Ahmedabad Air India crash: 12 जून 2025 की वह काली सुबह भारतीय विमानन इतिहास के सबसे दर्दनाक अध्यायों में दर्ज हो गई, जब अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI‑171 महज टेकऑफ के 17 सेकंड बाद ही हादसे का शिकार हो गई। इस Boeing 787-8 Dreamliner विमान में कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें यात्रियों के साथ-साथ क्रू मेंबर भी शामिल थे। हादसे में अब तक 270 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, इनमे ग्राउंड पर मौजूद लोग भी है जो इस विमान के चपेट में आ गए थे।
टेकऑफ से पहले ही दिखने लगे थे संकट के संकेत
Ahmedabad एयरपोर्ट के रनवे नंबर 23 पर यह विमान अपने निर्धारित समय पर टेकऑफ की तैयारी में था। लेकिन शुरुआत से ही कुछ असामान्य देखने को मिला। आमतौर पर इस प्रकार के विमान 2.5 से 3 किलोमीटर रनवे में टेकऑफ कर जाते हैं, लेकिन AI‑171 ने एयरपोर्ट की पूरी 3.5 किलोमीटर की लंबाई का उपयोग किया। इसका मतलब था कि विमान को उड़ान भरने में जरूरत से कहीं ज्यादा समय और दूरी लग रही थी, जो किसी गंभीर तकनीकी गड़बड़ी की ओर इशारा कर रहा था।
हालांकि, पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को टेक्निकल इमरजेंसी की कोई सूचना नहीं दी थी, न ही फ्लैप सेटिंग या गियर की स्थिति को लेकर कोई बदलाव किया गया। रनवे क्लियर था, मौसम साफ था, और किसी प्रकार का बाहरी बाधा भी नहीं था। बावजूद इसके विमान बहुत धीरे गति पकड़ रहा था, जो संभावित इंजन थ्रस्ट में कमी की ओर संकेत कर रहा था।
टेकऑफ के 17 सेकंड बाद संकट चरम पर
टेकऑफ के महज 17 सेकंड के भीतर ही विमान की गति और ऊंचाई घटने लगी। ATC को पायलट की ओर से आख़िरी ट्रांसमिशन मिला:
“Thrust not achieved… falling… Mayday! Mayday! Mayday!”
यह शब्द आखिरी थे जो पायलट की ओर से सुने गए। इसके कुछ ही पल बाद विमान अचानक गिरा और अहमदाबाद के B.J. Medical College हॉस्टल की इमारत पर टकरा गया। हादसे में विमान में सवार अधिकांश यात्रियों की जान चली गई और ग्राउंड पर भी मेडिकल स्टाफ और छात्र हताहत हुए।
प्रारंभिक जांच के प्रमुख बिंदु
1. इंजन थ्रस्ट में कमी
जांच एजेंसियों का मानना है कि टेकऑफ के समय विमान के इंजनों ने अपेक्षित शक्ति उत्पन्न नहीं की। पायलट द्वारा बोले गए शब्द “thrust not achieved” से यह स्पष्ट है कि इंजन का प्रदर्शन असामान्य रूप से कमजोर था। यह समस्या या तो किसी तकनीकी गड़बड़ी से उत्पन्न हुई, या संभव है कि एक इंजन पूरी तरह फेल हो गया हो।
2. पायलट की प्रतिक्रिया और संभावित मानवीय चूक
कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इंजन फेल होने की स्थिति में पायलट द्वारा गलत निर्णय लिया गया हो सकता है। जैसे कि किसी स्वस्थ इंजन को बंद कर देना या फ्लैप या लैंडिंग गियर की स्थिति में समय से पहले बदलाव करना। ऐसे मामलों में विमान संतुलन खो बैठता है और रिकवरी बेहद कठिन हो जाती है।
3. फ्लैप या ड्रैग सेटिंग की विफलता
