Trump’s claim on Ind-Pak conflict: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर चर्चा में आने वाला विवादास्पद बयान दिया है। ट्रम्प ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सैन्य टकराव में “चार या पाँच जेट विमानों को मार गिराया गया था।” उन्होंने साथ ही यह दावा भी किया कि उन्होंने ही दोनों देशों के बीच संघर्ष को थामा और शांति स्थापित करवाई।
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— Ankit Mayank (@mr_mayank) July 19, 2025
Donald Trump claims that 5 jets were shot down during India-Pak War
India is being ashamed globally, PM Modi must clear the truth nowpic.twitter.com/xv6qpWAFF3
यह बयान तब आया है जब भारत-पाकिस्तान के बीच मई 2025 में सीमित सैन्य झड़पें हुई थीं। इस दौरान पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने कश्मीर के पुलवामा और राजौरी में हमले किए थे, जिसके जवाब में भारत ने आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए लक्षित हवाई हमले किए। इन घटनाओं के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था और चार दिनों तक सीमाओं पर गोलीबारी और सैन्य हलचलें देखी गईं।
ट्रम्प का “सीज़फायर” का श्रेय लेने वाला दावा
ट्रम्प ने यह भी दावा किया कि उन्होंने व्यापार और कूटनीतिक दबाव के जरिए भारत और पाकिस्तान को बातचीत के लिए मजबूर किया और युद्ध की संभावना को टाल दिया। उन्होंने यह बयान अमेरिकी रिपब्लिकन नेताओं के साथ डिनर के दौरान दिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि वे अपने अंतरराष्ट्रीय प्रभाव का प्रचार करना चाहते हैं।
हालांकि, ट्रम्प ने यह नहीं बताया कि जिन पांच जेट विमानों को मार गिराने की बात की जा रही है, वे किस देश के थे। उन्होंने केवल इतना कहा कि “चार या पांच जेट को मिसाइल से गिराया गया,” और “हजारों लोग मारे जा सकते थे अगर मैंने हस्तक्षेप न किया होता।”
पाकिस्तान का ट्रम्प प्रेम
ट्रम्प के इस दावे के बाद पाकिस्तान सरकार और वहां की मीडिया में उनकी जमकर तारीफ हो रही है। पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी के कुछ नेताओं ने यहां तक कह दिया है कि डोनाल्ड ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने दोनों परमाणु संपन्न देशों को युद्ध से रोका।
यह समर्थन पाकिस्तान के उस लंबे रुख को दिखाता है जिसमें वह अमेरिका को मध्यस्थता के लिए आमंत्रित करता रहा है। पाकिस्तान की सरकार हमेशा से भारत के साथ तनावों में तीसरे पक्ष की भूमिका चाहती रही है, खासकर अमेरिका की।
भारत का स्पष्ट और सख्त रुख
दूसरी ओर, भारत ने ट्रम्प के दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ शब्दों में कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम किसी तीसरे देश के हस्तक्षेप से नहीं बल्कि दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की प्रत्यक्ष बातचीत और सैन्य संयम से संभव हुआ। भारत ने इस बात पर भी जोर दिया कि किसी भी बाहरी शक्ति को भारत की संप्रभुता और रणनीतिक निर्णयों में भूमिका नहीं दी जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रम्प के बयान पर अप्रत्यक्ष प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है और किसी की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है। वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाए और कहा कि भारत की छवि को अमेरिका के “व्यापारिक दबाव” में लाकर कमजोर किया गया है।
सवाल खड़े करती है ट्रम्प की रणनीति
ट्रम्प के बयान को उनके प्रचार के एक हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। वे पहले भी उत्तर कोरिया, अफगानिस्तान, और इजरायल-फिलिस्तीन जैसे मुद्दों में अपने “शांति प्रयासों” का दावा कर चुके हैं। उनके अनुसार, वे दुनिया के बड़े संकटों को रोकने में सफल रहे हैं और यह उनके नेतृत्व की मिसाल है।
परंतु सवाल यह उठता है कि क्या वास्तव में उन्होंने ऐसा कोई सीधा कूटनीतिक प्रयास किया? भारत सरकार के अनुसार, ट्रम्प के बयान तथ्यों से परे हैं। भारत का यह भी कहना है कि अगर कोई भी जेट गिराया गया, तो उसका पूरा रिकॉर्ड सैन्य स्तर पर मौजूद है और इस विषय में अमेरिका की भूमिका केवल एक पर्यवेक्षक भर की थी।
सच और प्रचार के बीच अंतर
ट्रम्प द्वारा बार-बार इस प्रकार के दावे करना यह दर्शाता है कि वे अपने राजनीतिक फायदे के लिए अंतरराष्ट्रीय घटनाओं का उपयोग कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के बयानों से न केवल भारत-पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों में भ्रम पैदा होता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी एक नकारात्मक संदेश जाता है।
भारत-पाक संघर्ष एक बेहद संवेदनशील और जटिल विषय है। इसमें ट्रम्प जैसे नेताओं के बिना आधार के दावे केवल और केवल राजनीतिक प्रचार की कोशिश प्रतीत होते हैं। भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने हितों और सीमाओं की रक्षा में पूरी तरह सक्षम है और किसी भी तीसरे पक्ष की भूमिका को स्वीकार नहीं करेगा।
ट्रम्प के बयान को जहां पाकिस्तान में समर्थन मिल रहा है, वहीं भारत में इसे एक तकरारपूर्ण और भ्रामक बयान माना जा रहा है। इस पूरे घटनाक्रम में एक बार फिर स्पष्ट हो गया कि प्रचार और हकीकत के बीच अंतर करना कितना ज़रूरी है।
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