AI 171 crash: भारतीय विमानन के इतिहास में एक और दुखद अध्याय जुड़ गया। अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट की ओर उड़ान भरने वाली Air India फ्लाइट AI‑171 टेकऑफ़ के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सामने आते ही, इस दर्दनाक घटना पर विवाद और बहस की नई लहर चल पड़ी है।
Shame on mainstream media, including @BBC & @nytimes, for spreading misinformation & drawing false conclusions by blaming the pilots- clearly pushing an anti-India narrative.
— Priyankka Deo (@priyankadeo) July 13, 2025
The official preliminary report from the Aircraft Accident Investigation Bureau (AAIB), Ministry of… pic.twitter.com/lVtS4gpkGd
इस दुर्घटना में विमान के दोनों इंजन टेकऑफ़ के दौरान अचानक बंद हो गए, जिससे विमान पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो गया और ज़मीन पर आ गिरा। इस हादसे में दर्जनों लोगों की जान चली गई और सैकड़ों परिवारों को अपूरणीय क्षति हुई। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट ने हादसे के कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दोनों इंजन कंट्रोल स्विच अचानक “RUN” से “CUTOFF” पोजीशन में चले गए थे। यह घटना टेकऑफ़ के मात्र 2 मिनट 17 सेकंड के भीतर घटित हुई।
रिपोर्ट के अनुसार, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर से जो बातचीत मिली, वह इस घटना को और अधिक रहस्यमय बनाती है। एक पायलट ने दूसरे से पूछा, “Why did you cut off?”, यानी “तुमने इंजन क्यों बंद किया?” और उत्तर में मिला, “I didn’t do it.” यानी “मैंने ऐसा नहीं किया।” इस संवाद से यह साफ झलकता है कि कॉकपिट में कोई भ्रम या तकनीकी विसंगति थी, जिसे दोनों पायलट समझ नहीं पाए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि विमान में कोई यांत्रिक दोष नहीं पाया गया और सभी सिस्टम सामान्य रूप से काम कर रहे थे, जिससे संदेह उठता है कि यह एक मानवीय त्रुटि हो सकती है।
लेकिन यहीं से विवाद की शुरुआत होती है। भारतीय वाणिज्यिक पायलट संघ (ICPA) ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया और इसे “गहराई से असंवेदनशील” करार दिया। संघ का कहना है कि बिना किसी ठोस तकनीकी प्रमाण के पायलटों पर दोष डाल देना न केवल अनुचित है, बल्कि यह मारे गए पायलटों की गरिमा और उनकी वर्षों की मेहनत का अपमान है। पायलट संघ ने यह भी कहा कि जांच रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया में उन्हें शामिल नहीं किया गया और न ही किसी तरह की पारदर्शिता दिखाई गई।
ICPA ने कहा कि इतनी जटिल तकनीकी परिस्थितियों में जब पूरी सच्चाई सामने नहीं आई है, तब ऐसे में पायलटों पर दोषारोपण करना “पूर्वग्रह” का संकेत देता है। यह सिर्फ एक तकनीकी प्रश्न नहीं है, बल्कि यह एक नैतिक प्रश्न भी है – क्या हम किसी भी पेशेवर पर बिना पर्याप्त साक्ष्य के इतना गंभीर आरोप लगा सकते हैं, खासकर तब जब वह व्यक्ति अपनी जान गवां चुका हो और अपने पीछे सम्मानित करियर और परिवार छोड़ गया हो?
