Asaduddin Owaisi on Bhutto

Asaduddin Owaisi on Bhutto: बिलावल भुट्टो का जहरीला बयान, ओवैसी का करारा तमाचा, याद दिलाई माँ की दर्दनाक मौत

Asaduddin Owaisi on Bhutto: हाल ही में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने एक विवादास्पद बयान दिया, जिसने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में एक बार फिर तल्खी ला दी है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए बिलावल ने कहा कि “या तो सिंधु नदी में हमारा पानी बहेगा, या फिर उनका खून”। इस बयान को लेकर भारत में व्यापक आलोचना हुई है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस बयान की तीखी आलोचना करते हुए बिलावल को उनकी मां बेनज़ीर भुट्टो की हत्या की याद दिलाई।

पहलगाम आतंकी हमला और भारत का कड़ा फैसला

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक दिल दहला देने वाला आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान के साथ 1960 में हुई सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया। यह संधि अब तक भारत और पाकिस्तान के बीच एकमात्र ऐसा समझौता रही है, जो तमाम युद्धों और तनावों के बावजूद कायम रही थी।

भारत के इस फैसले के बाद पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। इसी कड़ी में बिलावल भुट्टो ने सिंधु नदी के किनारे एक जनसभा में भड़काऊ भाषण दिया, जिसमें उन्होंने भारत के खिलाफ युद्ध जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए “खून की नदियाँ बहेंगी” जैसी भाषा का प्रयोग किया।

असदुद्दीन ओवैसी का करारा जवाब

बिलावल के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक बेहद तीखा और भावनात्मक बयान दिया। उन्होंने कहा, “ऐसी बचकानी बातें मत करो। तुम्हें नहीं मालूम कि तुम्हारे दादा और मां का क्या हश्र हुआ था? तुम्हारी मां बेनज़ीर भुट्टो को उन्हीं आतंकियों ने मारा था, जिन्हें तुम्हारे देश ने पनाह दी थी।”

ओवैसी ने कहा कि आतंकवाद की आग में सिर्फ भारत ही नहीं, पाकिस्तान भी झुलसा है। उन्होंने कहा, “जब तुम्हारी मां को गोली मारी गई, तब क्या वह इंसानी खून नहीं था? क्या वह खून तुम्हें याद नहीं? आज तुम उसी आतंकवाद को परोक्ष रूप से सही ठहरा रहे हो। यह शर्मनाक है।”

ओवैसी ने पाकिस्तान की दोहरी नीति की भी आलोचना की और कहा कि एक तरफ पाकिस्तान खुद आतंकवाद से लड़ने की बात करता है, और दूसरी तरफ भारत में हुए आतंकी हमले के बाद ऐसे भड़काऊ बयान देता है।

अन्य नेताओं की प्रतिक्रियाएं

बिलावल के बयान की आलोचना सिर्फ ओवैसी ने नहीं की। केंद्र सरकार के कई मंत्रियों और विपक्षी नेताओं ने भी इसे गैर-जिम्मेदाराना और उकसावे भरा बताया। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि ऐसे बयान यह दर्शाते हैं कि पाकिस्तान का नेतृत्व अब भी युद्धोन्माद और नफरत की राजनीति से ऊपर नहीं उठ पाया है।

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि यह बयान पूरी तरह से अमानवीय है। “जब किसी देश के नेता इस तरह की भाषा का प्रयोग करते हैं, तो इससे साफ जाहिर होता है कि वे शांति और बातचीत में विश्वास नहीं करते,” उन्होंने कहा।

राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के बयान केवल दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाते हैं और आम लोगों के बीच डर और भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं। भारत जैसे विशाल लोकतंत्र को ऐसे बयानों से डराने की कोशिश करना केवल मूर्खता है।

पाकिस्तान की घरेलू स्थिति और बयान की मंशा

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिलावल भुट्टो का यह बयान पाकिस्तान की अंदरूनी राजनीति को ध्यान में रखकर दिया गया है। पाकिस्तान इस समय आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। ऐसे में राष्ट्रीय भावनाओं को उकसाकर लोगों का ध्यान असली समस्याओं से भटकाने की कोशिश की जा रही है। सिंधु जल संधि जैसे संवेदनशील मुद्दों पर इस तरह की भाषा का प्रयोग केवल राजनैतिक रोटियां सेंकने का प्रयास है।

इसके अलावा, यह बयान पाकिस्तान में कट्टरपंथी ताकतों को खुश करने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है। यह कोई नई रणनीति नहीं है – पाकिस्तान के कई राजनेता अक्सर भारत विरोधी बयान देकर अपनी सियासी जमीन मजबूत करने की कोशिश करते रहे हैं।

ओवैसी की बात में छिपी सच्चाई

असदुद्दीन ओवैसी भले ही भारतीय राजनीति में एक विवादित चेहरा माने जाते हों, लेकिन इस बार उन्होंने जो बात कही है, वह केवल राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि एक मानवीय चेतावनी थी। उन्होंने पाकिस्तान को याद दिलाया कि आतंकवाद किसी का सगा नहीं होता। बेनज़ीर भुट्टो, जो कि पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं, खुद उसी कट्टरपंथी सोच का शिकार हुईं, जिसे अब उनके बेटे समर्थन देने की कोशिश कर रहे हैं।

ओवैसी ने कहा कि आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है, और इसे धर्म, जाति या राष्ट्रीयता से जोड़ना केवल इसे बढ़ावा देना है। अगर पाकिस्तान वास्तव में शांति चाहता है, तो उसे अपने नेताओं को जिम्मेदारी से बोलने की सीख देनी होगी।

बिलावल भुट्टो का “खून की नदियाँ” वाला बयान केवल एक भड़काऊ राजनीतिक टिप्पणी नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि पाकिस्तान आज भी अपने पुराने रवैये से बाहर नहीं आ पाया है। असदुद्दीन ओवैसी ने उन्हें जो याद दिलाया, वह केवल एक राजनीतिक पलटवार नहीं था, बल्कि आतंकवाद के वास्तविक खतरों की चेतावनी थी।

आज जब पूरी दुनिया शांति और विकास की राह पर आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है, तब इस तरह की टिप्पणियां बेहद चिंताजनक हैं। भारत को मजबूती से आतंकवाद का जवाब देना चाहिए, लेकिन साथ ही पाकिस्तान को भी यह समझना होगा कि युद्ध और नफरत से कभी समाधान नहीं निकलेगा।

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