग्राउंड स्कोर कहानी को एक लय देता है और दर्शकों को भावनाओं की यात्रा पर ले जाता है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी साफ, रंगों में जीवंत और दृष्टिगत रूप से प्रभावशाली है। कोर्ट सीन, ट्रेनिंग मॉन्टाज और क्लाइमेक्स मैच सीन्स अच्छी तरह से फिल्माए गए हैं।

भावनात्मक जुड़ाव और सामाजिक संदेश
यह फिल्म केवल एक स्पोर्ट्स ड्रामा नहीं है। यह समाज में व्याप्त पूर्वाग्रहों, अस्वीकार की भावना और अपूर्णता में सुंदरता को पहचानने की एक सीख है। यह फिल्म हमें बताती है कि एक इंसान की काबिलियत को उसकी “कमजोरी” से नहीं, उसकी कोशिशों और दृष्टिकोण से मापा जाना चाहिए। आमिर खान का किरदार केवल एक कोच नहीं बनता, वह अपने खिलाड़ियों से सीखता है कि आत्म‑स्वीकृति और सामूहिक प्रयास सबसे बड़ा विज़न होता है।

प्रथम दर्शक प्रतिक्रियाएँ और आलोचना
फिल्म के प्रीमियर के बाद से ही सोशल मीडिया पर इसे “दिल से बनी फिल्म” कहा जा रहा है। ट्विटर पर लोग इसे पारिवारिक, प्रेरणादायक और दिल को छू जाने वाली फिल्म बता रहे हैं। सचिन तेंदुलकर ने इसे “भावनात्मक और इंस्पायरिंग” करार दिया और खास तौर पर बच्चों की अभिनय क्षमता की सराहना की। दर्शील सफारी, जो “तारे ज़मीन पर” के ईशान के रूप में मशहूर हुए थे, ने कहा कि इस फिल्म ने उनके दिल को और भी मुलायम और खुशहाल बना दिया।

कमज़ोर पक्ष
हालाँकि फिल्म की शुरुआत कुछ धीमी लगती है और कुछ पारिवारिक सब-प्लॉट अधूरे से लगते हैं, लेकिन यह छोटे-छोटे पहलू पूरी कहानी के मूल प्रभाव को कम नहीं करते। फिल्म का संदेश और भावना इतनी ताक़तवर है कि दर्शक इन कमियों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।

बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट और भविष्य की संभावना
फिल्म की शुरुआती कमाई ₹3.8 से ₹7 करोड़ के बीच आंकी गई है, और यह वर्ड-ऑफ-माउथ की बदौलत ₹50 करोड़ का आंकड़ा आसानी से पार कर सकती है। त्योहारों और स्कूल की छुट्टियों के सीजन में यह फिल्म परिवारों के लिए एक पसंदीदा विकल्प बन सकती है।

“सितारे ज़मीन पर” सिर्फ एक फिल्म नहीं, एक एहसास है—एक ताक़तवर और प्रेरणादायक अनुभव, जो आपको अपने अंदर झांकने पर मजबूर करता है। यह फिल्म बताती है कि समाज जिन लोगों को ‘अलग’ मानता है, वे ही सबसे खास होते हैं। आमिर खान की यह वापसी न केवल एक अभिनेता के रूप में है, बल्कि एक विचारशील कलाकार के रूप में भी है।

अगर आप एक ऐसी फिल्म देखना चाहते हैं जो दिल को छू जाए, सोच बदल दे और मुस्कुराहट के साथ आँखें नम कर दे, तो “सितारे ज़मीन पर” आपके लिए है।

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