Ahmedabad Air India crash: 12 जून 2025 को अहमदाबाद में जो हुआ, वह सिर्फ एक विमान दुर्घटना नहीं थी — यह एक मानवीय त्रासदी थी जिसने सैकड़ों जिंदगियों को हमेशा के लिए बदल दिया। एयर इंडिया की फ्लाइट AI‑171, जो अहमदाबाद से लंदन जा रही थी, टेकऑफ के चंद सेकंड बाद ही बी. जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस भयावह हादसे में 241 यात्रियों और क्रू मेंबर्स की मौत हो गई, वहीं 38 से अधिक लोग हॉस्टल और आस-पास के इलाकों में जान गंवा बैठे। केवल एक व्यक्ति—लंदन के निवासी विशवश कुमार रमेश—इस दुर्घटना में जीवित बच पाया।
At the #AirIndiaCrash site in Ahmedabad, a local man collected 70 tolas of gold/jewellery and cash.
— Mr Sinha (@MrSinha_) June 17, 2025
You know what he did?
He handed over everything to government officials.
This is what makes Gujarat and Gujaratis different from others — honest, peaceful, no language wars, no… pic.twitter.com/N5UYKOq67N
इस भयावह दृश्य में, जहाँ हर ओर सिर्फ आग, धुआँ, और चीखें थीं, वहीं कुछ ऐसे लोग भी सामने आए जिन्होंने मानवता का परिचय दिया। उनमें से सबसे उल्लेखनीय नाम है राजू पटेल, जो पेशे से एक निर्माण व्यवसायी हैं और जिनकी उम्र 56 वर्ष है। जब उन्हें हादसे की जानकारी मिली, तो उन्होंने एक क्षण भी बर्बाद नहीं किया। अपनी टीम के साथ वह घटनास्थल पर केवल पाँच मिनट में पहुँच गए।
राजू पटेल ने बताया कि शुरुआती 15-20 मिनट तक आग और धुएँ की वजह से किसी को भी पास जाने की अनुमति नहीं थी। पर जैसे ही फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस घटनास्थल पर पहुँचीं, उन्होंने और उनकी टीम ने घायल लोगों को बाहर निकालना शुरू कर दिया। इस दौरान वहाँ कोई स्ट्रेचर मौजूद नहीं था, तो उन्होंने महिलाओँ की साड़ियाँ और चादरें इकट्ठा कर उनका उपयोग किया ताकि घायल यात्रियों को एंबुलेंस तक पहुँचाया जा सके। उनका यह कार्य न सिर्फ साहसिक था, बल्कि बेहद करुणामयी भी।
लगभग 4 बजे तक प्राथमिक राहत कार्य पूरा हो गया था। इसके बाद राजू पटेल और उनकी टीम ने घटनास्थल पर बिखरे हुए बैग, सूटकेस और अन्य सामान की तलाश शुरू की ताकि मृतकों या घायलों की कीमती वस्तुएँ एकत्र की जा सकें। उन्होंने कई बैगों में से 70 तोले सोने के आभूषण, करीब ₹80,000 नकद, भगवद गीता की एक प्रति, पासपोर्ट और अन्य जरूरी दस्तावेज बरामद किए।
राजू पटेल ने इन सभी चीजों को स्वयं प्रशासन को सौंप दिया ताकि उन्हें उनके सही मालिकों तक पहुँचाया जा सके। उनका कहना था, “हमने जो भी पाया, वह सब सरकार और अधिकारियों को दे दिया। यह हमारी ज़िम्मेदारी थी। जब परिवार इस त्रासदी से जूझ रहे हैं, तब उनकी कोई भी चीज़ सही हाथों में पहुँचे, यही सबसे जरूरी था।”
राजू पटेल के इस साहसिक और ईमानदार कृत्य की चारों ओर सराहना हो रही है। गुजरात के गृह राज्य मंत्री ने भी पुष्टि की कि राजू द्वारा सौंपी गई सभी वस्तुओं को सूचीबद्ध किया जा रहा है और उन्हें उनके असली मालिकों या उनके परिजनों को सौंपने की प्रक्रिया चल रही है।
यह पहली बार नहीं है जब राजू पटेल किसी आपात स्थिति में सामने आए हों। 2008 में जब अहमदाबाद में बम धमाके हुए थे, तब भी उन्होंने अपनी तरफ से राहत और बचाव कार्यों में हिस्सा लिया था। लेकिन इस हादसे को वह आज भी याद करते हुए कहते हैं, “बम धमाके भी भयानक थे, लेकिन इस विमान हादसे की तबाही कुछ और ही थी। आग की लपटें, जलते हुए शरीर, और रोते हुए चेहरे – यह सब ज़िंदगी भर भुलाया नहीं जा सकता।”
दूसरी ओर, इस दुर्घटना ने भारत के विमानन क्षेत्र में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, विमान की टेकऑफ रन लगभग 3.5 किमी तक चली और कोई पर्याप्त थ्रस्ट नहीं देखा गया। अब यह भी चर्चा हो रही है कि भारत सरकार बोइंग 787‑8 ड्रीमलाइनर विमानों के संचालन पर अस्थायी रोक लगा सकती है। साथ ही, इस हादसे की जांच में भारत के साथ-साथ अमेरिका और ब्रिटेन के विमानन विशेषज्ञ भी शामिल हो चुके हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय नेताओं ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है और पीड़ित परिवारों को हर संभव सहायता देने का वादा किया है। एयर इंडिया ने भी मृतकों के परिजनों को ₹1 करोड़ का मुआवजा देने की घोषणा की है।
पर इस पूरे दुःखद घटनाक्रम में, राजू पटेल की भूमिका हमें यह याद दिलाती है कि जब सारी व्यवस्थाएं विफल हो जाएँ, तब भी इंसानियत ज़िंदा रहती है। उन्होंने न केवल घायलों की मदद की, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि मृतकों की स्मृतियाँ और संपत्तियाँ सुरक्षित हाथों में पहुँचें।
आज जब हम तकनीकी विफलताओं, प्रशासनिक लापरवाहियों और दुर्घटनाओं की बात करते हैं, तो राजू पटेल जैसे आम नागरिकों की असाधारण संवेदनशीलता हमें यह भरोसा दिलाती है कि मानवता अब भी ज़िंदा है।
अंत में यही कहा जा सकता है कि जब आसमान से मलबा गिरा, तब ज़मीन पर एक ‘राजू’ खड़ा था — इंसानियत की मिसाल बनकर।
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Source: Times of India