October 10, 2025
जॉनी लीवर

जॉनी लीवर बेटे के कैंसर से लड़े विश्वास की जंग, जब डॉक्टरों ने कहा – कोई इलाज नहीं

बॉलीवुड के प्रसिद्ध हास्य कलाकार जॉनी लीवर ने हाल ही में अपने जीवन का एक ऐसा अनुभव साझा किया है जो हर माता-पिता के दिल को छू जाएगा। यह एक ऐसा किस्सा है जिसमें विश्वास, धैर्य और प्रेम की शक्ति ने विज्ञान को भी पीछे छोड़ दिया। बात है उस समय की जब उनके बेटे जेसी लीवर को एक गंभीर बीमारी ने घेर लिया था—कैंसर। उस समय भारत के डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया था, पर जॉनी और उनके परिवार ने हार नहीं मानी और भगवान पर पूरा भरोसा रखा।

भारत में बीमारी का पता चलना और डॉक्टरों का जवाब

जेसी लीवर की गले में एक गांठ पाई गई। शुरुआत में उन्हें सामान्य दवाइयां दी गईं, लेकिन कुछ ही समय में समस्या गंभीर होती गई। जांच के बाद पता चला कि गले में जो गांठ है, वह एक प्रकार का कैंसर है। यह गांठ एक ऐसी जगह पर थी जो ऑपरेशन के लिहाज़ से अत्यंत जटिल थी—यह नसों और कान के बेहद पास स्थित थी।

भारत के नामी डॉक्टरों ने जांच के बाद जॉनी लीवर को स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस गांठ को हटाना बहुत जोखिम भरा होगा। उनका कहना था कि ऑपरेशन के दौरान जेसी को लकवा मार सकता है या उसकी आंखों की रोशनी चली जा सकती है। इतना ही नहीं, कुछ विशेषज्ञों ने यहां तक कह दिया कि यह गांठ अचिकित्सीय है—यानि इसका इलाज संभव नहीं है। परिवार को सलाह दी गई कि जेसी को दवाइयों पर ही रखा जाए और उम्मीद न की जाए।

जॉनी लीवर ने बताया कि उनके बेटे को दिन में 40 से 50 दवाइयां दी जाती थीं, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। उल्टा गांठ बढ़ती ही जा रही थी। पूरा परिवार चिंता में डूबा हुआ था और हर रोज़ एक अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहा था।

अमेरिका की यात्रा और चमत्कार की शुरुआत

इस कठिन समय में, जॉनी लीवर और उनका परिवार अमेरिका गया। वहां न्यू जर्सी के एक चर्च में वे एक पादरी से मिले। जैसे ही पादरी ने जेसी को देखा, उन्होंने कहा, “यह ईश्वर का घर है। इस बच्चे को स्लोअन केटरिंग अस्पताल ले जाइए और विश्वास रखिए, ईश्वर इसे ठीक करेंगे।”

जॉनी लीवर के लिए यह बात एक नई आशा की किरण बनकर आई। उन्होंने तुरंत पादरी की बात मानी और न्यूयॉर्क के स्लोअन केटरिंग अस्पताल में एक प्रसिद्ध कैंसर सर्जन डॉ. जतिन शाह से संपर्क किया। डॉक्टर ने केस को गंभीरता से लिया और तुरंत ऑपरेशन की तैयारी की गई।

ऑपरेशन के दौरान प्रार्थना और चमत्कार

ऑपरेशन से पहले जॉनी लीवर और उनका पूरा परिवार तनाव में था। लेकिन जॉनी ने भगवान में पूरा विश्वास रखा और ऑपरेशन के दौरान लगातार प्रार्थना करते रहे। उन्होंने बताया कि वे तीन घंटे तक घुटनों के बल बैठकर प्रार्थना करते रहे। उनकी पत्नी को लगा कि जॉनी मानसिक रूप से असंतुलित हो गए हैं, लेकिन जॉनी का कहना था कि उन्हें ईश्वर पर भरोसा है।

तीन घंटे के ऑपरेशन के बाद डॉक्टर बाहर आए और कहा कि ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा है। न ही लकवे की कोई संभावना रही, न ही दृष्टि पर कोई असर पड़ा। जेसी जब ऑपरेशन के बाद होश में आया, तो उसने अपने हाथों से संकेत दिया कि वह ठीक है। सिर्फ उसके गले पर एक छोटा बैंडेज था।

यह एक ऐसा क्षण था जिसे जॉनी लीवर शब्दों में बयां नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि यह चमत्कार था—ईश्वर की कृपा। और यहीं से उनका जीवन बदल गया।

जीवन में आया बदलाव

इस घटना के बाद जॉनी लीवर ने अपने जीवन में कई बड़े बदलाव किए। उन्होंने शराब पीना, गाली देना और सभी बुरी आदतें छोड़ दीं। उनका कहना है कि वह पहले सिर्फ नाम के ईसाई थे, लेकिन अब उन्हें ईश्वर का वास्तविक अनुभव हुआ है। वे धर्म में पूरी तरह लीन हो गए और उनका जीवन पूरी तरह बदल गया।

वे कहते हैं, “मुझे आज भी याद है जब मैंने डॉक्टरों से पूछा था—‘मैं पिता हूं, भगवान नहीं। अब आप मुझे बताइए कि आगे क्या करना है।’ लेकिन डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए थे। उसी समय मैंने मन में ठान लिया था कि हार नहीं मानूंगा।”

जेसी लीवर की आज की स्थिति

जेसी अब पूरी तरह स्वस्थ हैं। उन्होंने अपना करियर संगीत और सोशल मीडिया में बनाया है। वे ड्रमर और म्यूज़िक क्रिएटर हैं। उनकी बहन जैमी लीवर भी कॉमेडी और अभिनय में सक्रिय हैं। दोनों भाई-बहन आज अपने पिता के आदर्शों को आगे बढ़ा रहे हैं।

जॉनी लीवर की सोच और प्रेरणा

इस घटना ने जॉनी लीवर को सिर्फ आध्यात्मिक रूप से नहीं, इंसान के रूप में भी गहराई से बदल दिया। उन्होंने कहा कि इस लड़ाई ने उन्हें सिखाया कि जीवन में सिर्फ पैसा और नाम नहीं, बल्कि परिवार, प्रेम और विश्वास सबसे बड़ी संपत्ति हैं।

वह अब भी जब उस समय को याद करते हैं, तो उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। वे कहते हैं, “अगर उस दिन हमने डॉक्टरों की बात मान ली होती, तो शायद आज हमारा बेटा हमारे साथ न होता।”

जॉनी लीवर की यह कहानी एक ऐसी मिसाल है, जो बताती है कि जब दुनिया हार मान लेती है, तब ईश्वर रास्ता दिखाते हैं। यह एक पिता की निष्ठा, एक बेटे की हिम्मत और एक परिवार की प्रार्थना की जीत की कहानी है। यह उस विश्वास की कहानी है जो हर कठिन परिस्थिति में उम्मीद की रोशनी बनकर उभरता है।

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Kiran Mankar

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