Asim Munir gets promoted: पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक दुनिया में एक बार फिर हलचल मच गई है। 20 मई 2025 को, पाकिस्तान सरकार ने अपने सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत करने का ऐलान किया। यह वही जनरल मुनीर हैं, जिन्हें हाल ही में भारत के साथ सैन्य तनाव में “शानदार नेतृत्व” के लिए यह सम्मान दिया गया है। लेकिन रुकिए, क्या यह वाकई में शानदार नेतृत्व का परिणाम है या फिर एक और नाटकीय नौटंकी, जिसके लिए पाकिस्तान की सैन्य व्यवस्था मशहूर है?
Asim Munir promotes himself to rank of Field Marshal only Pakistan Army Chief since Ayub Khan to get the rank, reports GEO news. For the extraordinary debacle ( for Pakistan) that was Op Sindoor ? As they say, Pakistan is an Army with a country- pic.twitter.com/iyufiuxfVm
— barkha dutt (@BDUTT) May 20, 2025
फील्ड मार्शल की उपाधि: सम्मान या मजाक?
पाकिस्तान के इतिहास में यह दूसरी बार है जब किसी सैन्य अधिकारी को फील्ड मार्शल का रैंक दिया गया है। पहली बार यह “सम्मान” 1959 में जनरल अयूब खान को मिला था, जो उस समय देश के सैन्य तानाशाह थे और उन्होंने खुद को यह रैंक दिया था। अब, 66 साल बाद, जनरल असीम मुनीर को यह उपाधि दी गई है, और वह भी तब, जब भारत के साथ हालिया सैन्य तनाव में उनकी “रणनीतिक प्रतिभा” और “नन्हा साहस” की तारीफ की जा रही है। लेकिन सवाल यह है कि यह रणनीतिक प्रतिभा आखिर थी क्या?
पाकिस्तान के सरकारी बयान के अनुसार, मुनीर को यह पदोन्नति “राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने और दुश्मन को निर्णायक रूप से हराने” के लिए दी गई है। लेकिन, अगर हम भारत की नजर से देखें, तो यह “निर्णायक जीत” कुछ ज्यादा ही हास्यास्पद लगती है। भारत ने 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए। इसके जवाब में पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइल हमले किए, लेकिन भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने इनमें से ज्यादातर को नाकाम कर दिया। फिर, 10 मई को भारत ने 12 पाकिस्तानी वायुसेना ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिसके बाद पाकिस्तान के डीजीएमओ को भारत से “विराम” के लिए अनुरोध करना पड़ा। अब आप ही बताइए, यह “जीत” है या फिर एक और शर्मनाक हार, जिसे पाकिस्तान ने चमकदार मेडल से ढकने की कोशिश की है?
पहलगाम हमला और मुनीर का “दो-राष्ट्र सिद्धांत”
इस सारे ड्रामे की शुरुआत 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले से हुई, जिसमें 26 लोग, ज्यादातर हिंदू पर्यटक, मारे गए। इस हमले को लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेसिस्टेंस फ्रंट ने अंजाम दिया, जिसे भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन करार दिया। इस हमले से कुछ दिन पहले, 17 अप्रैल को, जनरल मुनीर ने इस्लामाबाद में एक सम्मेलन में भड़काऊ भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने “दो-राष्ट्र सिद्धांत” को फिर से हवा दी। उन्होंने कहा, “हम हर संभव तरीके से हिंदुओं से अलग हैं। हमारी संस्कृति, परंपराएं, विचार और महत्वाकांक्षाएं अलग हैं। कश्मीर हमारी रगों में खून की तरह है।”
यह भाषण न सिर्फ भड़काऊ था, बल्कि इसने भारत-पाक तनाव को और बढ़ाने का काम किया। और फिर, संयोग से (या शायद सोची-समझी साजिश से), पहलगाम में आतंकी हमला हो गया। भारत ने इसका जवाब ऑपरेशन सिंदूर के साथ दिया, जिसने पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया। लेकिन पाकिस्तान ने इसे अपनी “जीत” बताने की कोशिश की और मुनीर को फील्ड मार्शल बना दिया। यह वैसा ही है जैसे कोई छात्र फेल होने के बाद भी अपने मार्कशीट पर “टॉपर” लिखकर तालियां बटोरने की कोशिश करे!
