Bengaluru schools bomb threat: देश में शिक्षा संस्थानों की सुरक्षा को लेकर चिंता एक बार फिर से बढ़ गई है। शुक्रवार सुबह बेंगलुरु शहर के करीब 40 निजी स्कूलों को बम विस्फोट की धमकी भरे ईमेल प्राप्त हुए। यह घटना उस समय सामने आई जब कुछ ही घंटे पहले दिल्ली के कई स्कूलों को भी इसी तरह की धमकियाँ मिली थीं। यह पूरी घटना न सिर्फ माता-पिता और छात्रों के लिए भयावह रही, बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे को भी सक्रिय कर गई। हालांकि अब तक इन धमकियों में कोई विस्फोटक सामग्री नहीं मिली है, लेकिन फिर भी इस तरह की साइबर धमकियाँ एक गंभीर चुनौती बनकर सामने आई हैं।
At least 40 private schools across Bengaluru received bomb threat emails early on Friday morning, prompting a large-scale police response across the city. Schools in various areas, including Rajarajeshwari Nagar and Kengeri, were among those targeted by the anonymous messages.… pic.twitter.com/JF6iFCK4Iz
— IndiaToday (@IndiaToday) July 18, 2025
धमकी की शुरुआत और ईमेल का विवरण
बेंगलुरु के 40 से अधिक निजी विद्यालयों को सुबह लगभग 7:24 बजे एक धमकी भरा ईमेल प्राप्त हुआ। यह ईमेल एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा भेजा गया था, जिसका मेल पता “roadkill333@atomicmail.io” बताया जा रहा है। ईमेल में यह दावा किया गया था कि स्कूल की कक्षाओं में TNT विस्फोटक रखे गए हैं, जिन्हें जल्द ही सक्रिय किया जाएगा। संदेश में लिखा था, “You all deserve to suffer” और इसके साथ ही स्कूल को उड़ाने की धमकी दी गई थी।
धमकी में आत्महत्या का भी जिक्र था और भाषा अत्यंत उग्र और ग्राफिक थी। मेल में यह भी कहा गया कि बम काले प्लास्टिक के बैग में छिपा कर स्कूलों की विभिन्न कक्षाओं में रखा गया है। यह सूचना मिलते ही स्कूल प्रशासन और पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया।
पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया
बेंगलुरु सिटी पुलिस ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए फौरन एक्शन लिया। बॉम्ब डिटेक्शन एंड डिस्पोजल स्क्वॉड, डॉग स्क्वॉड और अन्य विशेष बलों को संबंधित स्कूल परिसरों में तैनात किया गया। सभी स्कूलों की व्यापक तलाशी ली गई। बच्चों और स्टाफ को सुरक्षित बाहर निकाला गया और स्कूल परिसरों को खाली कर दिया गया।
पुलिस का कहना है कि उन्होंने ईमेल भेजने वाले की पहचान के लिए साइबर क्राइम यूनिट को भी अलर्ट कर दिया है। अभी तक किसी भी स्कूल में कोई बम या विस्फोटक सामग्री नहीं मिली है, लेकिन जांच पूरी होने तक कोई भी संभावना खारिज नहीं की जा रही है।
दिल्ली में पहले से ही चल रहा था बम स्केयर
दिल्ली के स्कूलों को भी इस सप्ताह के शुरुआत में लगातार बम धमकियाँ मिलती रही हैं। बुधवार तक लगभग 50 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी वाले ईमेल मिले थे। कुछ स्कूलों में तो यह चौथी बार था जब ऐसी धमकियाँ मिलीं। दिल्ली में वसंत कुंज, द्वारका, विकासपुरी जैसे क्षेत्रों के प्रमुख स्कूल इस धमकी के दायरे में आए थे।
दिल्ली पुलिस ने भी तत्काल सुरक्षा बल तैनात कर तलाशी अभियान चलाया था। लेकिन अब तक इन धमकियों में कोई सच्चाई नहीं मिली है। फिर भी प्रशासन इसे हल्के में लेने को तैयार नहीं है।
क्या कहता है प्रशासन?
