लखनऊ, 28 जून 2025 — भारत के लिए यह वह क्षण है जब विज्ञान, भावनाएं और राष्ट्रीय गर्व एक साथ अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छूते हैं। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और अब अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, 25 जून को अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा के केनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए रवाना हुए। यह Axiom-4 mission का हिस्सा है, और इस मिशन के माध्यम से भारत ने 41 साल बाद अंतरिक्ष में मानव उपस्थिति दर्ज करवाई है।
Prime Minister @narendramodi interacts with 𝐆𝐫𝐨𝐮𝐩 𝐂𝐚𝐩𝐭𝐚𝐢𝐧 𝐒𝐡𝐮𝐛𝐡𝐚𝐧𝐬𝐡𝐮 𝐒𝐡𝐮𝐤𝐥𝐚.
— All India Radio News (@airnewsalerts) June 28, 2025
PM Narendra Modi says, Today, you greet us from space — far from the motherland, yet closest to the hearts of all Indians. Your name itself carries ‘𝐒𝐡𝐮𝐛𝐡’, and your… pic.twitter.com/i6G7EEWkP2
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जून को शुभांशु शुक्ला से अंतरिक्ष में सीधा संवाद कर उन्हें और पूरे देश को गौरवान्वित किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “तुम धरती से सबसे दूर हो, लेकिन भारत के हर नागरिक के दिल के सबसे पास हो। यह क्षण हर भारतीय के लिए एक भावनात्मक विजय है।”
अंतरिक्ष में भारत की नई उपस्थिति
शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचने के बाद पहला संदेश देते हुए कहा कि उन्होंने जब पृथ्वी को अंतरिक्ष से देखा, तो भारत उन्हें न सिर्फ बड़ा बल्कि अत्यंत सुंदर नजर आया। उन्होंने कहा कि यह मिशन व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
उनकी यह यात्रा केवल वैज्ञानिक उद्देश्य से नहीं, बल्कि भारतीय युवाओं को प्रेरणा देने के लिए भी की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि ISS पर वह अलग-अलग प्रकार के वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग ले रहे हैं, जिनमें बायोमेडिकल रिसर्च, माइक्रोग्रैविटी में मैटेरियल्स टेस्टिंग, और अंतरिक्ष में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े प्रयोग शामिल हैं।
एक मधुर संवाद: गाजर का हलवा अंतरिक्ष में
प्रधानमंत्री मोदी और शुभांशु शुक्ला के बीच बातचीत का एक रोचक और मानवीय पहलू तब सामने आया जब मोदी जी ने शुक्ला से पूछा, “क्या गाजर का हलवा भी ले गए हो?” इस पर शुक्ला ने मुस्कराते हुए कहा कि उन्होंने गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आमरस कैप्सूल में ले जाकर अपने विदेशी साथियों के साथ साझा किया और सबको भारतीय मिठाइयों का स्वाद बेहद पसंद आया।
यह संवाद न केवल अंतरिक्ष विज्ञान का उदाहरण था, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, भावनाओं और स्वाद को भी वैश्विक मंच पर दर्शाने का प्रतीक बन गया।
लखनऊ से लेकर हर भारतीय दिल तक की गूंज
शुभांशु शुक्ला मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ से हैं। उनकी उपलब्धि पर उनके स्कूल, सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ, जहां छात्रों और शिक्षकों ने गर्व के साथ उनका सम्मान किया। शुभांशु के माता-पिता ने बताया कि उनके बेटे का यह सपना बचपन से ही था, और उन्होंने देश के लिए कुछ अलग करने की ठानी थी।
उनके पिता ने बताया कि जब अंतिम बार शुभांशु ने मिशन से पहले बात की, तो उन्होंने कहा, “मैं मिशन पर जा रहा हूँ, सफल होकर ही लौटूंगा।” इस वाक्य में न केवल आत्मविश्वास था, बल्कि उस देशभक्ति का संकल्प भी छिपा था जो अब अंतरिक्ष में साकार हो रहा है।
मिशन Axiom-4 की अहमियत
Axiom-4 मिशन अंतरिक्ष क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग का अद्भुत उदाहरण है। इस मिशन में अमेरिका, हंगरी, पोलैंड और भारत के अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। यह मिशन आने वाले समय में भारत के मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ की नींव को और सुदृढ़ करेगा।
यह मिशन यह दर्शाता है कि भारत केवल एक भागीदार नहीं बल्कि एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है, जो विज्ञान, तकनीक और अनुसंधान के वैश्विक स्तर पर अपनी विशेष पहचान बना रहा है।
41 साल बाद फिर इतिहास
1984 में जब राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के साथ अंतरिक्ष की यात्रा की थी, तब उन्होंने कहा था, “सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा।” अब 2025 में शुभांशु शुक्ला ने उस विरासत को आगे बढ़ाते हुए अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन तक भारत की उपस्थिति को फिर से दर्ज किया है।
यह सिर्फ एक उड़ान नहीं, बल्कि एक युग परिवर्तन है। एक संकेत है कि भारत अब सपनों को केवल देखता नहीं, बल्कि उन्हें हकीकत में बदलने के लिए अंतरिक्ष तक पहुंच जाता है।
शुभांशु शुक्ला की यह ऐतिहासिक उपलब्धि केवल एक व्यक्ति की सफलता नहीं है। यह हर उस भारतीय की जीत है जो सपने देखता है, मेहनत करता है और अपने देश के लिए कुछ विशेष करना चाहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संवाद और देशभर में उमड़ा उत्साह यह दर्शाता है कि विज्ञान और भावना जब एक साथ चलते हैं, तो इतिहास रचते हैं।
यह मिशन आने वाले भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और युवाओं को यह विश्वास दिलाता है कि आकाश भी अब सीमा नहीं है।
अंतरिक्ष में भारत की वापसी अब केवल शुरुआत है।
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