Budget 2025-26: इस बार के बजट में पहली बार उद्यमी बनने वाली महिलाओं के साथ-साथ अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के लिए विशेष ऋण योजनाओं की घोषणा की गई है। साथ ही, जीवनरक्षक दवाओं पर कस्टम ड्यूटी हटाने, मेडिकल सीटों की संख्या बढ़ाने और जिला अस्पतालों में कैंसर केंद्र खोलने की योजनाओं से स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की उम्मीद जगी है।
इस बजट में आम लोगों, विशेषकर मध्यवर्ग के लिए कई राहत भरे प्रावधान किए गए हैं। हालांकि, कुछ राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों की वजह से इस बजट को चुनावी राहत के तौर पर भी देखा जा रहा है। विपक्ष ने इसे चुनावी बजट बताया है, जबकि सरकार इसे सुधारवादी और समावेशी बजट के रूप में पेश कर रही है।
मध्यवर्ग को बड़ी राहत
इस बजट की सबसे बड़ी खबर यह रही कि अब जिनकी सालाना आय 12 लाख रुपए तक है, उन्हें आयकर नहीं देना होगा। हालांकि, यह देखना होगा कि नए कर नियमों के तहत कितने लोग इस राहत के दायरे में आ पाते हैं। इससे पहले, सालाना 7 लाख रुपए तक की आय वालों को ही आयकर में छूट मिलती थी।
लंबे समय बाद मध्यवर्ग को इतनी बड़ी राहत मिली है। इसके अलावा, टीडीएस की सीमा 10 लाख रुपए करने और आयकर रिटर्न भरने की समयसीमा 4 साल तक बढ़ाने जैसे कदमों से बाजार में सुस्ती दूर करने की उम्मीद है। मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक सामान, इलेक्ट्रिक कारें और टीवी जैसी चीजों के सस्ते होने से भी मध्यवर्ग को राहत मिलेगी। पिछले कुछ समय से महंगाई और आर्थिक मंदी के बीच लोगों की क्रयशक्ति प्रभावित हुई थी, जिसे इस बजट से संतुलित करने की कोशिश की गई है।
किसानों के लिए उम्मीद भरी योजनाएं
किसानों के लिए क्रेडिट कार्ड पर ऋण, दलहन-तिलहन और खाद उत्पादन को बढ़ावा देने, और मखाना बोर्ड बनाने जैसी घोषणाएं की गई हैं। हालांकि, यह देखना होगा कि इन योजनाओं से किसानों की मुख्य मांगें, जैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य और कर्जमाफी, कैसे पूरी होती हैं। वहीं, मनरेगा के बजट में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है, जिसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था के प्रति उदासीनता के रूप में देखा जा रहा है।
स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में सुधार
जीवनरक्षक दवाओं पर कस्टम ड्यूटी हटाने, मेडिकल सीटें बढ़ाने और जिला अस्पतालों में कैंसर केंद्र खोलने की योजनाओं से स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़े बदलाव की उम्मीद है। शिक्षा क्षेत्र के लिए भी पिछले साल के मुकाबले 6.65% अधिक बजट आवंटित किया गया है। हालांकि, रेलवे के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई है।
रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर
यह देखना होगा कि इन योजनाओं का रोजगार क्षेत्र पर क्या असर पड़ता है, क्योंकि पिछले कुछ सालों में युवाओं के लिए बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बन गई है। साथ ही, मैला ढोने वाले मजदूरों को सुविधाएं देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
चुनावी रंगत का आरोप
बजट में बिहार के लिए विशेष उदारता दिखाई गई है, जिसे विपक्ष ने चुनावी रणनीति बताया है। विपक्ष का कहना है कि यदि यह चुनावी बजट नहीं है, तो अन्य राज्यों के लिए भी समान नजरिया क्यों नहीं अपनाया गया। हालांकि, सरकार इस बजट को सभी वर्गों के लिए उम्मीदों पर खरा उतरने वाला बता रही है।
इस बजट में मध्यवर्ग, किसान, महिलाएं और स्वास्थ्य क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए कई अहम फैसले लिए गए हैं। अब यह देखना होगा कि इन योजनाओं का जमीनी स्तर पर कितना लाभ मिलता है और क्या यह बजट वास्तव में सभी के लिए राहत का साबित होता है।