India to issue Visas to Chinese tourists: भारत और चीन के बीच संबंधों में एक नया अध्याय जुड़ गया है। पांच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद, भारत सरकार ने आखिरकार चीनी नागरिकों के लिए टूरिस्ट वीज़ा जारी करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय न केवल दो देशों के बीच आपसी संबंधों में सुधार का संकेत देता है, बल्कि यह पर्यटन, व्यापार और लोगों के आपसी संपर्क को भी एक नई दिशा प्रदान करेगा।
India to start issuing tourist visa to Chinese nationals from tomorrow, after a 5-year gap. Read here pic.twitter.com/2q5WQB1yCh
— NDTV (@ndtv) July 23, 2025
यह फैसला 2020 में गलवान घाटी में हुए टकराव और कोविड-19 महामारी के बाद बंद हुई सेवाओं के बाद लिया गया पहला बड़ा कदम है। भारत ने 24 जुलाई 2025 से चीनी नागरिकों के लिए टूरिस्ट वीज़ा सेवा पुनः शुरू करने की घोषणा की है, जिससे संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच जमी हुई बर्फ अब धीरे-धीरे पिघल रही है।
वीज़ा बहाली: क्यों है यह निर्णय महत्वपूर्ण?
भारत और चीन एशिया के दो सबसे बड़े और प्रभावशाली राष्ट्र हैं। दोनों देशों के बीच राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक तनाव भले ही समय-समय पर उभरते रहे हों, लेकिन उनके लोगों के बीच आपसी संबंध हमेशा जीवंत रहे हैं। वीज़ा प्रतिबंध हटाकर भारत सरकार ने यह संदेश दिया है कि वह बातचीत और सहयोग के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहती है।
यह कदम चीन की जनता को भारत की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर और विविधता से रूबरू होने का अवसर देगा। इससे भारत के पर्यटन क्षेत्र को भी नई ऊर्जा मिलेगी, जो कोविड के बाद पुनर्जीवन की राह पर है।
क्या हुआ था 2020 में?
2020 में भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत ने कई कड़े कदम उठाए थे। इसमें चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध, व्यापारिक समीक्षा, सीमा पर सख्ती और सबसे महत्वपूर्ण — चीनी नागरिकों के लिए वीज़ा सेवा का निलंबन शामिल था। कोविड-19 के वैश्विक प्रकोप ने इस दूरी को और भी बढ़ा दिया। नतीजन, हजारों छात्रों, पर्यटकों, व्यवसायियों और शोधकर्ताओं को दोनों देशों के बीच यात्रा करने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
2025 में यह बदलाव क्यों?
2023 से ही भारत और चीन के बीच धीरे-धीरे बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। सीमा पर सैन्य तनाव को कम करने के लिए कई दौर की वार्ताएं हुईं। 2024 के अंत में दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की मुलाकात के बाद संकेत मिलने लगे थे कि सामान्य स्थितियों की बहाली पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
अब जबकि दुनिया कोविड के प्रभावों से काफी हद तक उबर चुकी है, और दोनों देश आर्थिक गति को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं, यह निर्णय एक तार्किक और रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
वीज़ा प्रक्रिया कैसे चलेगी?
नई प्रणाली के अंतर्गत, चीनी नागरिक भारत में पर्यटन के उद्देश्य से टूरिस्ट वीज़ा के लिए आवेदन कर सकेंगे। प्रक्रिया निम्न प्रकार होगी:
- आधिकारिक वेबसाइट पर वीज़ा फॉर्म ऑनलाइन भरना होगा।
- वीज़ा एप्लीकेशन का प्रिंट निकाल कर निकटतम भारतीय वीज़ा सेंटर में दस्तावेज़ों के साथ जमा करना होगा।
- आवश्यक दस्तावेज़ों में पासपोर्ट, यात्रा टिकट, होटल बुकिंग, बीमा प्रमाणपत्र और पासपोर्ट साइज फोटो शामिल होंगे।
- तय समय में वीज़ा मिलने के बाद यात्रा की अनुमति मिलेगी।
विशेष ध्यान इस बात पर रखा जाएगा कि केवल वास्तविक पर्यटकों को वीज़ा मिले। सुरक्षा एजेंसियां भी सतर्क रहेंगी, ताकि इस प्रक्रिया का कोई दुरुपयोग न हो।
क्या कहता है चीन?
