Biren Singh Resigns: मणिपुर में जारी 21 महीनों की उथल-पुथल के बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा दे दिया। रविवार शाम को उन्होंने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना त्यागपत्र सौंपा। यह फैसला उनके दिल्ली दौरे और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह व भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ लगभग दो घंटे लंबी बैठक के बाद आया।
बीरेन सिंह ने शनिवार को दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी, जो इस हफ्ते उनकी दूसरी यात्रा थी। इस बार उनके साथ कोई भी कैबिनेट मंत्री मौजूद नहीं था। रविवार दोपहर वे भाजपा के पूर्वोत्तर समन्वयक संबित पात्रा के साथ वापस इंफाल लौटे। शाम को उन्होंने संबित पात्रा और मणिपुर भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं – मंत्री थोंगाम बिस्वजीत सिंह, सपम रंजन सिंह, गोविंदास कोंथौजम और थोंगाम बसंता सिंह के साथ राज्यपाल से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंप दिया।
इस्तीफे के पीछे की वजह
मणिपुर में भाजपा के असंतुष्ट विधायकों की लंबे समय से बीरेन सिंह के नेतृत्व और केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर नाराजगी बनी हुई थी। कई विधायक मुख्यमंत्री बदलने की मांग कर रहे थे। सूत्रों के अनुसार, विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले अगर कोई बदलाव नहीं हुआ होता, तो असंतुष्ट विधायकों ने कोई बड़ा कदम उठाने की योजना बनाई थी। कांग्रेस भी विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही थी।
इस्तीफे के साथ पांच प्रमुख मांगें
बीरेन सिंह ने अपने इस्तीफे के साथ केंद्र सरकार के सामने पांच प्रमुख मांगें रखीं:
- मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखना।
- अवैध प्रवासियों पर सख्त कार्रवाई।
- ड्रग्स और नार्को-टेररिज्म के खिलाफ लड़ाई जारी रखना।
- बायोमेट्रिक जांच के साथ फ्री मूवमेंट रेजीम (FMR) को जारी रखना।
- भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़बंदी का कार्य पूरा करना।
ये सभी मुद्दे उनके कार्यकाल में मुख्य प्राथमिकताएं रहे थे, जिन पर उन्होंने बार-बार जोर दिया था।
#𝐌𝐚𝐧𝐢𝐩𝐮𝐫 𝐂𝐡𝐢𝐞𝐟 𝐌𝐢𝐧𝐢𝐬𝐭𝐞𝐫 @NBirenSingh 𝐭𝐞𝐧𝐝𝐞𝐫𝐬 𝐡𝐢𝐬 𝐫𝐞𝐬𝐢𝐠𝐧𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐭𝐨 𝐆𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐨𝐫 𝐀𝐣𝐚𝐲 𝐊𝐮𝐦𝐚𝐫 𝐁𝐡𝐚𝐥𝐥𝐚 𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐑𝐚𝐣 𝐁𝐡𝐚𝐯𝐚𝐧.
CM Biren who led the BJP Government since the party came to power in 2017, steps down… pic.twitter.com/9s5pS1AdJ5
— All India Radio News (@airnewsalerts) February 9, 2025
Credit: All India Radio News
कांग्रेस का तीखा हमला
कांग्रेस ने इस इस्तीफे को ‘बहुत देर से लिया गया निर्णय’ करार दिया। पार्टी के मणिपुर प्रभारी गिरीश चोंदाकर ने कहा, “अगर बीरेन सिंह ने पहले इस्तीफा दिया होता, तो जान-माल, व्यापार और बच्चों की शिक्षा को जो नुकसान हुआ, वह रोका जा सकता था। उन्हें डेढ़ साल पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था। मणिपुर ने जो दुख झेला है, उसकी भरपाई नहीं की जा सकती।”
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब मणिपुर आकर यह बताना चाहिए कि वे राज्य में शांति और स्थिरता कैसे बहाल करेंगे। बीरेन सिंह के इस्तीफे से साफ है कि जनता का बढ़ता दबाव, सुप्रीम कोर्ट की जांच और कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव सरकार पर भारी पड़ा।”
राहुल गांधी ने आगे कहा, “पिछले दो सालों से भाजपा के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने मणिपुर में समाज को बांटने का काम किया। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें लगातार सत्ता में बनाए रखा, जबकि राज्य हिंसा और विनाश की चपेट में था। अब सबसे जरूरी बात यह है कि शांति स्थापित की जाए और मणिपुर के लोगों के जख्मों को भरा जाए।”
आगे क्या?
सूत्रों के अनुसार, मणिपुर विधानसभा को कुछ समय के लिए निलंबित एनीमेशन (suspended animation) में रखा जा सकता है। इसका मतलब यह होगा कि नया मुख्यमंत्री नियुक्त होने तक सरकार सीमित प्रशासनिक कार्य ही कर सकेगी।
अब सभी की नजरें भाजपा के अगले कदम पर टिकी हैं। पार्टी को जल्द ही यह तय करना होगा कि राज्य का नेतृत्व कौन करेगा और मणिपुर को स्थिरता की ओर कैसे ले जाया जाएगा।