CRPF constable sacked

CRPF constable sacked: सीआरपीएफ जवान मुनीर अहमद की बर्खास्तगी, जब प्यार बना राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा

CRPF constable sacked: जम्मू-कश्मीर के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले सीआरपीएफ कांस्टेबल मुनीर अहमद का नाम आज पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। कारण है उनका एक ऐसा निर्णय, जो अब न केवल उनके करियर का अंत बना, बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था पर भी प्रश्नचिह्न लगा गया।

जब वर्चुअल प्रेम हुआ हकीकत

मुनीर की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं। सोशल मीडिया पर उनकी पहचान पाकिस्तान की मनेल खान से हुई। दिन-ब-दिन बातचीत बढ़ी और भावनात्मक जुड़ाव गहराता गया। मनेल सियालकोट (पाकिस्तान) की रहने वाली हैं, और वह भी मुनीर की तरह इस रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहती थीं।

हालांकि, भारत-पाकिस्तान के रिश्तों की संवेदनशीलता के चलते यह मिलन आसान नहीं था। दोनों ने वीडियो कॉल के जरिए 24 मई 2024 को निकाह कर लिया — एक ऐसा फैसला, जो आगे चलकर मुनीर के लिए भारी पड़ गया।

नियमों की अनदेखी: विभाग की नजरों से छिपा रिश्ता

एक केंद्रीय सुरक्षाबल (CRPF) के कर्मचारी के लिए किसी विदेशी नागरिक — खासकर दुश्मन देश की नागरिक — से संबंध बनाना और विवाह करना बिना अनुमति के न केवल सेवा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम भी माना जाता है।

मुनीर ने विभाग को न तो शादी की जानकारी दी और न ही इस बात का खुलासा किया कि मनेल भारत आने वाली हैं। यही नहीं, मनेल 15 दिन के वीजा पर भारत आई थीं, लेकिन वीजा खत्म होने के बाद भी भारत में रहना जारी रखा, जो अवैध ठहराया गया।

कैसे सतर्क हुईं सुरक्षा एजेंसियां?

जब मनेल भारत आईं और वह जम्मू में मुनीर के घर रहने लगीं, तब स्थानीय प्रशासन और खुफिया एजेंसियों को संदेह हुआ। यह कोई सामान्य घटना नहीं थी — एक पाकिस्तानी महिला का बार-बार भारत आना और फिर रुक जाना सुरक्षा दृष्टिकोण से संवेदनशील माना गया।

इसके बाद गहन पूछताछ, दस्तावेजों की जांच और विभागीय जांच समिति की बैठक हुई। जांच में यह साफ हो गया कि मुनीर ने विभागीय सेवा शर्तों का उल्लंघन किया है।

सेवा से बर्खास्तगी और प्रशासनिक कार्रवाई

सीआरपीएफ ने मुनीर को केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 के नियम 21(3) के तहत गंभीर दोषी पाया, जिसमें विदेशी नागरिक से विवाह के लिए विभाग से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है।

इस उल्लंघन को “जानबूझ कर किया गया भ्रामक आचरण” करार देते हुए मुनीर को तुरंत प्रभाव से सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद उन्हें सरकारी क्वार्टर खाली करने का आदेश दिया गया और पेंशन संबंधी लाभों को भी रोक दिया गया।

कोर्ट का हस्तक्षेप और मनेल की कानूनी स्थिति

जब मनेल को वापस पाकिस्तान भेजने की प्रक्रिया शुरू हुई, तब उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने मनेल को 10 दिन की अस्थायी राहत दी, ताकि वह भारत में रहने के लिए औपचारिक प्रक्रिया अपनाकर याचिका दायर कर सकें।

वर्तमान में मनेल भारत में एक कानूनी संघर्ष के दौर से गुजर रही हैं। उनका कहना है कि वह किसी भी गलत मंशा से भारत नहीं आईं, और वह केवल अपने पति के साथ रहना चाहती थीं।

सामाजिक प्रतिक्रिया: गांव से लेकर सोशल मीडिया तक

इस पूरे मामले ने न केवल प्रशासनिक हलकों में हलचल मचाई, बल्कि स्थानीय समाज और सोशल मीडिया पर भी ज़बरदस्त प्रतिक्रिया देखी गई। कुछ लोगों ने इसे “इंसानियत के रिश्तों पर सियासत” कहा, तो कुछ ने इसे “गंभीर सुरक्षा चूक” मानकर सख्त कार्रवाई की मांग की।

मुनीर के परिजन इस फैसले से आहत हैं। उनका कहना है कि यह प्रेम विवाह था, कोई साजिश नहीं। वहीं, विभाग का पक्ष साफ है — “प्यार व्यक्तिगत हो सकता है, लेकिन जब आप वर्दी में होते हैं, तो राष्ट्रहित सर्वोपरि होता है।”

इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि जहां एक ओर प्रेम सीमाएं नहीं जानता, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय सुरक्षा की जिम्मेदारियों के आगे निजी इच्छाएं भी सीमित हो जाती हैं। एक सुरक्षा बल के जवान से यह अपेक्षा की जाती है कि वह हर स्तर पर सतर्क और नियमों का पालन करने वाला हो।

मुनीर अहमद की कहानी एक व्यक्तिगत निर्णय के राष्ट्रीय नतीजों की जीती-जागती मिसाल बन गई है।

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