Pune rape case – देश भर में चर्चा का विषय बना पुणे का बहुचर्चित रेप केस अब एक चौंकाने वाले मोड़ पर आ गया है। शुरू में जिसे एक खौफनाक यौन उत्पीड़न की घटना बताया गया था, अब वह पुलिस जांच में बिल्कुल अलग रूप में सामने आ रहा है। पुलिस के अनुसार, पीड़ित बताई जा रही महिला और कथित आरोपी एक-दूसरे को पहले से जानते थे और दोनों एक ही समुदाय से हैं। इसके साथ ही यह भी सामने आया है कि जिस सेल्फी को सबूत के तौर पर पेश किया गया था, वह खुद महिला ने ली और बाद में एडिट की गई। इतना ही नहीं, धमकी भरा जो मैसेज महिला के फोन में मिला, वह भी उसी ने खुद टाइप किया था।
Pune techie’s rape accused is her friend; she took selfie, typed threat: Policehttps://t.co/XLXRubsxFr
— Hindustan Times (@htTweets) July 4, 2025
पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने इस मामले में बयान जारी करते हुए बताया, “हमारी जांच में स्पष्ट हुआ है कि महिला और आरोपी पिछले कुछ वर्षों से एक-दूसरे को जानते हैं। दोनों एक ही समुदाय से हैं और महिला ने जो सेल्फी सबूत के तौर पर पेश की, वह भी उसने खुद ली थी। उसमें आरोपी को इस तरह एडिट किया गया कि वह अजनबी लगे। साथ ही, जो धमकी भरा संदेश महिला के फोन पर पाया गया, वह भी उसी ने खुद टाइप किया था।”
पुलिस को कैसे हुआ शक?
यह मामला तब सामने आया जब 22 वर्षीय एक आईटी प्रोफेशनल महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उसके घर एक अजनबी युवक कुरियर बॉय बनकर आया, जिसने उस पर केमिकल स्प्रे किया, उसे बेहोश किया और फिर उसका यौन शोषण किया। महिला ने दावा किया कि आरोपी ने जाते वक्त अंग्रेजी में धमकी भरा एक मैसेज छोड़ा जिसमें लिखा था – “I will come again” यानी “मैं फिर आऊंगा”।
हालांकि, जैसे-जैसे पुलिस ने इस मामले की बारीकी से जांच शुरू की, कई तथ्यों ने इस कथन को संदिग्ध बना दिया। पुलिस को न तो घटनास्थल से किसी तरह के रासायनिक स्प्रे के सबूत मिले और न ही जबरन घुसने के कोई निशान। इसके साथ ही जब पुलिस ने मोबाइल डेटा, कॉल रिकॉर्ड्स और सीसीटीवी फुटेज खंगाले, तो यह साफ हो गया कि महिला और आरोपी का आपसी संपर्क पहले से था।
एडिटेड सेल्फी और ‘फर्जी’ मैसेज
सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब फोरेंसिक जांच में यह सामने आया कि जिस सेल्फी को पीड़िता ने सबूत के तौर पर पेश किया, वह असल में उसने खुद खींची थी और बाद में एडिट की गई थी ताकि आरोपी की पहचान न हो सके। यह एडिटिंग इसलिए की गई ताकि मामला किसी अजनबी के द्वारा बलात्कार का लगे।
इससे भी गंभीर बात यह रही कि धमकी भरा संदेश – जो कथित तौर पर आरोपी ने भेजा था – वह भी खुद महिला ने टाइप किया था। टेक्निकल जांच में यह साफ हो गया कि मैसेज भेजने के लिए किसी अन्य डिवाइस या नंबर का इस्तेमाल नहीं हुआ। यह सब महिला ने खुद अपने मोबाइल में तैयार किया था।
महिला की मानसिक स्थिति बनी सवाल
इस घटना के बाद सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि आखिर महिला ने ऐसा क्यों किया? पुलिस अधिकारी यह मान रहे हैं कि उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उसने ऐसा मानसिक दबाव में किया, या किसी प्रकार की निजी दुश्मनी या भावनात्मक उलझन इसके पीछे थी।
कमिश्नर अमितेश कुमार ने कहा कि “हम महिला के मानसिक स्वास्थ्य का परीक्षण करवा रहे हैं और इस बात की गहराई में जाने की कोशिश कर रहे हैं कि उसने ऐसा क्यों किया।”
आरोपी की छवि पर असर और कानूनी पहलू
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे बड़ा नुकसान उस युवक को हुआ है जिस पर बलात्कार का आरोप लगा। युवक एक सम्मानित प्रोफेशनल है और उसकी छवि को इस झूठे आरोप से गहरा आघात पहुंचा है। सोशल मीडिया पर भी उसे लेकर तरह-तरह की बातें की गईं। हालांकि पुलिस अब साफ कर चुकी है कि उस पर लगे आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है।
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या महिला पर फर्जी केस दर्ज कराने, झूठे सबूत गढ़ने और न्याय प्रणाली का दुरुपयोग करने के आरोप में कोई कानूनी कार्रवाई की जाएगी? इस पर पुलिस का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद उचित कदम उठाए जाएंगे।
समाज में विश्वास का संकट
ऐसे मामलों का एक और गंभीर पक्ष यह है कि इससे उन असली पीड़ितों को नुकसान होता है जो सच में किसी अपराध का शिकार हुए होते हैं। जब इस तरह की झूठी घटनाएं सामने आती हैं, तो समाज में एक अविश्वास का माहौल बनता है। लोगों को वास्तविक पीड़ितों पर भी शक होने लगता है। न्याय व्यवस्था और पुलिस प्रशासन पर भी दबाव बढ़ता है, क्योंकि संसाधन झूठे केसों में व्यर्थ चले जाते हैं।
जांच अभी जारी है
फिलहाल पुलिस मोबाइल डेटा, सोशल मीडिया चैट्स, सीसीटीवी फुटेज और कॉल रिकॉर्ड्स के माध्यम से महिला और युवक के संबंधों की गहराई से जांच कर रही है। फॉरेंसिक टीम भी अपना काम कर रही है ताकि यह पूरी तरह स्पष्ट हो सके कि महिला ने यह नाटक क्यों और किस हद तक रचा।
पुलिस ने कहा है कि फाइनल रिपोर्ट आने के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी और यदि यह साबित होता है कि आरोप पूरी तरह झूठे थे, तो महिला पर भी मामला दर्ज किया जा सकता है।
पुणे रेप केस अब एक ‘फर्जी आरोप’ की कहानी बनता नजर आ रहा है, जिसने समाज, पुलिस और न्याय व्यवस्था के सामने कई गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला सिर्फ एक कानूनी विवाद नहीं बल्कि एक सामाजिक और नैतिक बहस का मुद्दा भी बन गया है।
जहां एक ओर यह स्पष्ट होता है कि हर आरोप की जांच गंभीरता से होनी चाहिए, वहीं दूसरी ओर यह भी जरूरी है कि झूठे आरोप लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
इस मामले की अंतिम सच्चाई तो आने वाली रिपोर्टों और कोर्ट के फैसलों से ही सामने आएगी, लेकिन फिलहाल इतना तय है कि यह एक चौंकाने वाला और नकारात्मक मोड़ है, जिसने सभी को हैरान कर दिया है।
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