मुनीर की “रणनीतिक प्रतिभा” का सच
पाकिस्तान के सरकारी मीडिया ने दावा किया कि मुनीर ने “ऑपरेशन बुनयान-उम-मार्सूस” में शानदार नेतृत्व दिखाया। लेकिन हकीकत में, भारत ने पाकिस्तान के 12 वायु ठिकानों को तबाह किया, जिसमें नूर अली खान वायुसेना अड्डा भी शामिल था, जो पाकिस्तानी सेना मुख्यालय के पास है। इतना ही नहीं, सोशल मीडिया पर अफवाहें थीं कि इस दौरान मुनीर को रावलपिंडी में एक बंकर में छिपना पड़ा था। सोशल मीडिया पर हैशटैग #MunirOut ट्रेंड करने लगा, जिसमें लोग उनकी “गायब” होने की बात पर हंसी उड़ा रहे थे। जवाब में, पाकिस्तान के पीएमओ ने 26 अप्रैल को एक तस्वीर जारी की, जिसमें मुनीर को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ दिखाया गया। लेकिन यूजर्स ने इसे “एआई-जनरेटेड” फोटो तक कह डाला!
पाकिस्तान ने यह भी दावा किया कि उसने भारत के खिलाफ जवाबी हमले किए, लेकिन भारत ने समय-चिह्नित तस्वीरों और सैटेलाइट इमेजरी के साथ इन दावों को झूठा साबित कर दिया। कुछ पाकिस्तानी वीडियो तो वीडियो गेम सिमुलेशन से लिए गए थे! यह सब देखकर लगता है कि मुनीर की “रणनीतिक प्रतिभा” सिर्फ प्रचार और झूठ की बुनियाद पर टिकी है।
आंतरिक संकट और बाहरी नौटंकी
पाकिस्तान की इस पदोन्नति के पीछे का मकसद सिर्फ बाहरी तनाव तक सीमित नहीं है। देश के अंदर आर्थिक संकट, बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा में विद्रोह, और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी से उपजा जन-आक्रोश मुनीर के लिए मुसीबत बन रहा है। ऐसे में, भारत के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी और कश्मीर कार्ड खेलना उनके लिए एक पुराना आजमाया हुआ हथियार है। लेकिन इस बार, यह हथियार उल्टा पड़ गया। भारत ने न सिर्फ सैन्य जवाब दिया, बल्कि कूटनीतिक रूप से भी पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया। फिर भी, मुनीर को फील्ड मार्शल बनाकर पाकिस्तान ने अपने लोगों को यह दिखाने की कोशिश की कि वे “जीत” गए हैं। लेकिन क्या कोई सचमुच इस झूठ पर यकीन करेगा?
मुनीर का इतिहास: एक विवादास्पद करियर
जनरल मुनीर का करियर भी कम नाटकीय नहीं है। 2018 में, वह सिर्फ आठ महीने के लिए आईएसआई प्रमुख रहे, जो पाकिस्तान के इतिहास में सबसे छोटा कार्यकाल है। इमरान खान ने उन्हें हटाया, क्योंकि कथित तौर पर मुनीर ने खान की पत्नी बुशरा बीबी के खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत पेश किए थे। खान ने इसे “पूरी तरह झूठ” बताया, लेकिन यह विवाद मुनीर के करियर का एक काला धब्बा बन गया। फिर भी, शहबाज शरीफ और नवाज शरीफ की जोड़ी ने उन्हें 2022 में सेना प्रमुख बनाया, और अब फील्ड मार्शल की उपाधि देकर उनकी शक्ति को और मजबूत करने की कोशिश की गई है।
एक हास्यास्पद तमाशा
जनरल असीम मुनीर की फील्ड मार्शल पदोन्नति न तो उनकी “रणनीतिक प्रतिभा” का सबूत है और न ही पाकिस्तान की सैन्य ताकत का प्रतीक। यह एक हताशा भरी कोशिश है, जिसके जरिए पाकिस्तान अपनी हार को जीत के रूप में पेश करना चाहता है। भारत ने न सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की, बल्कि पाकिस्तान के झूठ को भी बेनकाब किया। मुनीर की भड़काऊ बयानबाजी और कश्मीर को “रगों का खून” बताने की कोशिशें सिर्फ उनके देश की अंदरूनी कमजोरियों को छिपाने का प्रयास हैं।
तो, अगली बार जब आप सुनें कि पाकिस्तान ने अपने सेना प्रमुख को “फील्ड मार्शल” बनाया है, तो बस मुस्कुराइए और याद रखिए कि यह वही देश है जो वीडियो गेम के फुटेज को “सैन्य जीत” के सबूत के रूप में पेश करता है। और हां, अधिक खबरों के लिए जनविचार पढ़ते रहें!