PM Modi in Mahakumbh: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज प्रयागराज के पावन संगम में स्नान करने पहुंचे। उनके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी ने अरैल घाट से एक छोटी नाव के जरिए संगम की ओर प्रस्थान किया और इस दौरान वहां उपस्थित श्रद्धालुओं का हाथ हिलाकर अभिवादन किया।
महाकुंभ, जो 13 जनवरी से पौष पूर्णिमा के अवसर पर शुरू हुआ, दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। इसमें देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु शामिल होते हैं। प्रधानमंत्री के आगमन के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। सुरक्षा एजेंसियों ने पूरे क्षेत्र में विशेष निगरानी रखी और तैयारियों की समीक्षा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं की थी।
प्रधानमंत्री मोदी प्रयागराज हवाई अड्डे पर पहुंचे, जहां से उन्होंने हेलीकॉप्टर द्वारा नैनी के दिल्ली पब्लिक स्कूल मैदान तक की यात्रा की। वहां से वह सुबह 10:45 बजे अरैल घाट पहुंचे और नाव के जरिए संगम स्थल पर पहुंचे। संगम में स्नान के पश्चात प्रधानमंत्री ने मां गंगा की विधिवत पूजा-अर्चना की और साधु-संतों से मुलाकात भी की।
संगम स्नान के बाद प्रधानमंत्री ने 13 अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वरों सहित कुल 26 संतों के साथ गंगा पूजन किया। इसके बाद उन्होंने प्रयागराज से नई दिल्ली के लिए प्रस्थान किया। उनके इस दौरे के दौरान गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पहले ही महाकुंभ में स्नान कर चुके थे।
इससे पूर्व भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक भी महाकुंभ में पधारे थे और त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान किया था। उस समय भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनके साथ थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ को ‘एकता का महाकुंभ’ कहा है। उनका मानना है कि यह आयोजन न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की विविधता में एकता को भी दर्शाता है। इस विचार को आगे बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने मंत्रिमंडल के साथ संगम में स्नान किया और कैबिनेट बैठक का आयोजन किया।
महाकुंभ के इस आयोजन में भाजपा शासित राज्यों के कई मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक भाग ले चुके हैं। जब दिल्ली और मिल्कीपुर में मतदान चल रहा होगा, उसी समय प्रधानमंत्री मोदी प्रयागराज में उपस्थित थे, जो उनके व्यस्त कार्यक्रम में इस आयोजन के महत्व को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री के इस दौरे ने न केवल महाकुंभ के धार्मिक महत्व को उजागर किया, बल्कि इसे एक राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में भी प्रस्तुत किया।