Chandan Mishra murder: 17 जुलाई, 2025 की सुबह पटना के मशहूर और व्यस्ततम अस्पताल Paras HMRI Hospital में एक ऐसी घटना घटी, जिसने कानून व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए। सुबह करीब 7:15 बजे अस्पताल की ICU में चल रहे इलाज के दौरान कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा को गोलियों से भून दिया गया। चौंकाने वाली बात यह थी कि पांच हमलावरों की यह टीम अस्पताल में इतनी सहजता से घुसी, जैसे कोई VIP विज़िटर हो।
बिहार की राजधानी पटना के पारस अस्पताल में हुए चंदन मिश्रा हत्याकांड में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. वारदात को अंजाम देने के बाद शूटर्स जश्न मनाते हुए बाइक से फरार हो गए थे. इसकी तस्वीरें भी सामने आई हैं. इस पूरे मर्डर की साजिश कुख्यात तौसीफ बादशाह ने रची थी, जो पहले भी कई बार जेल… pic.twitter.com/rxoOPf94AX
— AajTak (@aajtak) July 18, 2025
इस पूरी कार्रवाई का नेतृत्व कर रहा था 26 वर्षीय तौसीफ़ बादशाह, जो अब तक आम जनता के लिए एक अनजान नाम था, लेकिन पुलिस के रिकॉर्ड में उसका अतीत काला और खतरनाक है। चंदन मिश्रा खुद भी हत्या के मामलों में सजायाफ्ता था और पुलिस की निगरानी में इलाज करवा रहा था।
पुलिस जांच में यह सामने आया कि यह हत्या बेहद सुनियोजित थी। हमलावरों ने अस्पताल के नक्शे, सुरक्षा कैमरों की स्थिति, और सुरक्षा प्रक्रियाओं की गहराई से जानकारी पहले ही जुटा ली थी। वे OPD के रास्ते सीधे ICU तक पहुंचे और रूम नंबर 209 में गोली चलाई गई। महज 30 सेकंड में पूरी वारदात को अंजाम दिया गया और फिर वे फरार हो गए।
तौसीफ़ बादशाह – पेशेवर कातिल या डिजिटल इन्फ्लुएंसर?
तौसीफ़ का नाम केवल क्राइम रिपोर्ट में नहीं, अब सोशल मीडिया पर भी तेजी से सामने आ रहा है। पुलिस जांच के दौरान यह सामने आया कि तौसीफ़ एक तरह से सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर की छवि भी रखता था। उसका Instagram और YouTube पर सक्रिय अकाउंट है जहाँ उसने खुद को ‘King of Patna’ जैसे खिताबों से नवाजा है।
उसके YouTube चैनल पर 100 से अधिक शॉर्ट्स वीडियो हैं। कुछ वीडियो में वह महंगी कारों में घूमता नजर आता है, तो कुछ में बच्चों के साथ मासूमियत दर्शाते हुए दिखता है। यह दोहरी ज़िंदगी दर्शाती है – एक तरफ पेशेवर अपराधी, दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर ग्लैमर और स्वैग से भरपूर चेहरा।
Facebook प्रोफाइल में उसके द्वारा लिखी गई पंक्तियाँ उसकी मानसिकता को उजागर करती हैं –
“जिस जंगल में तुम शेर बनकर घूमते हो, उस जंगल के बेखौफ शिकारी हैं हम।”
उसकी यह ‘गैंगस्टर ब्रांडिंग’ और डिजिटल बहादुरी, बिहार के युवाओं में अपराध की ओर आकर्षण को और बढ़ावा दे सकती है – यह चिंता का विषय है।
अपराध की पृष्ठभूमि और गैंगवार का कनेक्शन
चंदन मिश्रा और शेरू गैंग के बीच लंबे समय से तनाव चला आ रहा था। दोनों एक समय में एक ही गिरोह से जुड़े थे, लेकिन जेल के भीतर हुए टकराव के बाद उनके रास्ते अलग हो गए। चंदन मिश्रा ने अलग होकर अपना खुद का नेटवर्क बनाना शुरू किया, जिससे शेरू गुट नाराज़ हो गया।
