Air India booking drops: 12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुए भयावह विमान हादसे ने न केवल यात्रियों के मन में गहरा डर बैठा दिया है, बल्कि भारत की प्रमुख एयरलाइन, एयर इंडिया की व्यावसायिक स्थिति को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है। यह हादसा एयर इंडिया की फ्लाइट AI‑171 के दुर्घटनाग्रस्त होने से हुआ, जिसमें सैकड़ों यात्रियों की जानें गईं और दर्जनों घायल हुए। हादसे के बाद यात्रियों का भरोसा डगमगाया है और इसका सीधा असर बुकिंग्स, किराए और उड़ान संचालन पर दिखने लगा है।
Air India Crash Fallout: Ticket prices drop, Routes cut amid flier anxiety
— Business Today (@business_today) June 19, 2025
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बुकिंग्स में गिरावट: यात्रियों का भरोसा डगमगाया
इस हादसे के तुरंत बाद एयर इंडिया को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही स्तर पर यात्री बुकिंग्स में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स (IATO) के अध्यक्ष के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बुकिंग्स में करीब 18–22 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि घरेलू स्तर पर यह गिरावट 10–12 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। खासकर वे यात्री जो व्यवसायिक उद्देश्यों या पारिवारिक यात्राओं के लिए फ्लाइट लेते हैं, उन्होंने या तो अपनी टिकटें रद्द कर दी हैं या फिर वैकल्पिक एयरलाइनों का रुख किया है।
यह देखा गया है कि इस घटना के बाद से यात्रियों में असुरक्षा की भावना गहराई है। कॉर्पोरेट यात्रियों, मेडिकल ट्रैवल और वीआईपी क्लास वाले यात्रियों ने एयर इंडिया की सेवाएं लेना बंद कर दिया है। कुछ यात्रियों ने तो हफ्तों के लिए सभी हवाई यात्रा योजनाएं स्थगित कर दी हैं।
किराए में बड़ी गिरावट: प्रतिस्पर्धा से निपटने के लिए मजबूरी
बुकिंग्स में गिरावट के चलते एयर इंडिया को टिकट दरों में भारी कटौती करनी पड़ी है। घरेलू रूट्स पर जहां कंपनी इंडिगो और अकासा एयर जैसे कम लागत वाले एयरलाइनों से प्रतिस्पर्धा करती है, वहां टिकट दरों में औसतन 8 से 12 प्रतिशत तक की कटौती की गई है। वहीं अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर, विशेष रूप से यूरोप, दक्षिण एशिया और खाड़ी देशों की उड़ानों में यह गिरावट 10–15 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
उदाहरण के तौर पर, दिल्ली से कुआलालंपुर जाने वाली फ्लाइट का किराया पहले जहां ₹11,389 था, वहीं अब यह घटकर ₹9,600 के आसपास पहुंच गया है। इसी तरह मुंबई से दुबई, बेंगलुरु से लंदन और हैदराबाद से सिंगापुर तक की उड़ानों में भी टिकट दरें ₹1,500 से ₹3,000 तक कम हुई हैं। एयर इंडिया को यह कदम इसलिए उठाना पड़ा क्योंकि प्रतिस्पर्धी एयरलाइनों ने इस मौके का लाभ उठाकर यात्री खींचना शुरू कर दिया है।
उड़ानें रद्द और सेवा में कटौती: संचालन पर प्रभाव
दुर्घटना के बाद एयर इंडिया ने व्यापक स्तर पर अपनी उड़ानों की समीक्षा शुरू कर दी है। कंपनी ने कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानें अस्थायी रूप से रद्द कर दी हैं। इनमें अहमदाबाद से दिल्ली, पुणे से दिल्ली, और दुबई से चेन्नई जैसे प्रमुख रूट शामिल हैं। इसके अलावा एयर इंडिया ने अंतरराष्ट्रीय वाइड-बॉडी फ्लाइट्स में भी 15 प्रतिशत तक की कटौती करने का फैसला किया है। इसका मतलब है कि हर सप्ताह 38 उड़ानें अस्थायी रूप से रद्द की गई हैं, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
टाटा ग्रुप के स्वामित्व वाली इस एयरलाइन ने बताया है कि यह कदम एहतियातन उठाया गया है ताकि सुरक्षा जांच और रखरखाव में किसी भी तरह की चूक न हो। एयर इंडिया के मुताबिक, सुरक्षा के लिहाज से यह बेहद जरूरी था कि हादसे के बाद प्रत्येक वाइड-बॉडी विमान की गहन जांच की जाए।
सुरक्षा उपाय और कंपनी की प्रतिक्रिया
एयर इंडिया के CEO कैंपबेल विल्सन ने यात्रियों को ईमेल भेजकर यह भरोसा दिलाया है कि एयरलाइन सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने बताया कि एयर इंडिया के पास मौजूद 26 बोइंग 787 विमानों में से अधिकांश की पूरी जांच की जा चुकी है और शेष विमानों पर काम तेजी से जारी है। इसके अलावा बोइंग 777 विमानों की भी जांच की जा रही है।
DGCA (Directorate General of Civil Aviation) ने एयर इंडिया की सुरक्षा व्यवस्था और संचालन मानकों की समीक्षा की है और कहा है कि हादसे के पीछे फिलहाल किसी तरह की तकनीकी लापरवाही सामने नहीं आई है। यह घटनाक्रम अप्रत्याशित था, लेकिन एयर इंडिया ने तत्परता दिखाते हुए सभी सुरक्षा प्रक्रियाओं को अपडेट कर लिया है।
यात्रा उद्योग पर व्यापक असर
इस घटना का असर न केवल एयर इंडिया पर पड़ा है बल्कि पूरे भारतीय एविएशन और टूरिज्म इंडस्ट्री पर छाया है। कई ट्रैवल एजेंट्स ने बताया है कि हादसे के बाद अंतरराष्ट्रीय बुकिंग्स में 25–30 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है। विशेष रूप से खाड़ी और यूरोपीय देशों की उड़ानों को लेकर यात्रियों में चिंता देखी जा रही है। इसके साथ ही, देश के भीतर भी लोग अब हवाई यात्रा से पहले ज्यादा सोच-समझकर फैसले ले रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि हालांकि यह असर फिलहाल अस्थायी है, लेकिन अगर एयर इंडिया यात्रियों का भरोसा समय रहते वापस नहीं जीत सकी तो इसका असर लंबे समय तक रह सकता है। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या भारतीय एविएशन सेक्टर में सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त है?
आगे की चुनौतियाँ और सुधार की राह
अब एयर इंडिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है — भरोसे की बहाली। यात्रियों के मन में जो डर बैठा है, उसे दूर करने के लिए कंपनी को पारदर्शिता, लगातार संवाद और गुणवत्तापूर्ण सेवा की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे। साथ ही सरकार और DGCA को भी चाहिए कि वे एयरलाइनों की निगरानी और सख्त करें ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
एयर इंडिया के लिए यह एक संकट का दौर है, लेकिन अगर कंपनी सही रणनीति अपनाए, अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित रखे और संचालन मानकों को बेहतर बनाए तो वह इस आपदा से उबरकर दोबारा उड़ान भर सकती है।
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