Axiom-4 mission: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला जल्द ही अंतरिक्ष की ओर ऐतिहासिक उड़ान भरने जा रहे हैं। मौसम की बाधा से Axiom‑4 मिशन की लॉन्चिंग एक दिन के लिए टल गई है, लेकिन यह भारत के आत्मनिर्भर अंतरिक्ष युग की शुरुआत का प्रतीक बन चुका है।
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— Shiv Aroor (@ShivAroor) June 9, 2025
Axiom-4 launch with Indian astronaut Grp Capt Shubhanshu Shukla postponed by a day from June 10 to June 11 owing to weather conditions. Will take place at 5.30PM IST on Wednesday. pic.twitter.com/GkQMqhgV5R
भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण
Axiom Space के चौथे मानव मिशन Axiom‑4 के तहत चार अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा पर रवाना होंगे, जिनमें भारत के शुभांशु शुक्ला भी शामिल हैं। यह मिशन अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित Kennedy Space Center से लॉन्च होगा।
शुभांशु के साथ इस मिशन में शामिल हैं:
- Michael López-Alegría (कमांडर, अमेरिका-स्पेन मूल के अनुभवी अंतरिक्ष यात्री)
- Walter Villadei (इटली के एयरफोर्स पायलट और मिशन पायलट)
- Alper Gezeravci (तुर्की के पहले अंतरिक्ष यात्री)
इन तीनों का अनुभव गहन है, लेकिन भारत की नजरें टिकी हैं शुभांशु शुक्ला पर, जो इस मिशन में भारत की ओर से पहला प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
क्यों टला लॉन्च?
मौसम की प्रतिकूलता – जैसे तेज़ हवाएं, बादल और संभावित बिजली गिरने की चेतावनी – के कारण मिशन को 10 जून से टालकर 11 जून शाम 5:30 बजे IST निर्धारित किया गया है। यह निर्णय SpaceX, Axiom Space और NASA की सुरक्षा टीमों द्वारा मिलकर लिया गया।
ISRO ने भी इस मिशन को भारत के लिए “रणनीतिक और प्रेरणादायक” बताया है।
शुभांशु शुक्ला: भारत के अंतरिक्ष सपनों का नया चेहरा
उत्तर प्रदेश के निवासी और भारतीय वायुसेना के अनुभवी पायलट शुभांशु शुक्ला ने इस मिशन के लिए अमेरिका में विशेष प्रशिक्षण लिया है। वह ISRO के मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के भी संभावित क्रू मेंबर माने जा रहे हैं।
उनका चयन दर्शाता है कि भारत अब केवल उपग्रह प्रक्षेपण में ही नहीं, बल्कि मानव अंतरिक्ष अभियानों में भी अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार है।
मिशन के वैज्ञानिक पहलू
Axiom‑4 मिशन में अंतरिक्ष स्टेशन पर 14 दिन का प्रवास शामिल होगा। इस दौरान 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे। इनमें से 7 प्रयोग भारतीय संस्थानों द्वारा विकसित किए गए हैं, जिन पर शुभांशु शुक्ला विशेष रूप से काम करेंगे।
कुछ प्रमुख प्रयोग:
- मूंग जैसे भारतीय बीजों का अंकुरण परीक्षण
- अंतरिक्ष में मानव मांसपेशियों पर सूक्ष्म गुरुत्व का प्रभाव
- माइक्रो एल्गी आधारित पोषण तकनीक
- टार्डिग्रेड जैसे जीवों की अंतरिक्ष परिस्थितियों में अनुकूलता
- मनोवैज्ञानिक परीक्षण जो अंतरिक्ष में मानव व्यवहार पर प्रकाश डालेंगे
इन प्रयोगों से भारत को जीवन विज्ञान, खाद्य तकनीक और अंतरिक्ष बायोलॉजी में बड़ा वैज्ञानिक डेटा प्राप्त होगा।
भारत की वैश्विक भागीदारी
Axiom‑4 मिशन NASA, SpaceX, Axiom Space और ISRO के बीच गहराते वैश्विक सहयोग का प्रमाण है। यह दर्शाता है कि भारत अब सिर्फ “सपनों का देश” नहीं, बल्कि “संपन्न तकनीक और संकल्प का देश” बन चुका है।
शुभांशु की इस यात्रा से आने वाले वर्षों में गगनयान जैसे स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन को भी बड़ी प्रेरणा मिलेगी।
क्या है आगे का कार्यक्रम?
- 11 जून, शाम 5:30 IST: लॉन्च
- लगभग 36 घंटे बाद Dragon कैप्सूल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ेगा
- क्रू लगभग 14 दिन तक अंतरिक्ष स्टेशन पर रहेगा
- वापसी का शेड्यूल मौसम और मिशन प्रगति के आधार पर तय होगा
भारत में उत्साह की लहर
देश भर में इस मिशन को लेकर भारी उत्साह है। सोशल मीडिया से लेकर स्कूलों तक, हर जगह शुभांशु शुक्ला के नाम की चर्चा है। लाखों छात्र उन्हें अपना आदर्श मान रहे हैं। यह मिशन बच्चों और युवाओं में विज्ञान के प्रति नया जोश जगा रहा है।
भारत की जनता इसे एक भावनात्मक उपलब्धि के रूप में देख रही है — एक ऐसा क्षण, जब भारत का बेटा विदेशी रॉकेट से लेकिन भारतीय आत्मा और विज्ञान के साथ अंतरिक्ष की ओर अग्रसर है।
उड़ान थोड़ी रुकी, हौसले नहीं
Axiom‑4 का स्थगन भले ही अस्थायी हो, लेकिन शुभांशु शुक्ला की उड़ान और भारत का आत्मविश्वास अडिग है। इस मिशन से भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब वह अंतरिक्ष विज्ञान का उपभोक्ता नहीं, बल्कि निर्माता और साझेदार बन गया है।
शुभांशु शुक्ला की उड़ान भारत के लिए सिर्फ एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक गौरवशाली प्रेरणा है।
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