Blackout Drill

Blackout Drill: दिल्ली, मुंबई समेत देशभर में अंधेरा छाया, नागरिक सुरक्षा के लिए किया गया बड़ा अभ्यास

Blackout Drill: 7 मई 2025 की शाम को अचानक दिल्ली, मुंबई, पटना, कोलकाता जैसे कई बड़े शहरों में अंधेरा छा गया। लोग चौंक गए कि आखिर माजरा क्या है? लेकिन यह कोई बिजली कटौती नहीं थी, बल्कि यह एक बड़े राष्ट्रीय नागरिक सुरक्षा अभ्यास – “ऑपरेशन अभ्यास” – का हिस्सा था। यह मॉक ड्रिल देश की सुरक्षा तैयारियों की जांच के लिए की गई थी, जिसमें रात के समय ब्लैकआउट, सायरन, आपातकालीन सेवाओं की तैनाती और निकासी अभियानों का अभ्यास किया गया।

इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य था यह परखना कि अगर देश पर अचानक कोई हमला होता है या किसी संकट की स्थिति बनती है, तो हमारी नागरिक व्यवस्था, आपात सेवाएं और आम लोग कितने तैयार हैं।

मॉक ड्रिल क्यों की गई?

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने यह अभ्यास ऐसे समय पर किया है जब पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं। कुछ ही दिन पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था, जिसमें सेना के कई जवान शहीद हुए। इस पृष्ठभूमि में केंद्र सरकार ने पूरे देश में मॉक ड्रिल आयोजित करने का फैसला लिया, ताकि यह समझा जा सके कि भारत के नागरिक और संस्थान किसी अप्रत्याशित संकट में कैसे प्रतिक्रिया देंगे।

दिल्ली: राष्ट्रपति भवन से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अंधेरा

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यह ड्रिल बेहद सुनियोजित ढंग से की गई। NDMC क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले संवेदनशील क्षेत्रों जैसे राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, गृह मंत्रालय, और रक्षा मंत्रालय की इमारतों की लाइटें 8 बजे से 15 मिनट तक बंद रखी गईं।

NDMC के अनुसार, कुल 60 एयर रेड सायरन बजाए गए ताकि लोग सतर्क हो सकें। हालांकि अस्पतालों, मेट्रो स्टेशनों और आपातकालीन सेवाओं को इस अभ्यास से बाहर रखा गया था ताकि कोई असुविधा न हो।

मुंबई: अनुषक्ति नगर और बंदरगाह क्षेत्रों पर विशेष फोकस

मुंबई में भी यह मॉक ड्रिल बड़े पैमाने पर की गई। अनुषक्ति नगर, गोवंडी, और तारापुर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में ब्लैकआउट किया गया। क्रॉस मैदान में बम विस्फोट, आगजनी और लोगों की निकासी जैसे परिदृश्यों का अभ्यास किया गया।

मुंबई पुलिस, फायर ब्रिगेड, और NDRF की टीमों ने संयुक्त रूप से इस ड्रिल में भाग लिया। नागरिकों को पहले ही जानकारी दे दी गई थी ताकि घबराहट न फैले।

देशभर के राज्यों में भी की गई मॉक ड्रिल

उत्तर प्रदेश

लखनऊ, प्रयागराज, बरेली, और वाराणसी में प्रमुख सरकारी इमारतों और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर ब्लैकआउट किया गया। पुलिस और SDRF टीमों ने सायरन के बाद लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।

बिहार

पटना में मुख्यमंत्री आवास, सचिवालय, और राजभवन पर ब्लैकआउट किया गया। साथ ही गांधी मैदान में आगजनी और विस्फोट की स्थिति का अभ्यास किया गया।

गुजरात

कांडला बंदरगाह, सूरत और अहमदाबाद में भी नागरिक सुरक्षा अभ्यास किया गया। विशेष रूप से बंदरगाह क्षेत्र में कंटेनरों में आग लगने की स्थिति का मॉक रेस्पॉन्स किया गया।

मध्य प्रदेश

भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और मॉल जैसे सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा अभ्यास किया गया।

पश्चिम बंगाल

कोलकाता में स्कूलों, कॉलेजों, और सरकारी दफ्तरों में निकासी अभ्यास किया गया। सायरन बजते ही छात्रों को कतार में बाहर निकाला गया।

असम

गुवाहाटी समेत राज्य के 14 जिलों में 18 स्थानों पर मॉक ड्रिल की गई। बाढ़ और आतंकी हमले के परिदृश्य पर तैयारियां जांची गईं।

पुणे और आसपास के क्षेत्रों में भी सक्रियता

पुणे में काउंसिल हॉल, वनाज इंडस्ट्रियल एस्टेट, पुणे नगर निगम और पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम में विभिन्न प्रकार के आपातकालीन अभ्यास किए गए। यहां बम विस्फोट की स्थिति, आगजनी, और इमारतों से सुरक्षित निकासी पर विशेष फोकस रहा।

नागरिकों की भूमिका और सहयोग

इस मॉक ड्रिल की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि अधिकतर स्थानों पर आम लोगों ने पूरा सहयोग दिया। पहले से सूचना देने के बावजूद कहीं-कहीं लोग सायरन से घबरा भी गए, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने स्थिति को तुरंत संभाल लिया।

कई नागरिकों ने इस ड्रिल को सकारात्मक कदम बताया और कहा कि इससे हमें वास्तविक आपातकालीन स्थिति में सही ढंग से प्रतिक्रिया करने की सीख मिलती है।

क्या यह अभ्यास सफल रहा?

केंद्र सरकार और NDMA के अनुसार यह मॉक ड्रिल अब तक की सबसे बड़ी और समन्वित ड्रिल थी। इससे यह सिद्ध हुआ कि भारत में नागरिक सुरक्षा को लेकर गंभीरता बढ़ी है और प्रशासन किसी भी संकट से निपटने के लिए सजग है।

विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में ऐसे अभ्यासों को और नियमित और स्थानीय स्तर पर करना चाहिए ताकि छोटे शहरों और गांवों तक नागरिक सुरक्षा की संस्कृति पहुंच सके।

“ऑपरेशन अभ्यास” न सिर्फ एक मॉक ड्रिल था, बल्कि यह भारत की सुरक्षा नीति और नागरिक चेतना का नया अध्याय था। यह स्पष्ट संदेश है कि देश अब किसी भी खतरे के लिए न सिर्फ सैन्य रूप से, बल्कि सामाजिक और नागरिक स्तर पर भी पूरी तरह तैयार है।

सरकार, सुरक्षा एजेंसियों, और आम नागरिकों की सामूहिक भागीदारी ने इसे सफल बनाया। ऐसे अभ्यास न सिर्फ सुरक्षा बढ़ाते हैं, बल्कि जनता में भरोसा भी जगाते हैं।

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