Parvesh Verma: दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी के नये विधायक परवेश वर्मा ने आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को 4,089 वोटों के अंतर से हराकर सबको चौंका दिया। 47 वर्षीय जाट नेता परवेश वर्मा को 30,088 वोट मिले, जबकि अरविंद केजरीवाल को 25,999 और कांग्रेस के संदीप दीक्षित को 4,568 वोट मिले।
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कितने संपन्न हैं परवेश वर्मा?
पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे और दो बार सांसद रह चुके परवेश वर्मा को दिल्ली में बीजेपी के संभावित मुख्यमंत्री उम्मीदवारों में से एक माना जा रहा है। उनके नामांकन शपथ पत्र के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति लगभग 89 करोड़ रुपये है। इसमें 52.75 करोड़ रुपये के इक्विटी और शेयर बाजार में निवेश शामिल हैं।
इसके अलावा, उनके पास 200 ग्राम सोना (8.25 लाख रुपये का), 2.2 लाख रुपये नकद, और 17 लाख रुपये की इंश्योरेंस पॉलिसी है। उनकी पत्नी स्वाति सिंह की संपत्ति 24.4 करोड़ रुपये आंकी गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों की कुल संपत्ति मिलाकर 113 करोड़ रुपये से अधिक है।
गाड़ियों के शौकीन हैं परवेश वर्मा
परवेश वर्मा के गैराज में कई महंगी गाड़ियां हैं। उनके पास टोयोटा फॉर्च्यूनर (33.78-51.94 लाख रुपये), टोयोटा इनोवा (19.99-26.82 लाख रुपये), और महिंद्रा XUV (13.99-25.89 लाख रुपये) जैसी कारें हैं।
समाज सेवा में भी आगे
परवेश वर्मा सिर्फ राजनीति ही नहीं बल्कि समाज सेवा में भी सक्रिय हैं। उनके पिता द्वारा स्थापित “राष्ट्रीय स्वाभिमान” नामक गैर-लाभकारी संगठन के तहत वे कई सामाजिक कार्यों में जुड़े हैं।
इस संगठन ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के परिजनों को 1 लाख रुपये की सम्मान राशि, गुजरात में भूकंप प्रभावित दो गांवों का पुनर्वास और ओडिशा में चक्रवात प्रभावित तीन गांवों की पुनर्स्थापना जैसे कई कार्य किए हैं।
परवेश वर्मा की राजनीतिक यात्रा
7 नवंबर 1977 को जन्मे परवेश वर्मा ने 1991 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बाल स्वयंसेवक के रूप में शुरुआत की। फिर वे भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा में शामिल हुए और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने। इसके बाद वे दिल्ली बीजेपी के महासचिव बने।
2013 में, उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनावों में महरौली सीट से जीत दर्ज की। 2014 में, वे पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। 2019 में उन्होंने फिर से पश्चिमी दिल्ली से चुनाव लड़ा और 4.78 लाख वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की।
अब जब वे दिल्ली विधानसभा में बीजेपी के नये चेहरे के रूप में उभरे हैं, तो राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि क्या वे दिल्ली में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बन सकते हैं?