चीनी विदेश मंत्रालय ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे “एक सकारात्मक कदम” कहा है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह निर्णय दोनों देशों के लोगों को जोड़ने वाला एक मजबूत पुल बनेगा। उन्होंने यह भी दोहराया कि चीन अपने पड़ोसी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने यारलुंग संगपो (ब्रह्मपुत्र नदी) पर चीन द्वारा बनाए जा रहे बांध पर उठे सवालों को खारिज करते हुए कहा कि यह परियोजना पूरी तरह चीन की संप्रभुता में आती है, और इसका मकसद किसी देश को नुकसान पहुंचाना नहीं है।
यारलुंग संगपो बांध विवाद
भारत में अरुणाचल प्रदेश और असम में जल विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों ने चीन के इस मेगा डैम पर चिंता व्यक्त की है। इस परियोजना की लागत लगभग 1.2 ट्रिलियन युआन बताई जा रही है, और यह विश्व का सबसे बड़ा पनबिजली बांध बनने की दिशा में अग्रसर है।
भारतीय अधिकारियों ने इसे “जल बम” की संज्ञा दी है और आशंका जताई है कि चीन इससे जल प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है, जिससे पूर्वोत्तर भारत में सूखा या बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है।
बांग्लादेश ने भी इसी चिंता को साझा किया है, क्योंकि यह नदी भारत होते हुए बांग्लादेश में भी बहती है। हालांकि, चीन का दावा है कि वह पड़ोसी देशों के साथ जल सूचना साझा करने और सहयोग की नीति पर आगे बढ़ रहा है।
क्या यह विश्वास बहाली की शुरुआत है?
भारत और चीन के बीच विश्वास की कमी लंबे समय से बनी रही है। वीज़ा सेवा की बहाली को कुछ विशेषज्ञ एक रणनीतिक प्रयास मानते हैं, जिससे आपसी संवाद और संपर्क में बढ़ोतरी होगी। यह कूटनीति की उस शैली का हिस्सा है जिसे ‘पीपल टू पीपल कनेक्ट’ कहा जाता है।
पर्यटन के जरिए सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा मिलेगा। चीनी नागरिक भारत में बौद्ध स्थलों, योग केंद्रों, हिमालयी पर्वतों और ऐतिहासिक स्मारकों का दौरा कर पाएंगे। इससे न केवल भारतीय पर्यटन को आर्थिक बल मिलेगा, बल्कि दोनों देशों के नागरिकों के बीच पारस्परिक समझ भी बढ़ेगी।
क्या यह स्थायी बदलाव होगा?
इसका उत्तर समय देगा। हालांकि, इस कदम से यह संकेत मिलता है कि भारत-चीन संबंध अब केवल टकराव की राजनीति से ऊपर उठकर परस्पर लाभ की दिशा में बढ़ना चाहते हैं। सीमा विवाद, जल नीति और व्यापार में असंतुलन जैसे मुद्दे अभी भी बने हुए हैं, लेकिन वीज़ा बहाली एक ऐसा क्रांतिकारी संकेत है जो भविष्य की राह को सकारात्मक बना सकता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर यह पहल सफल रही, तो आने वाले महीनों में स्टूडेंट वीज़ा, व्यापार वीज़ा और हेल्थ वीज़ा सेवाएं भी फिर से शुरू हो सकती हैं। यह भारत के लिए पर्यटन क्षेत्र में नए अवसर भी खोलेगा।
भारत द्वारा चीनी नागरिकों को टूरिस्ट वीज़ा जारी करना केवल एक नीतिगत निर्णय नहीं है, यह एक गहरा संदेश है कि संवाद, सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की राह खुली रहनी चाहिए — चाहे राजनीतिक परिस्थिति कुछ भी हो। यह कदम पर्यटन के क्षेत्र को मजबूती देगा, और संभवतः भारत-चीन संबंधों में एक नया युग आरंभ करेगा।
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