NTSB slams media reports: एयर इंडिया की फ्लाइट AI‑171, जो जून 2025 में अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरते समय क्रैश हो गई थी, उसके संभावित कारणों को लेकर लगातार मीडिया में अटकलें और अफवाहें चल रही हैं। कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने इस हादसे को पायलट की आत्महत्या, या जानबूझकर की गई तकनीकी छेड़छाड़ से जोड़ दिया। लेकिन अब अमेरिका की सबसे बड़ी परिवहन जांच एजेंसी NTSB (नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड) की प्रमुख जेनिफर होमेंडी ने इन सभी मीडिया रिपोर्ट्स को ‘premature and speculative’, यानी जल्दबाज़ी और अटकलों पर आधारित बताया है।
"Premature and speculative": NTSB slams media reports on AI-171 crash investigation
— ANI Digital (@ani_digital) July 19, 2025
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NTSB प्रमुख ने न केवल इन रिपोर्टों को गैर-जिम्मेदाराना करार दिया बल्कि भारत की विमानन जांच एजेंसी AAIB (Aircraft Accident Investigation Bureau) की अपील का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने मीडिया से जांच पूरी होने तक संयम बरतने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की रिपोर्टिंग न सिर्फ पीड़ित परिवारों के लिए संवेदनहीन है, बल्कि इससे जांच की निष्पक्षता और गंभीरता पर भी असर पड़ता है।
एयर इंडिया क्रैश: हादसे की शुरुआत
12 जून 2025 को एयर इंडिया की फ्लाइट AI‑171 अहमदाबाद से दिल्ली के लिए उड़ान भर रही थी। उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों के भीतर, विमान ने नियंत्रण खो दिया और अहमदाबाद के बाहरी इलाके में एक रिहायशी कॉलोनी पर गिर गया। इस हादसे में विमान में सवार सभी 241 यात्री और 19 क्रू सदस्य मारे गए। इसके अलावा, ज़मीन पर मौजूद 18 लोगों की भी जान गई। यह भारत की इतिहास की सबसे बड़ी नागरिक विमान दुर्घटनाओं में से एक मानी जा रही है।
घटना के तुरंत बाद, भारत सरकार ने AAIB के नेतृत्व में दुर्घटना की जांच शुरू की, जिसमें अमेरिका की NTSB और बोइंग कंपनी के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया गया कि उड़ान के कुछ मिनटों के भीतर दोनों इंजन एक साथ बंद हो गए थे। विमान के फ्यूल कट-ऑफ स्विच “RUN” से “CUTOFF” मोड में चले गए थे, जिससे विमान के दोनों इंजन बंद हो गए। यह घटना बेहद असामान्य मानी जाती है, क्योंकि ऐसे स्विच सामान्यतः लॉक मोड में होते हैं और उड़ान के दौरान उन्हें हाथ से बंद करना तकनीकी दृष्टि से असंभव नहीं तो मुश्किल ज़रूर होता है।
कोपायलट की आवाज़ बनी मीडिया की सुर्खी
क्रैश से ठीक पहले की कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग में कोपायलट कैप्टन नीरज अवस्थी को यह कहते हुए सुना गया – “तुमने फ्यूल क्यों बंद कर दिया?”। इस वाक्य ने पूरे घटनाक्रम को एक अलग मोड़ दे दिया। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में रिपोर्ट्स आने लगीं कि शायद पायलट कैप्टन समर सबरवाल ने जानबूझकर विमान के इंजन बंद किए।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने यह भी दावा किया कि कैप्टन की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी, वे पारिवारिक और वित्तीय तनाव से जूझ रहे थे और हाल ही में उनका मेडिकल चेकअप भी संदिग्ध था। लेकिन जांच एजेंसियों ने इन दावों की पुष्टि नहीं की। AAIB की रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया कि कैप्टन के सभी मेडिकल और साइकोलॉजिकल टेस्ट्स उड़ान से पहले मान्य पाए गए थे और किसी प्रकार की दिक्कत दर्ज नहीं थी।
मीडिया की भूमिका पर सवाल
NTSB प्रमुख जेनिफर होमेंडी ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर जो बयान दिया, वह एक तरह से मीडिया की जिम्मेदारी पर सवाल खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की दुर्घटनाओं की जांच में कई महीनों का समय लगता है, और जब तक कोई ठोस और अंतिम निष्कर्ष न निकले, तब तक किसी भी प्रकार की अटकलबाज़ी करना अनैतिक और गैर-जिम्मेदाराना है।
