Amit Shah on Stalin: तमिलनाडु में भाषा संबंधी विवाद के बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन से आग्रह किया कि वे राज्य में चिकित्सा और इंजीनियरिंग शिक्षा को तमिल भाषा में उपलब्ध कराएं। शाह ने अन्य राज्यों का उदाहरण देते हुए मातृभाषा में उच्च शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। यह ध्यान देने योग्य है कि तमिलनाडु ने 2010-11 में कुछ कॉलेजों में सिविल और मैकेनिकल शाखाओं में तमिल माध्यम से इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम शुरू किए थे।
Union Home Minister #AmitShah on Friday appealed to Tamil Nadu Chief Minister #MKStalin to impart medical and engineering education in the Tamil language. @kolappan reports. https://t.co/bXZa45IJWa pic.twitter.com/zzLh4Efa04
— The Hindu (@the_hindu) March 7, 2025
शाह ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की परीक्षाओं में अब संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं, जिसमें तमिल भी शामिल है, में परीक्षा देने की सुविधा का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पहले मातृभाषा का CAPF भर्ती प्रक्रिया में स्थान नहीं था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह सुनिश्चित किया है कि हमारे युवा अब अपनी मातृभाषा में परीक्षा दे सकें।
मातृभाषा में शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए, शाह ने कहा कि यह छात्रों की वैचारिक, तार्किक और विश्लेषण क्षमता को बढ़ाता है। उन्होंने गुजरात के मेहसाणा जिले में एक कार्यक्रम के दौरान उल्लेख किया कि तकनीकी, चिकित्सा और उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों के विषयों को क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद कराने पर काम चल रहा है। शाह ने कहा कि अगले 25 वर्षों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को नंबर एक देश बना देगी।
इसी क्रम में, मध्य प्रदेश में भी मातृभाषा में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयास किए गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इंदौर में 55 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस का उद्घाटन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2047 तक भारत को हर क्षेत्र में विश्व में प्रथम बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसे मजबूत शिक्षा नीति के बिना हासिल नहीं किया जा सकता। शाह ने कहा कि नई शिक्षा नीति आगामी 25 वर्षों तक भारत के विद्यार्थियों को विश्व भर के विद्यार्थियों के साथ प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाएगी और दूसरी ओर हजारों साल पुरानी हमारी संस्कृति और भाषाओं के साथ भी विद्यार्थियों को जोड़ने का काम करेगी।
शाह ने मध्य प्रदेश सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि पूरे देश में अगर सबसे पहले नई शिक्षा नीति कहीं जमीन पर उतरी तो वह मध्य प्रदेश है। उन्होंने कहा कि पूरे देशभर में इंजीनियरिंग और मेडिकल साइंस का अभ्यास क्रम अगर किसी राज्य ने अपनी भाषा में अनुवादित किया तो वह मध्य प्रदेश ने किया था। इससे बहुत सारे गरीब बच्चों को मातृभाषा में उच्च शिक्षा, मेडिकल साइंस और इंजीनियरिंग का ज्ञान लेने में लाभ मिला है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने राज्यों से आग्रह किया है कि वे चिकित्सा, तकनीक और कानून के क्षेत्र में हिंदी या क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने की पहल करें, ताकि देश गैर-अंग्रेजी भाषी छात्रों की प्रतिभा का इस्तेमाल कर सके। शाह ने कहा कि अगर छात्रों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाया जाए तो उनमें आसानी से मौलिक चिंतन की प्रक्रिया विकसित हो सकती है और इससे अनुसंधान तथा नवोन्मेष को बढ़ावा मिलेगा।
तमिलनाडु में भाषा को लेकर विवाद नया नहीं है। 2019 में, गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी को देश की साझा भाषा के रूप में इस्तेमाल करने पर जोर दिया था, जिसे तमिलनाडु और कर्नाटक में कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था। दक्षिण भारतीय नेताओं ने अमित शाह के बयान को जबरन हिंदी थोपने जैसा बताया था। डीएमके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने तब शाह पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि शाह हिंदी को बचाने के बजाय कोविड-19 महामारी से भारतीयों को बचाएं।
हालांकि, शाह ने हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच पूरक संबंध पर जोर देते हुए कहा कि हिंदी और स्थानीय भाषाओं के बीच कभी प्रतिस्पर्धा नहीं हो सकती, क्योंकि हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की मित्र है। उन्होंने कहा कि हिंदी को बढ़ावा देने के लिए सभी भारतीय भाषाओं को मजबूत करना जरूरी है।
शाह ने यह भी कहा कि हिंदी साहित्य और इसके विभिन्न व्याकरणिक रूपों के संवर्धन, संरक्षण के लिए दीर्घकालिक नीति विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने हिंदी को सर्वमान्य और लचीला बनाने पर जोर देते हुए कहा कि सभी आधुनिक शिक्षा पाठ्यक्रमों का हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद करना भी आवश्यक है।
मातृभाषा में शिक्षा के महत्व को समझते हुए, यह आवश्यक है कि राज्य सरकारें इस दिशा में ठोस कदम उठाएं। तमिलनाडु में पहले से ही कुछ इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम तमिल में उपलब्ध हैं, लेकिन चिकित्सा शिक्षा में भी इसी तरह के प्रयासों की आवश्यकता है। यह न केवल छात्रों की समझ और प्रदर्शन में सुधार करेगा, बल्कि उन्हें अपनी संस्कृति और भाषा के प्रति गर्व का अनुभव भी कराएगा।
अंततः, मातृभाषा में शिक्षा का प्रावधान एक समावेशी और सशक्त समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जहां प्रत्येक छात्र को अपनी भाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार हो। यह कदम न केवल शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाएगा, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक विविधता को भी मजबूत करेगा।