Bangladesh jet crash: 21 जुलाई 2025 को बांग्लादेश की राजधानी ढाका एक दर्दनाक हादसे का गवाह बनी, जब एक सैन्य प्रशिक्षण विमान सीधे एक स्कूल की इमारत से जा टकराया। इस त्रासदी में 27 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 25 स्कूली बच्चे, एक शिक्षक और विमान के पायलट शामिल थे। इस हादसे ने न केवल बांग्लादेश को हिला कर रख दिया, बल्कि पूरी दुनिया में सैन्य विमान सुरक्षा को लेकर चिंताएं खड़ी कर दी हैं। खासकर चीन में निर्मित Chengdu F-7 BGI विमान की विश्वसनीयता और डिज़ाइन पर गंभीर सवाल उठे हैं।
विमान और हादसे का ब्यौरा
F-7 BGI विमान, जो मूल रूप से सोवियत संघ के प्रसिद्ध मिग-21 डिजाइन पर आधारित है, बांग्लादेश वायुसेना द्वारा प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता रहा है। यह हादसा उस समय हुआ जब पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहम्मद तौकीर इस्लाम एक एकल प्रशिक्षण उड़ान पर थे। टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद विमान में तकनीकी खराबी आ गई और पायलट का उस पर से नियंत्रण हट गया।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विमान ने एक अजीब सी गति में झटका खाया और तेजी से ऊंचाई खोते हुए स्कूल की छत पर जा गिरा। टक्कर के बाद एक जबरदस्त विस्फोट हुआ और स्कूल परिसर में चारों ओर धुआं, आग और चीख-पुकार का माहौल फैल गया। कई घायल बच्चों को स्थानीय लोग और सुरक्षाबल अपनी गाड़ियों में अस्पताल लेकर भागे क्योंकि एम्बुलेंस घटनास्थल तक समय पर नहीं पहुंच पाईं।
F-7 की पृष्ठभूमि और तकनीकी विशेषताएं
F-7 चीन के चेंग्दू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री द्वारा विकसित किया गया था। यह विमान मूल रूप से मिग-21 का चीनी संस्करण है, जिसे तकनीकी रूप से अपग्रेड कर आधुनिक जरूरतों के अनुरूप बनाया गया। इसमें तीन मल्टी-फंक्शनल डिस्प्ले, उन्नत फायर कंट्रोल रडार और बेहतर कॉकपिट सिस्टम लगाए गए हैं।
लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही इसे तकनीकी रूप से अपडेट किया गया हो, इसकी मूल संरचना अभी भी 1960 के दशक की है, जो आज के आधुनिक युद्धक विमानों की तुलना में काफी पीछे रह जाती है। इसकी गति और पैंतरेबाज़ी क्षमता अब उतनी प्रतिस्पर्धात्मक नहीं मानी जाती, जितनी कि आज के स्टील्थ और मल्टी-रोल जेट विमानों की होती है।
यह केवल एक तकनीकी गड़बड़ी नहीं
हादसे के तुरंत बाद बांग्लादेश वायुसेना और रक्षा मंत्रालय ने शुरुआती जांच में इस घटना को “तकनीकी खराबी” का नतीजा बताया। हालांकि, तकनीकी खराबी अपने आप में कोई छोटी बात नहीं होती। जब एक सैन्य विमान हजारों फीट की ऊंचाई से एक घनी आबादी वाले क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त होता है, तो इसका प्रभाव न केवल जान-माल की क्षति तक सीमित रहता है, बल्कि इससे लोगों के मन में सैन्य प्रतिष्ठानों और उपकरणों की सुरक्षा पर भी संदेह गहराता है।
विशेषज्ञों ने यह भी सवाल उठाया कि आखिर क्यों एक प्रशिक्षण उड़ान को एक ऐसे घनी आबादी वाले क्षेत्र के ऊपर से उड़ने दिया गया, जहां हजारों बच्चे मौजूद थे? क्या इसके लिए कोई वैकल्पिक प्रशिक्षण रूट नहीं था? क्या उड़ान से पहले तकनीकी जांच पूरी की गई थी?