फ्लैप्स और स्लैट्स टेकऑफ के समय एयरलिफ्ट बढ़ाने का काम करते हैं। यदि इनमें कोई खराबी या गलत कॉन्फ़िगरेशन रहा हो तो यह विमान के उठने में बाधा डाल सकता है। इससे रनवे का पूरा उपयोग होने के बावजूद भी विमान पर्याप्त ऊंचाई नहीं ले पाया।
ब्लैक बॉक्स से मिलने वाली जानकारी महत्वपूर्ण
हादसे के तुरंत बाद राहत व बचाव कार्य शुरू हुआ और एक दिन के भीतर विमान का फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) बरामद कर लिया गया। हालांकि कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) अभी तक नहीं मिल पाया है। FDR से इंजन की स्थिति, फ्लैप सेटिंग, विमान की गति और ऊंचाई जैसी महत्वपूर्ण जानकारियाँ सामने आएंगी।
DGCA (Directorate General of Civil Aviation), भारत की एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB), अमेरिका की NTSB और ब्रिटेन की AAIB—इन सभी एजेंसियों ने संयुक्त रूप से जांच शुरू कर दी है। Boeing और GE (जनरल इलेक्ट्रिक) की टेक्निकल टीमें भी जांच में सहयोग कर रही हैं।
एकमात्र जीवित व्यक्ति की गवाही
इस भयावह हादसे में ब्रिटिश नागरिक विश्वेश कुमार रमेश ही एकमात्र जीवित यात्री हैं। वे विमान में सीट 11A पर बैठे थे, जो इमरजेंसी एग्जिट के बेहद करीब थी। उनके अनुसार दुर्घटना के समय विमान का पिछला हिस्सा सबसे पहले जमीन से टकराया और एक धमाके के साथ फट गया। इसी दरम्यान उन्हें बाहर निकलने का मौका मिला और वे बाल-बाल बच गए।
विमानन उद्योग पर असर
Boeing 787 Dreamliner विमानों को लेकर पहले भी कई बार तकनीकी सवाल उठ चुके हैं, लेकिन इस बार की दुर्घटना ने Dreamliner की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। DGCA ने भारत में मौजूद सभी Dreamliner विमानों की विशेष जांच के आदेश दिए हैं। जांच में इंजन थ्रस्ट कंट्रोल, फ्लैप और स्लैट्स ऑपरेशन, एवियोनिक्स सिस्टम, और मेन्टेनेंस रिकॉर्ड की गहराई से पड़ताल की जा रही है।
सामूहिक प्रतिक्रिया और आगे की राह
इस त्रासदी ने न केवल भारत में, बल्कि विश्व भर के विमानन विशेषज्ञों को हिला कर रख दिया है। सरकार पर यह दबाव बढ़ रहा है कि वह एयरलाइन ऑपरेटरों के टेक्निकल मेंटेनेंस और पायलट ट्रेनिंग पर सख्ती बरते। यात्रियों के अधिकारों, इंश्योरेंस और एविएशन सुरक्षा नीतियों की भी समीक्षा करने की जरूरत महसूस की जा रही है।
साथ ही, पायलटों की decision-making क्षमता और हाई-प्रेशर सिचुएशन्स में उनके प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर भी गंभीर सवाल उठे हैं।
AI‑171 की यह शॉकिंग और त्रासद घटना हमें याद दिलाती है कि तकनीक के जितने फायदे हैं, उतने ही खतरनाक जोखिम भी। एक मामूली-सी चूक, चाहे वह तकनीकी हो या मानवीय, कई सौ लोगों की जान ले सकती है। अब यह ज़िम्मेदारी हमारी है कि हम इस दुर्घटना से सीखें, सुधार करें और भविष्य में ऐसा दोबारा न हो, इसके लिए पूरी ईमानदारी से काम करें।
इस खबर पर नज़र बनाए रखें — आगे की जांच और निष्कर्ष जल्द ही सामने आने वाले हैं।
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