इस पूरे मामले को लेकर विमानन विशेषज्ञों की राय भी दो भागों में बंटी हुई है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि बोइंग 787‑8 के इंजन कंट्रोल स्विच अत्यंत सुरक्षित तरीके से बनाए जाते हैं और उन्हें केवल जान-बूझकर ही ‘CUTOFF’ में बदला जा सकता है। ऐसे स्विच अपने आप मूव नहीं होते। दूसरी ओर, कुछ विशेषज्ञ FAA (फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन) की 2018 की चेतावनी का हवाला देते हैं, जिसमें कहा गया था कि कुछ स्थितियों में स्विच का लॉक ढीला हो सकता है, जिससे कंपन या बाहरी दबाव से वह मूव हो सकता है। हालांकि एयर इंडिया ने तब इस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया था।
फ्लाइट AI‑171 का कॉकपिट दो अत्यंत अनुभवी पायलटों के हाथों में था। कैप्टन सुमीत सभाड़वाल के पास 15,638 घंटे और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंडर के पास 3,403 घंटे की उड़ान का अनुभव था। दोनों ने हजारों यात्रियों को सुरक्षित गंतव्य तक पहुँचाया था। उनके सहकर्मी, परिवार और पूरे पायलट समुदाय के लिए यह आरोप असहनीय है कि बिना जांच पूरी हुए, उन्हें इस त्रासदी के लिए दोषी ठहरा दिया जाए। पायलट संघ और मृत पायलटों के परिवारों ने मांग की है कि उन्हें भी जांच में शामिल किया जाए और पूरी पारदर्शिता बरती जाए।
जांच प्रक्रिया अभी जारी है। DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय), AAIB (Aircraft Accident Investigation Bureau) और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियाँ जैसे FAA (USA), NTSB (National Transportation Safety Board), और UK-AAIB (United Kingdom’s Air Accidents Investigation Branch) इस मामले की संयुक्त रूप से जांच कर रही हैं।
आने वाले महीनों में निम्न बिंदुओं पर ध्यान दिया जाएगा:
- कॉकपिट रिकॉर्डिंग और ब्लैक बॉक्स डेटा का गहन विश्लेषण किया जाएगा ताकि यह समझा जा सके कि स्विच कब और कैसे बंद हुए।
- यह जांचा जाएगा कि इंजन कंट्रोल सिस्टम में कोई डिज़ाइन दोष तो नहीं था, जिससे यह संभव हो पाया।
- क्या स्विच में कोई मैकेनिकल या इलेक्ट्रॉनिक खराबी थी जो कंट्रोल के बाहर हो गई?
- यह देखा जाएगा कि मेंटेनेंस के दौरान किसी तरह की लापरवाही हुई या नहीं।
इस दुर्घटना में विमान में मौजूद 211 लोगों में से अनेक यात्रियों की जान चली गई। इनमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और एक कनाडाई नागरिक थे। उनका जीवन इस त्रासदी में समाप्त हो गया, और उनके परिवार अब न्याय और सच्चाई की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
यह घटना न केवल एक तकनीकी संकट थी, बल्कि यह एक मानवीय और संस्थागत संकट भी बन गई है। क्या हम एक ऐसी प्रणाली में रह रहे हैं जहां गलतियों का बोझ केवल पायलटों पर डाल कर बाकी सिस्टम को दोषमुक्त कर दिया जाता है? या क्या हम एक ऐसी व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं जहां हर पहलू की निष्पक्ष और गहन जांच होती है, और दोष उसी को दिया जाता है जो वास्तव में जिम्मेदार है?
Air India फ्लाइट AI‑171 की दुर्घटना केवल एक ट्रैजेडी नहीं है। यह एक चेतावनी है, एक सवाल है, एक दर्पण है — जो हमें हमारे सिस्टम, हमारी जांच प्रक्रियाओं और हमारी संवेदनशीलता को देखने का अवसर देता है।
सवाल यह नहीं है कि इंजन स्विच क्यों बंद हुए। सवाल यह है कि हम इतनी जल्दी किसी की प्रतिष्ठा को मिट्टी में क्यों मिला देते हैं?
अब आवश्यकता है निष्पक्ष, वैज्ञानिक और मानवीय दृष्टिकोण की। जब तक सच्चाई सामने नहीं आती, तब तक न तो पायलटों को दोषी ठहराना न्यायसंगत है, और न ही यह मान लेना कि सब कुछ ठीक था।
ऐसी ही विश्लेषणात्मक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील रिपोर्टिंग के लिए पढ़ते रहिए — जनविचार।