MiG-21 की विरासत और बढ़ती दुर्घटनाएं
MiG-21 और इसके संस्करणों को “flying coffin” (उड़ता ताबूत) कहा गया है, खासकर भारत, म्यांमार और अब बांग्लादेश जैसे देशों में इसकी बार-बार दुर्घटनाएं इसका उदाहरण हैं। भारत में भी पिछले वर्षों में मिग-21 आधारित विमानों की कई दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें पायलटों की जान गई है। यही विमान जब चीन द्वारा अपडेट कर F-7 के रूप में दूसरे देशों को बेचा गया, तब उसमें कुछ तकनीकी सुधार तो किए गए, लेकिन उसकी मूलभूत सीमाएं बनी रहीं।
बांग्लादेश वायुसेना के पास वर्तमान में करीब 35 F-7 लड़ाकू विमान हैं, जो उनके प्राथमिक प्रशिक्षण बेड़े का हिस्सा हैं। लेकिन इस हादसे के बाद यह विमानों की तकनीकी जांच के साथ-साथ वायुसेना के प्रशिक्षण मानकों पर भी सवालिया निशान लगा चुका है।
समाज और जनता की प्रतिक्रिया
हादसे के बाद ढाका में गहरा शोक और आक्रोश देखा गया। मृत बच्चों के माता-पिता बदहवास थे। पूरे देश में एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया। स्कूल के बाहर हजारों लोग इकट्ठा हुए और सरकार तथा वायुसेना के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
मीडिया, छात्र संगठन, मानवाधिकार संस्थाएं और विपक्षी दलों ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पूछा – जब विमान में तकनीकी दिक्कत थी, तो उसे उड़ान की अनुमति क्यों दी गई? और क्या किसी घनी आबादी वाले इलाके में इस तरह के विमानों को उड़ने देना सुरक्षित है?
चीन पर अंतरराष्ट्रीय नजरें
यह दुर्घटना केवल बांग्लादेश की आंतरिक गलती नहीं मानी जा रही, बल्कि इसका असर चीन की वैश्विक छवि पर भी पड़ रहा है। चीन द्वारा कई विकासशील देशों को सस्ते लड़ाकू विमान बेचे गए हैं, लेकिन इन विमानों की गुणवत्ता और दीर्घकालिक सुरक्षा को लेकर कई बार आलोचना हुई है।
विशेष रूप से म्यांमार और नाइजीरिया में भी F-7 विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटनाएं हो चुकी हैं। यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या चीन अपने रक्षा उत्पादों की गुणवत्ता पर पर्याप्त ध्यान देता है, या फिर यह केवल मात्रा पर आधारित रक्षा निर्यात रणनीति है?
भविष्य की दिशा: सुधार या बहिष्कार?
इस हादसे ने एक निर्णायक मोड़ पर ला खड़ा किया है, जहां बांग्लादेश सरकार को ठोस निर्णय लेने होंगे। पहला निर्णय यह कि F-7 जैसे पुराने डिज़ाइन वाले विमानों का भविष्य क्या होगा? क्या इनकी उड़ानों पर रोक लगाई जाएगी? क्या नए, सुरक्षित और आधुनिक विमानों की ओर रुख किया जाएगा?
दूसरा अहम निर्णय यह होगा कि प्रशिक्षण मानकों और उड़ान पथ की समीक्षा कैसे की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदियों से बचा जा सके। इसके साथ ही, सरकार को विमान उड़ाने से पहले होने वाली तकनीकी जांच की प्रक्रिया को पारदर्शी और कठोर बनाना होगा।
यह हादसा बांग्लादेश के लिए एक चेतावनी है कि तकनीकी विकास और सैन्य विस्तार में संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है। यह न केवल एक विमान की दुर्घटना थी, बल्कि यह उन नीतियों की भी असफलता थी जो सार्वजनिक सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं देतीं।
एक ओर जहां हमें पायलट की अंतिम क्षणों में दिखाई गई बहादुरी की सराहना करनी चाहिए, वहीं यह भी जरूरी है कि हम इस त्रासदी से सीखें और ऐसा कोई कदम उठाएं जिससे भविष्य में ऐसी कोई भयावह घटना दोबारा ना घटे। बांग्लादेश को चाहिए कि वह चीन से लिए गए पुराने सैन्य उपकरणों की गुणवत्ता की व्यापक समीक्षा करे, ताकि देश की सुरक्षा और नागरिकों की जान की कीमत पर कोई समझौता न हो।
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