बेंगलुरु पुलिस आयुक्त ने प्रेस को जानकारी देते हुए कहा कि फिलहाल कोई भी विस्फोटक सामग्री नहीं मिली है और सभी स्कूलों को सुरक्षित घोषित किया गया है। लेकिन बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है, इसलिए पूरी तरह से जांच की जा रही है। स्कूल प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें।
दिल्ली पुलिस ने भी बताया कि ऐसी धमकियाँ एक संगठित साइबर अपराध का हिस्सा हो सकती हैं और उनकी टीमें IP ऐड्रेस ट्रेस करने, ईमेल सर्वर की जांच करने और अन्य डिजिटल सबूत जुटाने में लगी हैं।
अभिभावकों में डर का माहौल
इस तरह की धमकियों ने अभिभावकों में गहरी चिंता पैदा कर दी है। कई माता-पिता सुबह-सुबह अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बाद जब इस खबर को सुनते हैं, तो वे घबरा जाते हैं और तुरंत स्कूल पहुंच जाते हैं। कई स्कूलों ने अभिभावकों को सूचना भेज कर बच्चों को घर वापस भेजने की व्यवस्था की। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा दिन भर ट्रेंड करता रहा, जहां लोग शिक्षा संस्थानों की सुरक्षा को लेकर सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग करते दिखे।
साइबर क्राइम और चुनौती
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि साइबर अपराध अब केवल डिजिटल नुकसान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इसका सीधा असर भौतिक सुरक्षा और सामाजिक शांति पर भी पड़ सकता है। ऐसे ईमेल भेजने वाले अपराधियों का पता लगाना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है, खासकर जब वे VPN और अन्य छुपाव तकनीकों का उपयोग करते हैं। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को अब ऐसे मामलों में अधिक विशेषज्ञता और तकनीकी संसाधनों की आवश्यकता है।
कानूनी प्रावधान और सजा
भारतीय दंड संहिता के तहत इस तरह की धमकियाँ देना एक गंभीर अपराध है। धारा 505, 506 और 507 के अंतर्गत झूठी अफवाह फैलाना, धमकी देना और सार्वजनिक शांति भंग करना गैरजमानती अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे मामलों में दोषियों को 3 से 5 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। हालांकि इस तरह के साइबर अपराधियों को पकड़ना आसान नहीं होता, लेकिन जब पकड़े जाते हैं तो सख्त सजा तय होती है।
क्या कर सकते हैं स्कूल और सरकार?
इस घटना के बाद यह आवश्यक हो गया है कि सभी स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की जाए। यहां कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं:
- CCTV निगरानी – स्कूल परिसरों में हाई-रेज़ोलूशन कैमरे लगाए जाएं और उसकी निगरानी नियमित हो।
- साइबर जागरूकता – स्कूल प्रशासन को संदिग्ध ईमेल और डिजिटल गतिविधियों को पहचानने के लिए प्रशिक्षण दिया जाए।
- आपातकालीन ड्रिल – बच्चों और स्टाफ के लिए समय-समय पर सुरक्षा अभ्यास (evacuation drill) कराए जाएं।
- पुलिस संवाद – लोकल पुलिस स्टेशन के साथ स्कूल का संपर्क बना रहे, जिससे ऐसी स्थिति में तुरंत मदद मिल सके।
- पैरेंट्स कम्युनिकेशन सिस्टम – अभिभावकों को SMS या एप्स के माध्यम से तुरंत सूचना दी जा सके।
बेंगलुरु और दिल्ली जैसे बड़े महानगरों में इस प्रकार की घटनाएँ न केवल प्रशासन के लिए चेतावनी हैं, बल्कि पूरे समाज के लिए सोचने का विषय हैं। बच्चों की सुरक्षा से बड़ा कोई मुद्दा नहीं हो सकता। इस तरह की भयावह और घिनौनी हरकतें समाज में असुरक्षा और डर का माहौल पैदा करती हैं। लेकिन हमें डर कर नहीं, बल्कि सजग रह कर, सुरक्षा को मजबूत कर के और प्रशासन से सहयोग कर के इस प्रकार की घटनाओं से निपटना होगा।
आशा है कि पुलिस और साइबर एजेंसियाँ जल्द ही इस मामले की तह तक पहुँचेंगी और दोषियों को न्याय के कठघरे में लाया जाएगा। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि शिक्षा संस्थान हमारी आने वाली पीढ़ी की नींव हैं, और इनकी सुरक्षा हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।
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