पुलिस को शक है कि तौसीफ़ बादशाह को इसी गैंगवार के तहत सुपारी मिली थी, और उसने उसी के तहत इस सनसनीखेज हत्याकांड को अंजाम दिया। चूंकि चंदन अस्पताल में भर्ती था और पुलिस की सुरक्षा में था, इसलिए हमलावरों ने किसी बड़ी योजना के तहत इस हत्या को अंजाम देने की ठानी और सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरियों का पूरा फायदा उठाया।
सुरक्षा में चूक और राजनीतिक घमासान
इस घटना ने अस्पतालों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ICU जैसी संवेदनशील जगह पर इस तरह का हमला, वह भी दिनदहाड़े, यह दर्शाता है कि सुरक्षा प्रणाली कितनी लचर है। तौसीफ़ और उसके साथी बिना किसी पहचान-पत्र के सीधे ICU तक पहुंच गए। सुरक्षा गार्ड्स या अस्पताल प्रशासन ने कहीं भी उन्हें रोकने का प्रयास नहीं किया।
इस घटना ने बिहार की राजनीति में भी उबाल ला दिया है। विपक्षी दलों ने नीतीश कुमार सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार अब अपराधियों के हाथों में चला गया है और कोई भी सुरक्षित नहीं है।
वहीं, स्वतंत्र सांसद पप्पू यादव ने राज्यपाल से बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह घटना केवल हत्या नहीं, बल्कि राज्य की कानून व्यवस्था की हत्या है।
पुलिस की कार्रवाई और अब तक की प्रगति
घटना के बाद पटना पुलिस ने फौरन जांच शुरू की और अस्पताल की CCTV फुटेज खंगाली। इसके आधार पर पांच हमलावरों की पहचान कर ली गई है। पुलिस ने बक्सर जिले से छह संदिग्धों को हिरासत में लिया है, जिनसे पूछताछ जारी है। हालांकि, मुख्य आरोपी तौसीफ़ बादशाह अब तक फरार है।
पुलिस की विशेष टीमें बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल बॉर्डर तक तैनात की गई हैं ताकि उसे पकड़ा जा सके। अब यह देखना होगा कि पुलिस उसे कितनी जल्दी गिरफ्तार करती है, क्योंकि तौसीफ़ की डिजिटल मौजूदगी अब उसे एक ‘आतंक का चेहरा’ बना चुकी है।
क्या यह घटना एक नया संकेत है?
यह घटना केवल एक हत्या नहीं, बल्कि कई स्तरों पर सोचने पर मजबूर करती है – क्या हमारे अस्पताल सुरक्षित हैं? क्या पुलिस की निगरानी प्रणाली प्रभावी है? और सबसे अहम – क्या सोशल मीडिया पर अपराध की ग्लैमराइज़ेशन नई पीढ़ी को अपराध की तरफ धकेल रही है?
तौसीफ़ बादशाह का मामला एक ‘जागने वाली घंटी’ है, जो कानून व्यवस्था, समाज और डिजिटल नैतिकता – तीनों को झकझोर देता है।
तौसीफ़ बादशाह की कहानी केवल एक अपराध कथा नहीं, बल्कि आज के दौर में अपराध, तकनीक और समाज की जटिलताओं का प्रतीक बन चुकी है। एक तरफ उसका क्रूर चेहरा, जो ICU में गोलियां चलाता है, वहीं दूसरी तरफ उसका मुस्कुराता चेहरा Instagram पर। यह दोहरा व्यक्तित्व ही आज की सबसे बड़ी चुनौती है।
अब पुलिस और प्रशासन की अगली चाल ही तय करेगी कि इस खतरनाक इन्फ्लुएंसर का अंत कैसे होगा।
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