Chinnaswamy Stampede: बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में RCB की जीत के बाद हुए भयावह स्टैम्पिड ने सिर्फ मासूम जिंदगियां नहीं छीनी, बल्कि कर्नाटक सरकार की व्यवस्था और नेतृत्व पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। इस त्रासदी के बाद जिस तेज़ी से प्रशासनिक कार्रवाई हुई, वह कर्नाटक के राजनीतिक इतिहास में एक बड़ी मिसाल बन गई है।
#BREAKING
— Nabila Jamal (@nabilajamal_) June 6, 2025
Karnataka CM's political secretary K Govindaraj sacked, official order out!
Comes 2 days after 11 died in the Chinnaswamy Stadium stampede
Govindaraj denies giving any advice to CM about the RCB parade
"Who am I to advise the CM?" he says#BengaluruStampede pic.twitter.com/oyFYzHL5c7
जब जीत मातम में बदल गई
4 जून 2025 को बेंगलुरु का मशहूर चिन्नास्वामी स्टेडियम RCB की ऐतिहासिक जीत का गवाह बना। जैसे ही टीम ने पहली बार IPL ट्रॉफी जीती, शहर में जश्न का माहौल छा गया। हजारों की संख्या में लोग स्टेडियम के बाहर इकट्ठा हो गए। लेकिन यह जश्न कुछ ही पलों में मातम में बदल गया जब अचानक भीड़ बेकाबू हो गई। धक्का-मुक्की, भगदड़ और अफरा-तफरी के बीच 11 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 75 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
जिम्मेदारी तय: पहली बार इतनी तेज़ कार्रवाई
इस घटना के तुरंत बाद जनता, मीडिया और विपक्ष का सरकार पर तीखा हमला शुरू हुआ। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए त्वरित और सख्त फैसले लिए। बेंगलुरु शहर के पुलिस कमिश्नर बी दयानंद सहित कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव के. गोविंदराज को पद से हटा दिया गया। बताया जा रहा है कि गोविंदराज ने आयोजन को लेकर सरकार को गलत जानकारी दी थी और भीड़ नियंत्रण की तैयारी में लापरवाही बरती गई थी। यह पहली बार है जब किसी मुख्यमंत्री ने अपने निजी सचिव स्तर के अधिकारी को सार्वजनिक दबाव के चलते बर्खास्त किया हो।
इंटेलिजेंस विभाग पर भी गिरी गाज
भीड़ नियंत्रण में विफलता के पीछे एक बड़ी वजह इंटेलिजेंस इनपुट की कमी को बताया गया। सरकार ने इस बात को गंभीरता से लेते हुए कर्नाटक इंटेलिजेंस विभाग के एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, हेमंत निंबालकर का ट्रांसफर कर दिया है। खास बात यह है कि उन्हें अब तक किसी भी नई पोस्टिंग की घोषणा नहीं की गई है, जो संकेत देता है कि उनके खिलाफ आगे और भी कार्रवाई हो सकती है।
विपक्ष का हमला तेज़
इस घटना ने राज्य की राजनीति में एक तरह का तूफान ला दिया है। भाजपा ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार से इस्तीफा मांगा है। पार्टी का आरोप है कि सरकार ने आयोजन को सिर्फ अपनी प्रचार की भूख के लिए इस्तेमाल किया, लेकिन जनता की सुरक्षा की पूरी तरह अनदेखी की।
भाजपा ने राज्य सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि उसने आयोजन की अनुमति देने से पहले सुरक्षा मानकों की समीक्षा नहीं की। उन्होंने प्रत्येक मृतक परिवार को ₹50 लाख मुआवज़ा देने की मांग की है और आयोजनकर्ता कंपनी DNA Entertainment के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
जनता दल सेक्युलर (JDS) के नेता एच.डी. कुमारस्वामी ने भी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सत्ता की भूख ने सरकार की नैतिक ज़िम्मेदारी को निगल लिया है। उन्होंने कहा, “अगर एक IPL जीत में इतनी जानें जा सकती हैं, तो सोचिए क्या हालत होगी जब और बड़े आयोजन होंगे।”
जांच और FIR की प्रक्रिया
सरकार ने इस पूरे मामले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया है, जिसे 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपनी होगी। यह कमेटी स्टेडियम प्रबंधन, पुलिस विभाग, आयोजकों और अन्य संबंधित एजेंसियों की भूमिका की बारीकी से जांच करेगी।
FIR दर्ज की गई है जिसमें RCB प्रबंधन, कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (KSCA) और आयोजनकर्ता DNA Entertainment Networks के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। शुरुआती जांच में पाया गया है कि आयोजन की अनुमति में कई नियमों का उल्लंघन किया गया था।
क्या यह कार्रवाई पर्याप्त है?
इस बात में कोई संदेह नहीं कि सरकार ने बहुत तेज़ और सख्त कार्रवाई की है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह काफ़ी है? क्या महज़ कुछ अधिकारियों को हटाकर या निलंबित करके जनमानस का भरोसा लौटाया जा सकता है? यह समय है जब सरकार को भीड़ प्रबंधन और आपात स्थितियों से निपटने के लिए एक ठोस, दीर्घकालिक नीति लानी चाहिए।
सरकार को न केवल जवाबदेही तय करनी होगी, बल्कि भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए एक पारदर्शी और प्रोफेशनल प्रबंधन प्रणाली विकसित करनी होगी। पुलिस और आयोजकों के बीच तालमेल को सुनिश्चित करना, इंटेलिजेंस इनपुट्स की जांच और विश्लेषण को मजबूत करना, और भीड़ नियंत्रण के लिए तकनीकी उपायों का इस्तेमाल करना अब समय की मांग है।
नेतृत्व की परीक्षा
यह घटना कर्नाटक सरकार के लिए एक गंभीर चेतावनी है। चिन्नास्वामी स्टैम्पिड ने यह दिखा दिया है कि सार्वजनिक सुरक्षा में थोड़ी सी भी चूक कितनी भारी पड़ सकती है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सख्त कार्रवाई ने एक सकारात्मक संदेश तो दिया है, लेकिन असली परीक्षा अब आगे होगी—जब जांच रिपोर्ट सामने आएगी और उसमें जिम्मेदारी तय होगी।
राजनीतिक तूफ़ान के बीच यह ज़रूरी है कि सरकार केवल दिखावे की कार्रवाई तक सीमित न रहे, बल्कि जमीनी बदलाव लाए—ताकि जनता का भरोसा लौटे और भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें।
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