BJP alliance with AIADMK

BJP alliance with AIADMK: तमिलनाडु में बीजेपी और अन्नाद्रमुक का फिर से गठबंधन – 2026 में DMK को सत्ता से हटाने का संकल्प

BJP alliance with AIADMK: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि राजनीति में दूरियां स्थायी नहीं होतीं। शुक्रवार को पीएम मोदी ने तमिलनाडु की प्रमुख विपक्षी पार्टी अन्नाद्रमुक (AIADMK) के साथ भाजपा (BJP) के नए गठबंधन की घोषणा की, जिसे 2026 के राज्य विधानसभा चुनावों के लिए एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम माना जा रहा है। इस गठबंधन का उद्देश्य साफ है — राज्य की मौजूदा सत्तारूढ़ पार्टी, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) को सत्ता से हटाकर एक “भ्रष्ट और विभाजनकारी शासन” को समाप्त करना।

पुराने मतभेद और रिश्ते में आई दरार

सितंबर 2023 में अन्नाद्रमुक और भाजपा के बीच का गठबंधन टूट गया था। इसके पीछे की बड़ी वजहें थीं भाजपा के तत्कालीन तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई द्वारा दिवंगत नेता और अन्नाद्रमुक की आइकॉन जे. जयललिता और सी.एन. अन्नादुरई पर की गई टिप्पणियां। इन बयानों को लेकर अन्नाद्रमुक ने सार्वजनिक रूप से असहमति जताई और गठबंधन से बाहर होने का एलान कर दिया।

भले ही दोनों दलों की विचारधारा कुछ मामलों में मेल खाती हो, लेकिन यह दरार दिखाती है कि क्षेत्रीय गौरव और नेतृत्व के सम्मान जैसे मुद्दों को लेकर दक्षिण भारत की राजनीति कितनी संवेदनशील है।

बदले हालात, बदले समीकरण

अब जबकि 2026 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, दोनों दलों ने आपसी मतभेद भुलाकर भविष्य की राजनीति पर नजरें टिका ली हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में साफ शब्दों में कहा कि भाजपा और अन्नाद्रमुक मिलकर तमिलनाडु को नई दिशा देंगे और “भ्रष्ट और विभाजनकारी” DMK शासन को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे।

यह गठबंधन केवल सीटों के जोड़-तोड़ का समीकरण नहीं है, बल्कि यह संकेत देता है कि भाजपा अब दक्षिण भारत में और गहराई से पैठ बनाने की रणनीति पर काम कर रही है।

राजनीतिक दृष्टिकोण से क्या है इस गठबंधन का महत्व?

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि तमिलनाडु जैसे राज्य में, जहां भाजपा की जमीनी पकड़ अपेक्षाकृत कमजोर रही है, वहां AIADMK जैसे स्थापित क्षेत्रीय दल के साथ हाथ मिलाना रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। दूसरी ओर, AIADMK के लिए भी यह गठबंधन केंद्र में भाजपा की सत्ता और संसाधनों का लाभ उठाने का मौका बन सकता है।

यह गठबंधन DMK के लिए भी एक बड़ी चुनौती बनकर उभर सकता है, जिसे पिछले कुछ वर्षों में भ्रष्टाचार, परिवारवाद और प्रशासनिक अक्षमता के आरोपों का सामना करना पड़ा है।

क्या यह गठबंधन स्थायी रहेगा?

हालांकि दोनों पार्टियों के नेताओं ने इस गठबंधन को ‘स्थायी और मजबूत’ बताया है, लेकिन तमिलनाडु की राजनीति में कोई भी गठबंधन स्थायी नहीं कहा जा सकता। एक-दूसरे की विचारधारा और नेतृत्व शैली में मौजूद अंतर भविष्य में फिर से किसी टकराव को जन्म दे सकता है। इसलिए दोनों दलों को न केवल चुनावी लाभ की सोच रखनी होगी, बल्कि आपसी संवाद और समझ बनाए रखने पर भी ध्यान देना होगा।

तमिलनाडु की जनता का क्या रुख होगा?

तमिलनाडु की जनता प्रबुद्ध मानी जाती है और भावनात्मक व सामाजिक मुद्दों के प्रति संवेदनशील भी। DMK की विरोधी नीतियों को लेकर एक वर्ग पहले से ही असंतोष जता रहा है। अगर भाजपा-अन्नाद्रमुक गठबंधन इस असंतोष को प्रभावी रूप से दिशा दे पाता है, तो यह चुनावी नतीजों में अहम भूमिका निभा सकता है।

भाजपा और अन्नाद्रमुक का नया गठबंधन 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह बदल सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह गठबंधन कितनी मजबूती से चुनावी मैदान में उतरता है और क्या यह वाकई राज्य में सुशासन और विकास की नई लहर ला पाता है।

अधिक समाचारों के लिए पढ़ते रहें जनविचार

Admin

Kiran Mankar - Admin & Editor, Jana Vichar.Kiran manages and curates content for Jana Vichar, a platform dedicated to delivering detailed, trending news from India and around the world. Passionate about journalism, technology, and the evolving landscape of human relationships, Kiran ensures that every story is engaging, insightful, and relevant. With a focus on accuracy and a human-centered approach, Kiran strives to keep readers informed with meaningful news coverage.

View all posts by Admin →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *