Mahakumbh 2025: महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर 45 दिनों तक चलने वाला महाकुंभ 2025 प्रयागराज में संपन्न हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महायज्ञ को ‘एकता का महायज्ञ’ करार देते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार की सराहना की। प्रधानमंत्री ने अपने ट्विटर (x) पोस्ट में लिखा, “महाकुंभ संपन्न हुआ। एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ। जब देश जागता है और सैकड़ों वर्षों की गुलामी की मानसिकता की बेड़ियों को तोड़कर नई चेतना की हवा में सांस लेता है, तो ऐसे दृश्य दिखाई देते हैं जैसे हमने 13 जनवरी के बाद प्रयागराज में देखे।”
महाकुंभ संपन्न हुआ…एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ। प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में पूरे 45 दिनों तक जिस प्रकार 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ, एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ी, वो अभिभूत करता है! महाकुंभ के पूर्ण होने पर जो विचार मन में आए, उन्हें मैंने कलमबद्ध करने का… pic.twitter.com/TgzdUuzuGI
— Narendra Modi (@narendramodi) February 27, 2025
इस महाकुंभ में लगभग 663 मिलियन (66.3 करोड़) श्रद्धालुओं ने भाग लिया, जो इसे विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बनाता है। श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम—गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के संगम—में पवित्र डुबकी लगाई, जिससे पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं 5 फरवरी को संगम में स्नान किया और महाकुंभ के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर जोर दिया।
महाकुंभ 2025 की विशेषता यह थी कि इस वर्ष 144 वर्षों में एक बार होने वाला दुर्लभ खगोलीय संयोग बना, जिसने इस आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने दिसंबर 2024 में प्रयागराज में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए कहा था कि महाकुंभ 2025 ‘एकता का महायज्ञ’ होगा, जो देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। उन्होंने इस आयोजन को सामाजिक समरसता और आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम बताया।
महाकुंभ के दौरान, प्रधानमंत्री ने ‘सह’AI’यक’ चैटबॉट का शुभारंभ किया, जो एक AI-आधारित बहुभाषी प्लेटफॉर्म है। यह चैटबॉट 11 भारतीय भाषाओं में श्रद्धालुओं की सहायता करता है, जिससे उन्हें महाकुंभ से संबंधित जानकारी प्राप्त करने में आसानी होती है। इस पहल का उद्देश्य श्रद्धालुओं के अनुभव को सहज और सुविधाजनक बनाना है।
महाकुंभ 2025 में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा कई प्रमुख हस्तियों ने भी भाग लिया। मुख्यमंत्रियों में उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मोहन यादव, गुजरात के भूपेंद्रभाई पटेल, असम के हिमंता बिस्वा सरमा, उत्तराखंड के पुष्कर सिंह धामी, छत्तीसगढ़ के विष्णु देव साई, राजस्थान के भजनलाल शर्मा, महाराष्ट्र के देवेंद्र फडणवीस, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार, गोवा के प्रमोद सावंत, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा और आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण शामिल थे। इन सभी ने त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान किया और महाकुंभ के आयोजन की सराहना की।
हालांकि, महाकुंभ के दौरान कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं भी हुईं। 29 जनवरी को, अत्यधिक भीड़ के कारण मची भगदड़ में 30 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई और 60 से अधिक लोग घायल हो गए। इस घटना के बाद सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ किया गया और भीड़ प्रबंधन के लिए अतिरिक्त उपाय अपनाए गए। प्रधानमंत्री मोदी ने इस घटना पर शोक व्यक्त किया और राज्य सरकार ने पीड़ितों के परिवारों को सहायता प्रदान की।
महाकुंभ 2025 ने न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी देश को एकजुट किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस आयोजन को ‘एकता का महायज्ञ’ बताते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को नई दिशा मिलती है और समाज में एकता और समरसता का संदेश प्रसारित होता है।
इस महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार, विशेषकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की गई। सरकार ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए व्यापक प्रबंध किए, जिससे इतनी बड़ी संख्या में लोगों का समन्वित और सुरक्षित ढंग से आगमन और प्रस्थान संभव हो सका। प्रधानमंत्री मोदी ने इन प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से देश की सांस्कृतिक विरासत सुदृढ़ होती है और विश्व में भारत की पहचान को मजबूती मिलती है।
महाकुंभ 2025 ने एक बार फिर सिद्ध किया कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर कितनी समृद्ध है और कैसे ऐसे आयोजन देश की एकता और अखंडता को सुदृढ़ करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में, यह वास्तव में ‘एकता का महायज्ञ’ था, जिसने देशवासियों को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया।