Ind vs Eng 3rd test

Ind vs Eng 3rd test: लॉर्ड्स में 5 विकेट लेने के बाद भी जसप्रीत बुमराह ने नहीं मनाया जश्न, बोले– “अब उम्र का असर दिखता है”

Ind vs Eng 3rd test: 11 जुलाई 2025 को जब पूरा लॉर्ड्स स्टेडियम भारत के तेज़ गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह की तारीफों से गूंज रहा था, तब खुद बुमराह बेहद शांत नज़र आए। उन्होंने इंग्लैंड के मिडल और लोअर ऑर्डर को ध्वस्त करते हुए लॉर्ड्स में अपना पहला पांच विकेट लेने का कारनामा पूरा किया, लेकिन कोई जश्न नहीं मनाया। यह नज़ारा क्रिकेट प्रेमियों के लिए थोड़ा चौंकाने वाला ज़रूर रहा, लेकिन इसके पीछे की वजह खुद बुमराह ने बेहद सहजता से साझा की।

बुमराह ने दिन का खेल समाप्त होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुस्कराते हुए कहा, “मैंने कोई जश्न नहीं मनाया क्योंकि मैं थका हुआ था। मैं अब 21–22 साल का नहीं हूं जो कूदता–फांदता फिरूं। मैंने बस सोचा कि जल्दी से वापस अपने रन-अप पर जाऊं और अगली गेंद डालूं।” बुमराह का यह बयान इस बात का प्रतीक है कि वह अब एक परिपक्व क्रिकेटर बन चुके हैं, जो व्यक्तिगत प्रदर्शन से कहीं ज़्यादा टीम की ज़रूरतों को महत्व देते हैं।

भारत की ओर से तीसरे टेस्ट में यह उनका धमाकेदार वापसी का मैच था। उन्हें पिछले टेस्ट में आराम दिया गया था ताकि उनके वर्कलोड को संभाला जा सके। और उनकी यह वापसी किसी साइलेंट ब्लास्ट से कम नहीं रही। शुक्रवार की सुबह उन्होंने 7 गेंदों के भीतर इंग्लैंड के तीन बड़े बल्लेबाज़—जो रूट (104), बेन स्टोक्स (44) और क्रिस वोक्स (0)—को पवेलियन लौटा दिया। उस समय इंग्लैंड का स्कोर 251/4 था, जो बुमराह की धारदार गेंदबाज़ी के चलते कुछ ही देर में 271/7 हो गया।

बुमराह की गेंदबाज़ी न सिर्फ तकनीकी रूप से सटीक थी, बल्कि उनमें वह ऊर्जा और नियंत्रण भी दिखा जो किसी अनुभवी गेंदबाज़ की पहचान है। खासकर जो रूट का विकेट लेना, वह भी शतक के बाद, बेहद महत्वपूर्ण था। उन्होंने पिच का बेहतरीन इस्तेमाल किया और सीम मूवमेंट से बल्लेबाज़ों को परेशान किया।

उनकी गेंदबाज़ी का असर इतना गहरा था कि लॉर्ड्स की उस ऐतिहासिक दीवार पर उनका नाम दर्ज हो गया, जहां अब तक बहुत कम भारतीय गेंदबाज़ों ने जगह बनाई है। लॉर्ड्स ऑनर्स बोर्ड पर अपना नाम देखना हर क्रिकेटर का सपना होता है, और बुमराह ने इसे अपनी मेहनत और दृढ़ता से हासिल किया।

एक समय था जब भारत टेस्ट क्रिकेट में विदेशी ज़मीन पर संघर्ष करता था, लेकिन अब बुमराह जैसे गेंदबाज़ों की बदौलत भारत का प्रदर्शन विदेशों में भी मज़बूत हुआ है। बुमराह अब तक टेस्ट क्रिकेट में 13 बार पांच विकेट झटक चुके हैं और इस आंकड़े के साथ उन्होंने महान कपिल देव को पीछे छोड़ दिया है। टेस्ट करियर में उनके नाम 215 से ज़्यादा विकेट दर्ज हो चुके हैं और औसत 19.5 से कम है, जो इस युग में एक असाधारण उपलब्धि मानी जाती है।

बुमराह का व्यवहार और गेंदबाज़ी दोनों ही क्रिकेट की किताबों में एक पाठ की तरह हैं—जहां अनुशासन, परिश्रम और परिपक्वता को सबसे ऊपर रखा जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि वह हर बार विकेट लेने के बाद आत्म-निरीक्षण करना पसंद करते हैं न कि भावनाओं में बह जाना। उनकी यह सोच उन्हें न सिर्फ एक बेहतरीन गेंदबाज़ बनाती है, बल्कि एक सच्चे लीडर की श्रेणी में भी खड़ा करती है।

भारत की टीम ने इस टेस्ट मैच में शानदार गेंदबाज़ी की है। बुमराह के अलावा सिराज और शमी ने भी अहम विकेट निकाले। हालांकि इंग्लैंड ने जेमी स्मिथ और ब्रीडन कार्स की साझेदारी की मदद से पहली पारी में 387 रन बना लिए। भारत की ओर से केएल राहुल और शुभमन गिल ने जवाबी पारी में संतुलित शुरुआत दी, और दिन का अंत भारत ने 145/3 के स्कोर पर किया। राहुल की 53 रनों की पारी विशेष रूप से स्थिर और उत्साहजनक रही।

बुमराह की यह सफलता सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं है। उन्होंने क्रिकेट के मैदान पर वह मानसिक संतुलन और अनुशासन दिखाया है, जो किसी भी युवा खिलाड़ी के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है। तेज गेंदबाज़ी एक थका देने वाला काम है, लेकिन बुमराह इसे पूरी ईमानदारी और आत्मविश्वास के साथ अंजाम देते हैं।

यह भी देखा गया कि दिन के अंत में मोहम्मद सिराज ने जब दर्शकों की ओर इशारा कर बुमराह से प्रशंसा स्वीकारने का आग्रह किया, तब बुमराह ने संकोच के साथ सिर हिलाते हुए मुस्कान दी। यह उनकी विनम्रता को दर्शाता है। मैदान पर भले ही उनका रवैया गंभीर रहता है, लेकिन उनकी आंखों में जुनून और लक्ष्य के लिए समर्पण साफ झलकता है।

इस टेस्ट में बुमराह ने जो किया, वह एक खिलाड़ी के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। उन्होंने यह साबित किया है कि जुनून, अनुशासन और लगातार मेहनत से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। उनका यह प्रदर्शन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनकर उभरेगा।

निष्कर्ष रूप में, यह कहा जा सकता है कि जसप्रीत बुमराह केवल विकेट नहीं लेते, वे एक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। उनका लॉर्ड्स पर पांच विकेट लेना केवल आंकड़ों का खेल नहीं था, बल्कि एक मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक संतुलन की पराकाष्ठा थी। उनकी यह “आश्चर्यजनक परिश्रम” भारतीय क्रिकेट के इतिहास में लंबे समय तक याद रखी जाएगी।

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