IND vs ENG Test

IND vs ENG Test: डरावनी लापरवाही! टीम इंडिया की फील्डिंग ढिलाई से इंग्लैंड को मिला जीवनदान, शुभमन गिल की कप्तानी पर सवाल

IND vs ENG Test: हेडिंग्ले टेस्ट में टीम इंडिया के लिए सब कुछ सही शुरू हुआ था। 471 रनों की जबरदस्त पहली पारी ने इंग्लैंड पर दबाव बना दिया था। लेकिन इस मजबूत शुरुआत को टीम की फील्डिंग में चौंकाने वाली लापरवाही ने बर्बाद कर दिया। खासकर युवा बल्लेबाज़ यशस्वी जायसवाल द्वारा छोड़े गए तीन आसान कैचों ने भारतीय गेंदबाज़ों की मेहनत पर पानी फेर दिया। इस लचर फील्डिंग का असर यह रहा कि इंग्लैंड की टीम लगभग भारत के स्कोर के बराबर पहुँच गई, जबकि उन्हें शुरू में ही बैकफुट पर कर दिया गया था।

टीम इंडिया की फील्डिंग पर उठे सवाल

इस टेस्ट मैच में भारत के खिलाड़ियों द्वारा कई मौके गंवाना क्रिकेट प्रेमियों और विशेषज्ञों को खटक गया। खासकर टेस्ट क्रिकेट में, जहां हर विकेट का मूल्य अत्यंत अधिक होता है, ऐसे मौकों को गंवाना जीत को दूर कर सकता है। फील्डिंग की इस कमजोरी को लेकर सोशल मीडिया पर आलोचना शुरू हो गई है। कई पूर्व खिलाड़ी भी सामने आकर टीम की आलोचना कर चुके हैं।

एक अनुभवी क्रिकेट विश्लेषक ने कहा, “बल्लेबाजी और गेंदबाजी तो बहुत कुछ परिस्थितियों पर निर्भर करती है, लेकिन फील्डिंग पूरी तरह से आपकी मेहनत और प्रतिबद्धता पर टिकी होती है। फील्डिंग सुधारना आपके अपने हाथ में है।” यह टिप्पणी टीम इंडिया के लिए एक दृढ़ चेतावनी मानी जा रही है।

शुभमन गिल की कप्तानी पर उठे सवाल

इस मैच में शुभमन गिल ने पहली बार टेस्ट कप्तानी की बागडोर संभाली। हालांकि बल्लेबाज़ी में उन्होंने टीम को अच्छे स्कोर तक पहुँचाया, लेकिन कप्तान के रूप में फील्डिंग सेटअप और खिलाड़ियों की सजगता पर नियंत्रण में कमी साफ दिखी। एक कप्तान का काम केवल फील्डिंग सजाना ही नहीं होता, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना होता है कि खिलाड़ी मानसिक रूप से तैयार रहें और एक भी मौका ना चूकें।

युवा कप्तान पर अब यह जिम्मेदारी है कि वे न केवल बल्लेबाज़ी में उदाहरण प्रस्तुत करें, बल्कि टीम को हर विभाग में प्रेरित करें—खासकर फील्डिंग जैसे संवेदनशील क्षेत्र में।

इंग्लैंड ने गंवाए मौकों का भरपूर फायदा उठाया

इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों ने भारतीय फील्डरों की गलतियों का भरपूर फायदा उठाया। जो कैच छोड़े गए, वे रन में तब्दील हुए। नतीजा यह रहा कि एक समय 471 के बड़े स्कोर के बाद जो दबाव बनना चाहिए था, वह उल्टा भारतीय गेंदबाजों पर आ गया। इंग्लैंड ने धीरे-धीरे रन बनाकर भारतीय बढ़त को लगभग खत्म कर दिया और मैच को बराबरी पर ला खड़ा किया।

तकनीकी और मानसिक तैयारी की कमी?

टीम इंडिया की इस लापरवाही ने यह भी दिखा दिया है कि फील्डिंग को लेकर अभी भी टीम की तैयारी अधूरी है। चाहे स्लिप में कैचिंग हो, या डीप फील्डिंग में थ्रो—कई क्षेत्रों में ग़लतियां देखने को मिलीं। इससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या खिलाड़ियों को पर्याप्त फील्डिंग अभ्यास मिल रहा है? और क्या खिलाड़ियों की मानसिक सजगता उतनी है जितनी एक टेस्ट मैच में होनी चाहिए?

इससे भी अहम बात यह है कि जब टीम के पास टेस्ट में बढ़त होती है, तब टीम को फील्डिंग के जरिए उस दबाव को बरकरार रखना चाहिए। लेकिन यहाँ पर ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। दबाव बनाए रखने की बजाय, मौकों को गँवा दिया गया।

समाधान की संभावनाएं

अब समय आ गया है कि टीम इंडिया फील्डिंग को अपने प्राथमिक एजेंडे में शामिल करे। कुछ संभावित समाधान इस प्रकार हैं:

  1. विशेष फील्डिंग कोच की नियुक्ति – वर्तमान सपोर्ट स्टाफ में एक ऐसा विशेषज्ञ होना चाहिए जो केवल फील्डिंग पर काम करे, खासकर स्लिप कैचिंग और ग्राउंड फील्डिंग पर।
  2. मानसिक फिटनेस प्रोग्राम – खिलाड़ियों को मानसिक रूप से सतर्क रहने की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। इसका अभ्यास मेडिटेशन, विज़ुअलाइजेशन और मैच सिचुएशन की रिहर्सल से किया जा सकता है।
  3. हर मैच के बाद फील्डिंग रिव्यू – टीम को हर मैच के बाद अपनी फील्डिंग की समीक्षा करनी चाहिए और जहाँ कमियाँ हो, वहाँ तुरंत समाधान लागू करने चाहिए।

हेडिंग्ले टेस्ट में टीम इंडिया की यह फील्डिंग लापरवाही केवल एक छोटी सी गलती नहीं थी, बल्कि यह पूरे मैच की दिशा बदल देने वाली घटना रही। अगर टीम भारत को टेस्ट क्रिकेट में शीर्ष पर रहना है, तो सिर्फ बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी नहीं, फील्डिंग में भी वही दृढ़ता और समर्पण दिखाना होगा।

फिलहाल, यह मैच टीम इंडिया के लिए एक चेतावनी है—अब और चूक की कोई गुंजाइश नहीं। कप्तान गिल और कोचिंग स्टाफ को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी चूकें दोबारा न हों, वरना बड़े टूर्नामेंट्स में यही गलतियां हार का कारण बनेंगी।

भावनात्मक शब्द: चौंकाने वाली
पावर वर्ड: दृढ़

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