Chinnaswamy stampede: बेंगलुरु का एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम हमेशा से भारत के प्रमुख क्रिकेट स्थलों में से एक रहा है। यहां क्रिकेट के अनगिनत ऐतिहासिक मुकाबले खेले गए हैं और दर्शकों की भारी भीड़ ने हमेशा यहां के माहौल को खास बना दिया है। लेकिन जून 2025 की एक भयावह शाम ने न सिर्फ इस मैदान की छवि को झटका दिया, बल्कि कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (KSCA) की प्रशासनिक क्षमताओं पर भी सवाल खड़े कर दिए।
BCCI punishes KSCA!
— Times Now Sports (@timesnowsports) June 10, 2025
🚨 After the Bengaluru stampede tragedy, the board moves important series to Rajkot.
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घटना की शुरुआत: एक उत्सव जो त्रासदी में बदल गया
4 जून 2025 को आईपीएल विजेता टीम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के सम्मान में आयोजित समारोह के दौरान बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में अत्यधिक भीड़ जमा हो गई थी। यह उत्सव प्रशंसकों के लिए एक सुनहरा अवसर था, लेकिन सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण की व्यवस्था पूरी तरह असफल रही। समारोह में अचानक मची भगदड़ ने सबको हिलाकर रख दिया। इस घटना में 11 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हुए। घायलों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।
यह हादसा सिर्फ एक मानवीय त्रासदी नहीं था, बल्कि एक संगठनात्मक विफलता की भी मिसाल बन गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस और आयोजकों को पहले से ही भारी भीड़ के बारे में चेतावनी दी गई थी, लेकिन इस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया गया।
बीसीसीआई का बड़ा फैसला: बेंगलुरु से सीरीज की विदाई
इस घटना के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने सख्त कदम उठाते हुए भारत ‘A’ और दक्षिण अफ्रीका ‘A’ के बीच प्रस्तावित तीन मैचों की वनडे सीरीज को बेंगलुरु से स्थानांतरित करने का निर्णय लिया। यह सीरीज 13 से 19 नवंबर 2025 के बीच चिन्नास्वामी स्टेडियम में आयोजित होनी थी। लेकिन BCCI ने स्पष्ट किया कि जब तक सुरक्षा प्रोटोकॉल और आयोजन के मानक संतोषजनक नहीं होते, तब तक बेंगलुरु में कोई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय या घरेलू मैच नहीं होगा।
इस फैसले का असर न सिर्फ एक सीरीज पर पड़ेगा, बल्कि आने वाले समय में बेंगलुरु की मेजबानी पर भी गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। यह शहर भारतीय क्रिकेट का एक मजबूत केंद्र रहा है, लेकिन अब उसकी विश्वसनीयता को चोट पहुंची है।
प्रशासनिक उथल-पुथल: केएससीए पर उठे सवाल
KSCA के कामकाज पर पहले भी आरोप लगे थे, लेकिन इस भगदड़ ने उसकी कमजोरी को पूरी तरह उजागर कर दिया। हादसे के बाद संघ के सचिव अ. शंकर और कोषाध्यक्ष ई.एस. जैराम ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया। साथ ही मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए।
इस घटना की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग गठित किया गया है जिसमें दो सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारियों को भी शामिल किया गया है। साथ ही, राज्य सरकार और बीसीसीआई दोनों ही मामलों की स्वतंत्र जांच करवाने पर जोर दे रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
स्टेडियम और लॉजिस्टिक्स की भी जांच
इस पूरे घटनाक्रम ने यह भी उजागर किया है कि बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में सुरक्षा और लॉजिस्टिक प्रबंधन की स्थिति कितनी कमजोर है। सूत्रों के अनुसार, गेटों पर टिकटों की ठीक से जांच नहीं की गई, और गेट नंबर 4 और 5 पर तकनीकी समस्याएं भी आईं। इसके अलावा, भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त पुलिस बल और आपातकालीन सेवाएं मौजूद नहीं थीं।
एक और बड़ी चिंता का विषय स्टेडियम की लीज़ से जुड़ी है, जहां केएससीए पर सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) का करोड़ों रुपये का बकाया है। इस विवाद ने संघ की वित्तीय स्थिति को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है।
संभावित प्रभाव: एक शहर, एक प्रतिष्ठा और उसका भविष्य
क्रिकेट कैलेंडर पर असर:
बेंगलुरु से बड़े मैचों का स्थानांतरित होना इसका सीधा प्रमाण है कि अब BCCI अन्य शहरों को प्राथमिकता दे सकता है। मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे मैदान पहले से ही विकल्प के तौर पर मौजूद हैं।
खिलाड़ियों और दर्शकों का विश्वास:
खिलाड़ियों को सुरक्षा सबसे पहले चाहिए और दर्शकों को भी एक सुरक्षित अनुभव की अपेक्षा होती है। इस हादसे ने बेंगलुरु के मैदान को दोनों मोर्चों पर असफल बना दिया है।
प्रशासनिक बदलाव की संभावना:
KSCA में बड़े स्तर पर बदलाव की जरूरत है। संभावना है कि आने वाले महीनों में नए चुनाव कराए जाएं और युवा, ज़िम्मेदार नेतृत्व को आगे लाया जाए।
भविष्य के प्रश्न
- क्या बेंगलुरु दोबारा क्रिकेट की मेजबानी हासिल कर पाएगा?
- KSCA प्रशासन पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाएगा?
- क्या BCCI देशभर के अन्य स्टेडियमों की सुरक्षा व्यवस्था की भी समीक्षा करेगा?
- प्रशंसकों का भरोसा दोबारा कैसे जीता जाएगा?
एक चेतावनी और एक अवसर
बेंगलुरु में जो हुआ, वह सिर्फ एक हादसा नहीं था – यह एक गंभीर चेतावनी है। बड़े आयोजन सिर्फ उत्सव नहीं होते, वे व्यवस्था की परीक्षा भी होते हैं। BCCI ने समय रहते उचित कदम उठाया, लेकिन अब असली जिम्मेदारी KSCA और कर्नाटक प्रशासन की है कि वे अपने संगठन, ढांचे और नीतियों को दोबारा खड़ा करें।
क्रिकेट भारत में एक धर्म के समान है – लेकिन यह धर्म तब तक सुरक्षित नहीं जब तक उसका मंदिर, यानी स्टेडियम, सुरक्षित न हो।
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