(Bangladesh plane crash) ढाका, 21 जुलाई 2025 — बांग्लादेश की राजधानी ढाका के उत्तरा इलाके में सोमवार दोपहर जो दृश्य देखने को मिला, उसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया। बांग्लादेश वायुसेना का एक एफ-7 बीजीआई प्रशिक्षण विमान मिलस्टोन स्कूल एंड कॉलेज के परिसर पर गिर गया, जिससे 19 लोगों की जान चली गई और 170 से अधिक लोग घायल हो गए। इस भयावह दुर्घटना ने देश को गहरे शोक में डाल दिया है और वायुसेना की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
#VantageOnFirstpost: At least 19 people have died and over 100 were injured after a Bangladesh Air Force training jet crashed into a school campus in Dhaka. @palkisu tells you more. pic.twitter.com/uKAXfGABJN
— Firstpost (@firstpost) July 21, 2025
एफ-7 बीजीआई चीन निर्मित एक सुपरसोनिक ट्रेनिंग जेट है, जिसे बांग्लादेश वायुसेना में वर्षों से इस्तेमाल किया जा रहा है। यह विमान सोमवार को ढाका के कुर्मिटोला एयरबेस से नियमित प्रशिक्षण उड़ान पर था। उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद इसमें तकनीकी खराबी आई, जिससे पायलट का विमान पर नियंत्रण टूट गया। विमान तेजी से नीचे की ओर आया और सीधे स्कूल परिसर में जाकर टकराया।
स्थानीय समयानुसार दोपहर लगभग 1 बजकर 6 मिनट पर यह हादसा हुआ, जब स्कूल में सैकड़ों बच्चे और शिक्षक मौजूद थे। स्कूल की इमारत में विस्फोट हुआ और चारों ओर धुएं के बादल छा गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पहले एक तेज़ आवाज सुनाई दी, फिर आसमान से आग का गोला गिरता नजर आया और कुछ ही सेकंड में स्कूल परिसर आग की लपटों से घिर गया।
विमान के टकराने से स्कूल की इमारत का एक हिस्सा पूरी तरह ध्वस्त हो गया। कई बच्चे जो क्लासरूम में पढ़ाई कर रहे थे, वे मलबे में दब गए। कुछ घायल बच्चों को स्थानीय नागरिकों ने अपनी जान की परवाह किए बिना बाहर निकाला। घटनास्थल पर चीख-पुकार, रोते-बिलखते अभिभावक और दमकलकर्मी, हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल था।
पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहम्मद तौकीर इस्लाम सागर ने आखिरी क्षणों तक विमान को आबादी से दूर ले जाने का प्रयास किया। वायुसेना के अधिकारियों ने बताया कि पायलट ने अंतिम क्षणों में हिम्मत नहीं हारी और विमान को कम से कम नुकसान पहुँचाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन समय की कमी और विमान की तेजी के कारण दुर्घटना को रोका नहीं जा सका। पायलट भी इस हादसे में मारे गए।
बांग्लादेश आर्मी और एयरफोर्स की संयुक्त टीमें कुछ ही मिनटों में मौके पर पहुंच गईं। फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू पाने के लिए लगातार प्रयास किए। चार दर्जन से अधिक एंबुलेंस, निजी वाहन और रिक्शा भी घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए लगाए गए। कई छात्रों को झुलसने के कारण गंभीर जलन हुई है, जबकि कुछ की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है।
अस्पताल सूत्रों के मुताबिक मृतकों में अधिकांश स्कूली छात्र हैं, जिनकी उम्र 8 से 16 वर्ष के बीच है। एक तीसरी कक्षा का छात्र अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ चुका था। अन्य कई बच्चों के शरीर का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा जल चुका है, जिनका इलाज राष्ट्रीय प्लास्टिक सर्जरी और बर्न सेंटर में किया जा रहा है।
बांग्लादेश सरकार ने हादसे की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस ने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और पूरी घटना की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि घायलों के इलाज में कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी और उन्हें हरसंभव सहायता दी जाएगी।
दुर्घटना के तुरंत बाद एयरफोर्स मुख्यालय ने एक जांच समिति का गठन किया है, जो यह पता लगाएगी कि तकनीकी खराबी क्यों और कैसे हुई। एफ-7 बीजीआई विमान को लेकर पिछले कुछ वर्षों में पहले भी चिंता जताई गई थी, क्योंकि इन विमानों में आधुनिक सुरक्षा प्रणालियों का अभाव है। यह विमान चीन द्वारा 2013 से 2022 के बीच बांग्लादेश को दिए गए थे। इन्हें जे-7 मॉडल का उन्नत संस्करण माना जाता है, लेकिन आज की आधुनिक एयरस्पेस जरूरतों के हिसाब से ये कहीं न कहीं पीछे हैं।
इस हादसे ने वायुसेना की प्रशिक्षण प्रणाली और स्कूल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के पास हवाई प्रशिक्षण उड़ानों की नीति पर भी सवाल खड़े किए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि एयरबेस और शहरी स्कूलों के बीच कम से कम एक सुरक्षित परिधि होनी चाहिए ताकि आपात स्थिति में जनहानि को टाला जा सके।
इस दुखद घटना पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी गहरा शोक प्रकट किया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर अपनी संवेदनाएं प्रकट कीं और बांग्लादेश सरकार को हर संभव मदद देने का वादा किया। पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका सहित कई देशों ने इस दुर्घटना को बेहद दुखद बताया और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
दुर्घटना के बाद स्कूल को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। शिक्षा मंत्रालय ने देश के सभी स्कूलों को आपातकालीन सुरक्षा योजना लागू करने का निर्देश दिया है। इस हादसे ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि सुरक्षा सिर्फ सीमा पर नहीं, घर और स्कूल तक सुनिश्चित की जानी चाहिए।
अस्पताल में भर्ती एक घायल छात्र के पिता ने मीडिया से कहा, “मैं अपने बेटे को स्कूल छोड़कर निश्चिंत हो गया था। मुझे क्या पता था कि कुछ घंटों में उसकी जिंदगी ही बदल जाएगी। सरकार से मेरा सवाल है—क्या हमारे बच्चों की जिंदगी की कोई गारंटी है?”
सवाल बड़ा है और संवेदनशील भी। क्या इस हादसे से सबक लिया जाएगा? क्या अब ट्रेनिंग उड़ानों की नीति पर दोबारा विचार किया जाएगा? क्या भविष्य में ऐसी कोई और त्रासदी नहीं होगी? ये सवाल केवल बांग्लादेश ही नहीं, पूरे उपमहाद्वीप के लिए चेतावनी हैं।
सरकार और रक्षा मंत्रालय को चाहिए कि वे तत्काल प्रभाव से न सिर्फ इस घटना की जांच करें बल्कि वायुसेना की प्रशिक्षण प्रणाली, सुरक्षा मानकों और विमानों की स्थिति की गहराई से समीक्षा करें। साथ ही, आम नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए संवेदनशील इलाकों में उड़ानों की अनुमति को लेकर सख्त नियम बनाए जाएं।
इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब तकनीकी चूक या प्रशासनिक लापरवाही होती है, तो उसका खामियाजा मासूमों को भुगतना पड़ता है। अगर अब भी हम नहीं चेते, तो अगली बार नुकसान और भी बड़ा हो सकता है।
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