Delhi Elections: दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान शुरू हो चुका है, जहां 70 सीटों के लिए 699 उम्मीदवार मैदान में हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी करेगी या भारतीय जनता पार्टी (BJP) सत्ता में लौटेगी? वहीं, कभी दिल्ली पर 15 साल तक राज करने वाली कांग्रेस इस बार भी खाता खोलने के लिए संघर्ष कर रही है।
चुनावी प्रचार के अंतिम दिन अरविंद केजरीवाल और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कई रैलियां कीं और AAP के लिए वोट मांगे। केजरीवाल ने दावा किया कि उनकी पार्टी कम से कम 70 में से 55 सीटें जीतने में सफल होगी। 2020 और 2015 के पिछले दो चुनावों में AAP ने क्रमशः 62 और 67 सीटें जीतकर BJP और कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया था।
BJP इस बार अपनी हार के सिलसिले को तोड़ने के लिए कमर कस चुकी है। पार्टी ने दिल्ली भर में 22 बड़ी रैलियां और रोड शो आयोजित किए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, BJP अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और कई BJP-शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने जोरदार प्रचार किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी राजधानी के प्रमुख इलाकों में रोड शो कर पार्टी के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश की।
मुख्य मुद्दे और राजनीतिक हमले इस बार का चुनाव अभियान काफी तीखा रहा, जहां पार्टियों ने एक-दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए। AAP ने अपनी मुफ्त बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं को प्रमुख मुद्दा बनाया, जबकि BJP ने केजरीवाल सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों, जैसे कथित शराब घोटाला और ‘शीश महल’ विवाद को उठाया। BJP ने यह भी आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार का प्रशासनिक मॉडल पूरी तरह विफल हो चुका है।
राजनीतिक बयानबाजी भी चरम पर रही। AAP ने BJP को “भारतीय झूठा पार्टी” कहा, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने AAP को “आपदा” और केजरीवाल को “घोषणा मंत्री” करार दिया। कांग्रेस ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए उन्हें “फर्जीवाल” और मोदी का “छोटा रिचार्ज” तक कहा। सोशल मीडिया पर भी इन आरोप-प्रत्यारोपों की गूंज सुनाई दी, जहां समर्थकों और विरोधियों के बीच तीखी बहसें होती रहीं।
महत्वपूर्ण विधानसभा सीटें सबसे चर्चित सीटों में नई दिल्ली शामिल है, जहां से अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़ रहे हैं, और कालकाजी, जिसे आतिशी प्रतिनिधित्व करती हैं। इसके अलावा पटेल नगर, लक्ष्मी नगर और करावल नगर जैसी सीटें भी काफी चर्चित हैं क्योंकि यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। AAP ने चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप लगाए और चुनाव आयोग पर BJP के पक्ष में झुकाव दिखाने का आरोप भी लगाया। पार्टी ने महिलाओं के लिए आर्थिक सहायता, बेहतर सार्वजनिक सेवाएं, और शिक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने जैसे प्रमुख वादों को भी प्रचारित किया।
BJP “डबल इंजन” सरकार के वादे के साथ प्रचार कर रही है, जिसमें केंद्र और दिल्ली दोनों में BJP की सरकार होने से बेहतर शासन देने का दावा किया जा रहा है। पार्टी ने दिल्ली के विकास, ट्रैफिक समस्या के समाधान और स्वच्छता जैसे मुद्दों को भी प्रमुखता दी है। इसके अलावा, BJP ने यह भी वादा किया है कि अगर वह सत्ता में आती है तो प्रदूषण नियंत्रण और जल आपूर्ति की समस्याओं को प्राथमिकता देगी।
मतदाताओं की भूमिका दिल्ली के मतदाता इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाने वाले हैं। युवा मतदाताओं का रुझान खासतौर पर महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि वे बड़ी संख्या में पहली बार मतदान करने जा रहे हैं। इसके अलावा, महिलाओं के बीच भी मतदान को लेकर उत्साह देखा जा रहा है।
आगे की राह तीनों प्रमुख पार्टियां अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही हैं, लेकिन अंतिम फैसला दिल्ली के मतदाताओं के हाथ में है। परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे, जो तय करेंगे कि AAP सत्ता में बनी रहती है, BJP वापसी करती है या कांग्रेस कोई चौंकाने वाला प्रदर्शन करती है। यह चुनाव हाल के वर्षों की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक लड़ाइयों में से एक है, और अब सबकी निगाहें मतगणना के दिन पर टिकी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार का चुनाव दिल्ली की राजनीति को एक नई दिशा दे सकता है।