Champions Trophy 2025: दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम (DICS) में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सेमीफाइनल मुकाबले से पहले सभी की नजरें पिच पर टिकी हुई थीं। यह अनुमान लगाया जा रहा था कि पिच कितना टर्न लेगी और कुल स्कोर कितना कम हो सकता है। रमीज राजा ने माइकल एथरटन के साथ पिच रिपोर्ट करते हुए मीडिया बॉक्स में कुछ पत्रकारों को बताया कि यह 170 रन की पिच है। लेकिन भारत ने इस “मुश्किल” सतह पर ऑस्ट्रेलिया को लगभग 270 रन बनाने दिए। हालांकि, भारत के पास विराट कोहली थे, जिन्हें “चेस मास्टर” कहा जाता है।
ऑस्ट्रेलिया को लग रहा था कि वे 20 रन कम हैं, लेकिन कोहली के क्रीज पर होने के साथ, कोई भी लक्ष्य भारत के लिए असंभव नहीं लग रहा था। कोहली ने इस पीछा को इतने आसानी से अंजाम दिया कि ऑस्ट्रेलिया के पास उनकी ब्रिलिएंस का कोई जवाब नहीं था। 98 गेंदों में 84 रन की उनकी पारी में केवल पांच चौके शामिल थे। इसमें न तो कोई अतिरिक्त जोखिम था और न ही किसी तरह का दिखावा। यह पीछा पूरी तरह से नियंत्रित और सटीक था, जिसमें तीन महत्वपूर्ण साझेदारियों ने भारत को चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचा दिया।
कोहली का धैर्य: एक मास्टरक्लास
विराट कोहली की इस पारी को देखकर यह स्पष्ट हो गया कि वे केवल एक बल्लेबाज नहीं हैं, बल्कि एक कलाकार हैं, जो क्रिकेट के मैदान पर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। उन्होंने गेंदबाजों के साथ धैर्यपूर्वक व्यवहार किया और सही समय पर सही शॉट्स खेलकर मैच को भारत के पक्ष में मोड़ दिया।
कोहली ने शुरुआत में धीमी गति से रन बनाए, लेकिन जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ा, उन्होंने अपनी टाइमिंग और टेम्पो को बेहतर कर लिया। उनकी यह रणनीति ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुई। उन्होंने न केवल अपने विकेट को सुरक्षित रखा, बल्कि अपने साथी बल्लेबाजों को भी आत्मविश्वास के साथ खेलने का मौका दिया।
साझेदारियों का महत्व
कोहली की इस पारी में तीन साझेदारियों ने मैच का पासा पलट दिया। पहली साझेदारी रोहित शर्मा के साथ थी, जिसने भारत को एक स्थिर शुरुआत दी। दूसरी साझेदारी केएल राहुल के साथ थी, जिसने मध्यक्रम में गति बनाए रखी। और तीसरी साझेदारी हार्दिक पांड्या के साथ थी, जिसने मैच को भारत के पक्ष में पूरी तरह से झुका दिया।
हार्दिक पांड्या के साथ कोहली की साझेदारी ने ऑस्ट्रेलिया की उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया। पांड्या ने आक्रामक शॉट्स खेलकर दबाव बनाया, जबकि कोहली ने एक छोर से मैच को नियंत्रित किया। यह साझेदारी न केवल रनों के लिहाज से महत्वपूर्ण थी, बल्कि इसने ऑस्ट्रेलिया के मनोबल को भी तोड़ दिया।
ऑस्ट्रेलिया की निराशा
ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों ने हर संभव कोशिश की, लेकिन कोहली के सामने वे नाकाम रहे। पैट कमिंस, मिचेल स्टार्क और एडम ज़म्पा जैसे गेंदबाजों ने अपने अनुभव का इस्तेमाल किया, लेकिन कोहली ने उनकी हर चाल को पहले ही भांप लिया। उन्होंने गेंदबाजों की लंबाई और लाइन को पढ़कर शॉट्स खेले और स्कोरबोर्ड को लगातार आगे बढ़ाया।
ऑस्ट्रेलिया के कप्तान आरोन फिंच ने मैच के बाद कहा, “हमें लगा कि हमने एक अच्छा स्कोर बनाया है, लेकिन विराट कोहली जैसे खिलाड़ी के सामने कोई भी स्कोर कम होता है।”
फाइनल की ओर कदम
इस जीत के साथ भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली। कोहली की इस पारी ने न केवल भारत को जीत दिलाई, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि वे दबाव में खेलने के मास्टर हैं। उनकी यह पारी न केवल उनके प्रशंसकों के लिए, बल्कि पूरे क्रिकेट जगत के लिए एक सबक थी।
विराट कोहली की इस पारी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक हैं। उनका धैर्य, नियंत्रण और समय पर शॉट्स खेलने की क्षमता उन्हें एक अलग लीग में खड़ा करती है। यह मैच न केवल भारत के लिए एक बड़ी जीत थी, बल्कि यह कोहली के करियर का एक और स्वर्णिम अध्याय भी था।
अब फाइनल की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, और भारत की टीम कोहली के नेतृत्व में एक और ट्रॉफी जीतने के लिए तैयार है। कोहली का यह धैर्य और परफेक्शन भारतीय क्रिकेट के लिए एक नई मिसाल कायम करता है।