उन्होंने मीडिया से आग्रह किया कि वे AAIB और NTSB की ओर से आधिकारिक रिपोर्ट का इंतजार करें और केवल प्रमाणिक जानकारी पर आधारित रिपोर्टिंग करें। उन्होंने यह भी कहा कि जांच को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए मीडिया को संयम दिखाना चाहिए।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत की जांच एजेंसी AAIB के महानिदेशक जीवीजी युगंधर ने भी मीडिया से संयम की अपील की है। उन्होंने कहा कि कई मीडिया रिपोर्ट्स तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत कर रही हैं जिससे जनता में भ्रम और भय फैल रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जा रही है और समय पर फाइनल रिपोर्ट जनता के सामने लाई जाएगी।
पायलट संगठन का कड़ा विरोध
Federation of Indian Pilots (FIP) ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों जैसे Reuters और The Wall Street Journal को कानूनी नोटिस भेजा है। उनका कहना है कि बिना ठोस प्रमाण के किसी पायलट को दोषी ठहराना न केवल अनुचित है, बल्कि इससे पूरे पायलट समुदाय की छवि धूमिल होती है। संगठन ने यह भी कहा कि इस तरह की रिपोर्टिंग से भारत के पायलटों में तनाव और असुरक्षा की भावना बढ़ी है।
FIP ने मीडिया से अनुरोध किया है कि जब तक अंतिम जांच रिपोर्ट सामने न आ जाए, तब तक ऐसी खबरें ना फैलाएं जो हादसे के शिकार हुए लोगों के परिवारों की पीड़ा को और बढ़ा सकती हैं।
क्या वाकई पायलट ने किया था इरादतन स्विच ऑफ?
इस सवाल का जवाब देना अभी जल्दबाज़ी होगी। हालांकि कुछ तकनीकी साक्ष्य और कॉकपिट रिकॉर्डिंग इशारा करते हैं कि स्विच को हाथ से बंद किया गया था, लेकिन यह भी देखा जाना बाकी है कि क्या ऐसा जानबूझकर किया गया या फिर किसी तकनीकी खराबी के चलते ऐसा हुआ।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि बोइंग 787‑8 जैसे आधुनिक विमानों में फ्यूल स्विच इतनी आसानी से गलती से नहीं दबते। वहीं कुछ अन्य इंजीनियरों ने संभावना जताई कि इंजन कंट्रोल सिस्टम में इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी के कारण ऐसा हो सकता है।
इसलिए AAIB और NTSB दोनों एजेंसियों ने इस बात पर जोर दिया है कि जब तक सभी पहलुओं की वैज्ञानिक और तकनीकी जांच पूरी न हो जाए, तब तक किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना जांच की प्रक्रिया के साथ अन्याय होगा।
आगे की प्रक्रिया और उम्मीदें
AAIB और NTSB की संयुक्त जांच टीम अगले कुछ महीनों में विस्तृत फाइनल रिपोर्ट जारी करेगी जिसमें न केवल हादसे के कारणों का विश्लेषण होगा, बल्कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए सुझाव भी दिए जाएंगे। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद ही कोई स्पष्ट निष्कर्ष निकल पाएगा।
इस बीच, यात्रियों के परिजन न्याय की उम्मीद में सरकार और जांच एजेंसियों की ओर देख रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि सच्चाई सामने आएगी और अगर किसी की लापरवाही या जानबूझकर की गई गलती सामने आती है, तो उचित कार्रवाई की जाएगी।
एयर इंडिया फ्लाइट AI‑171 हादसे ने देशभर को हिला कर रख दिया है। यह केवल एक विमान दुर्घटना नहीं थी, बल्कि एक सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और पत्रकारिक परीक्षा भी है। ऐसे समय में मीडिया की जिम्मेदारी बनती है कि वह तथ्यों पर आधारित, संवेदनशील और संयमित रिपोर्टिंग करे।
NTSB प्रमुख का बयान हमें यह समझाता है कि पत्रकारिता की ताकत तभी सार्थक होती है जब वह जिम्मेदार हो। अफवाहें, जल्दबाज़ी और सनसनीखेज हेडलाइंस ना केवल सच्चाई को पीछे धकेलती हैं, बल्कि लोगों के दर्द को भी अनदेखा करती हैं।
अभी समय है जांच पूरी होने का इंतजार करने का, सच को सामने आने देने का और पीड़ित परिवारों के साथ सहानुभूति रखने का।
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